हिन्दू धर्म क्या है, क्या है इसका इतिहास और इसकी खूबियां, जानकार आप भी होंगे गर्वित | Hindu Dharm Kya Hai

हिन्दू धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। इस धर्म के अनुयायी सम्पूर्ण विश्व में फैले हुए है। मुख्य रूप से भारत, नेपाल और मारीशस में हिन्दुओं की संख्या सर्वाधिक है। हिन्दू धर्म समुद्र की तरह विशाल है। हिन्दू धर्म में बहुत सारी ऐसी चीजें है जो इसे बाकी धर्मों की तुलना से भिन्न तो बनाती ही हैं साथ में एक ऐसा आधार भी देती हैं जो इसे मानने वालों को गर्व भी प्रदान करती हैं। हिन्दू धर्म के कई अनुयायी इस धर्म को सनातन धर्म के नाम से भी पुकारते हैं। हिन्दू धर्म को लेकर अन्य धर्मों के लोग हमेशा भ्रमित रहते है क्योंकि हिन्दू धर्म ईसाई धर्म या इस्लाम के विपरीत, एक गैर-पैगंबर संगठन है। हिंदुओं के लिए कोई यीशु या मोहम्मद नहीं है। हिन्दू कई देवी-देवताओं को मानते हैं। भारत अलग-अलग भाषाएं और संस्कृतियों का देश है इसलिए यहां देवी-देवताओं की संख्या भी अधिक है। ईश्वर का हर स्वरूप अपने आप में पूज्यनीय स्वरूप है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि ईश्वर निराकार है। वह सर्वेश्वर है अर्थात सर्वोच्च ईश्वर, जिसके पास अनगिनत दिव्य शक्तियाँ हैं। निराकार ईश्वर को ब्रह्म शब्द से संबोधित किया जाता है। जब ईश्वर का स्वरूप होता है, तो उसे परमात्मा शब्द द्वारा संदर्भित किया जाता है। इस सर्वशक्तिमान ईश्वर के तीन मुख्य रूप है। निर्माता, विष्णु, अनुचर और शिव संहारक।

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हिन्दू धर्म का इतिहास | Hindu Religion History | Hindu Dharm Ka Itihas

हिन्दू धर्म के इतिहास के विषय में पुराणों में ज्यादा वर्णित नहीं है। इस धर्म को वेदकाल युग से भी पूर्व का माना जाता है, क्योंकि वैदिक काल और वेदों की रचना का काल अलग-अलग माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि स्वायंभुव मनु ने इसकी स्थापना की थी लेकिन इस संबंध में ज्यदा वर्णित नहीं है। विभिन्न शोधों के अनुसार हिन्दू धर्म 24 हजार वर्ष से भी पुराना धर्म हैं। हिंदू धर्म मुख्य रूप से त्रिमूर्ति देवताओं पर केन्द्रित है। त्रिमूर्ति में तीन देवता होते हैं जो दुनिया का निर्माण, रखरखाव और विनाश के लिए जिम्मेदार हैं। इन त्रिमूर्ति में ब्रह्मा (Lord Brahma) पहले देवता हैं। अन्य दो देवताओं में विष्णु (Lord Vishnu) और शिव (Lord Shiva) हैं। ब्रह्मा मुख्य रूप से दुनिया और प्राणियों के निर्माण है। विष्णु ब्रह्मांड के संरक्षक हैं, जबकि शिव जगत को बनाने और फिर इसे नष्ट करने का काम करते है। ब्रह्मा संसार के निर्माणक होने के बाद भी हिंदू धर्म में सबसे कम पूजे जाने वाले देवता हैं। पूरे भारत में उन्हें समर्पित केवल दो मंदिर (Hindu Temple) हैं। अन्य अन्य विष्णु और शिव शंकर के मंदिरों की संख्या असंख्य है।

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वेद कितने होते हैं | Vedas in Hindu Mythology | Vedas in Hindi

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के बारे में जानने का स्रोत वेद व अन्य धर्मग्रन्थ हैं। इन वेद ग्रन्थों की संख्या बहुत अधिक है। वेद, इस शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘विद्‘ से हुई है। विद् का अर्थ है जानना या ज्ञानार्जन, इसलिये वेद को ‘‘ज्ञान का ग्रंथ कहा जाता है। भारतीय मान्यता में ऐसा वर्णित है कि ज्ञान शाश्वत है अर्थात् सृष्टि की रचना के पूर्व भी ज्ञान था एवं सृष्टि के विनाश के पश्चात् भी ज्ञान ही शेष रह जायेगा। चूँकि वेद ईश्वर के मुख से निकले और ब्रह्मा जी ने उन्हें सुना इसलिये वेद को श्रुति भी कहा जाता हैं।

हिन्दू धर्म में वेदों की संख्या चार हैं। ये वेद हिन्दू धर्म के आधार स्तंभ हैं। ये ‘चतुर्वेद‘ निम्न हैंः – 4 Vedas | Four Vedas Name | Types of Vedas

  • ऋग्वेद,
  • यजुर्वेद,
  • सामवेद,
  • अथर्ववेद

ऋगवेद | Rigveda in Hindi

ऋगवेद चारों संहिताओं में प्रथम गिनी जाती है। ऋग्वेद का इतिहास लगभग 3800 साल पुराना है जबकि 3500 साल तक इसे केवल मौखिक रूप में ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाया जाता रहा था। ऋग्वेद को सनातन धर्म अथवा हिन्दू धर्म का प्रमुख स्रोत माना जाता है। इसमें 1028 सूक्त हैं, जिसमें देवताओं की स्तुति की गयी है। ऋक् संहिता में 10 मंडल, बालखिल्य सहित 1028 सूक्त हैं। यह संहिता सूक्तों अर्थात् स्तोत्रों का भण्डार है। इन सूक्तों में शौनक की अनुक्रमणी के अनुसार 10,627 मंत्र है। वेद मंत्रों के समूह को ‘सूक्त‘ कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। ऋग्वेद के सूक्त विविध देवताओं की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ऋग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्रोतों की प्रधानता है। ऋग्वेद का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व सबसे ज्यादा है। चारों वेदों में सर्वाधिक प्राचीन वेद ऋग्वेद से आर्यों की राजनीतिक प्रणाली एवं इतिहास के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। ऋग्वेद अर्थात् ऐसा ज्ञान, जो ऋचाओं में बद्ध हो।

यजुर्वेद | Yajurveda in Hindi

यजुर्वेद ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद है। यजुर्वेद में ऋगवेद के ६६३ मंत्र पाए जाते हैं। फिर भी ये ऋग्वेद से अलग है क्योंकि यजुर्वेद मुख्य रूप से एक गद्यात्मक ग्रन्थ है। यज्ञ में कहे जाने वाले गद्यात्मक मन्त्रों को ‘‘यजुस’‘ कहा जाता है। ‘यजुष’् के नाम पर ही इस वेद का नाम यजुष़्वेद वेद (यजुर्वेद) शब्दों की संधि से बना है। यज् जिसका अर्थ समर्पण होता है। यजुर्वेद में यज्ञों और हवनों के नियम और विधान का वर्णन है, अर्थात ग्रन्थ कर्मकाण्ड प्रधान है।

सामवेद | Samaveda in Hindi

चारों वेदों में सबसे छोटा सामवेद है। इस वेद में १८७५ मंत्र है जिसमें ९९ को छोड़ दे तो सभी ऋगवेद के हैं। इसके केवल १७ मन्त्र अथर्ववेद और यजुर्वेद के पाये जाते हैं। फिर भी इसकी महत्ता सबसे ज्यादा है, जिसका मुख्य कारण गीता में कृष्ण द्वारा वेदानां सामवेदोऽस्मि कहना है। सामवेद यह सभी वेदों का सार रूप है क्योंकि इसमें सभी वेदों के चुने हुए अंश शामिल किये गये है। महाभारत में गीता के अतिरिक्त अनुशासन पर्व में भी सामवेद की महत्ता को दर्शाया गया है।

पवित्रतम वेदों में से चैथे वेद अथर्ववेद की संहिता अर्थात मन्त्र भाग है। इस वेद को ब्रह्मवेद भी कहते हैं। अथर्ववेद का अर्थ है अथर्वों का वेद या अभिचार मंत्रों का ज्ञान

अथर्ववेद | Atharvaveda in Hindi

अथर्ववेद को ब्रह्मवेद भी कहते हैं। अथर्ववेद का अर्थ है अथर्वों का वेद या अभिचार मंत्रों का ज्ञान। अथर्ववेद में ब्रह्म की उपासना सम्बन्धी बहुत से मन्त्र हैं। अथर्ववेद में 20 काण्ड, 731 सूक्त है। इसके अतिरिक्त अथर्ववेद में गुण, धर्म, आरोग्य, एवं यज्ञ के लिये 5977 मन्त्र हैं। अथर्ववेद की भाषा और स्वरूप के आधार पर ऐसा मानना है कि इस वेद की रचना सबसे बाद में हुई। कई प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों का वर्णन अथर्ववेद में है। अर्थर्ववेद के बाद से आयुर्वेद में विश्वास किया जाने लगा था। अथर्ववेद गृहस्थाश्रम के अन्दर पतिदृपत्नी के कर्त्तव्यों तथा विवाह के नियमों, मानदृमर्यादाओं का उत्तम विवेचन करता है। अथर्ववेद की एक कड़ी में वर्णन है कि अगर आपको अपनी उपस्थिति से कबूतरों को भगाने के लिए पत्नी या किसी अन्य को पाने के लिए एक जादू की आवश्यकता होती है।

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हिन्दू धर्म के देवी देवता | Hindu Gods and Goddesses

ऐसी मान्यता है कि हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं। इन सभी देवी-देवताओं के नाम और उनके स्वरूप अलग-अलग है, लेकिन मान्यता से उलट 33 करोड़ देवी-देवता बल्कि 33 कोटि यानी प्रकार के देवता हैं। पुराणों में इस संबंध में स्पष्ट वर्णन है।

33 कोटि देवताओं के प्रकार | All Hindu Gods

33 कोटि देवी-देवताओं में आठ वसु, ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, इंद्र और प्रजापति शामिल हैं। कुछ शास्त्रों में इंद्र और प्रजापति के स्थान पर दो अश्विनी कुमारों को 33 कोटि देवताओं में शामिल किया गया है।

अष्ट वसुओं के नाम निम्न है-

1. आप

2. ध्रुव

3. सोम

4. धर

5. अनिल

6. अनल

7. प्रत्यूष

8. प्रभाष

ग्यारह रुद्रों के नाम निम्न है | Eleven Rudras in Hindu Religion

1. मनु

2. मन्यु

3. शिव

4. महत

5. ऋतुध्वज

6. महिनस

7. उम्रतेरस

8. काल

9. वामदेव

10. भव

11. धृत-ध्वज


बारह आदित्य के नाम | Twelve Aditya in Hindu Dharma

1. अंशुमान

2. अर्यमन

3. इंद्र

4. त्वष्टा

5. धातु

6. पर्जन्य

7. पूषा

8. भग

9. मित्र

10. वरुण

11. वैवस्वत

12. विष्णु

सनातन हिन्दू धर्म में प्रमुख रूप में पांच देवों की उपासना की जाती है। जिन्हें पंचदेव कहते हैं। ये पंचदेव हैं, विष्णु, शिव, गणेश (Lord Ganesha), सूर्य और शक्ति। इन सभी देवी-देवताओं में सबसे शक्तिशाली देवता भगवान शिव हैं। भगवान शिव इस संसार के सृजनकर्ता,पालनकर्ता और संहारकर्ता तीनों हैं।

हिन्दू धर्म की विशेषताएं | Hindu Religion Facts in Hindi

हिन्दू धर्म एक शक्तिशाली धर्म है। हिंदू धर्म के प्रमुख गुणों में उदारता, सहिष्णुता व परोपकार शामिल है। हिन्दू धर्म हमें यह बताता है कि ब्रह्म ही सत्य है। ईश्वर एक ही है और वही प्रार्थनीय तथा पूजनीय है। वही सृष्टा है वही सृष्टि भी। शिव, राम, कृष्ण आदि सभी उस ईश्वर के संदेश वाहक है। हजारों देवी-देवता उसी एक के प्रति नमन हैं। वेद, वेदांत और उपनिषद एक ही परमतत्व को मानते हैं। हिन्दू धर्म को सनातन धर्म भी कहा गया है। सनातन अर्थात शाश्वत जिसका आदि है न अन्त है। सनातन हिन्दू धर्म भाग्य से ज्यादा कर्म पर विश्वास रखता है। कर्म से ही भाग्य का निर्माण होता है।

1. हिन्दू धर्म का कोई एक धर्मशास्त्र नहीं है, बल्कि बहुत सारी धार्मिक किताबों को मिलाकर इसे एक
धार्मिक आधार प्रदान करती हैं। गीता, रामायण, महाभारत, उपनिषद् आदि धर्मग्रन्थ इसमें शामिल है।
2. हिन्दू धर्म में 33 कोटि देवी-देवता है। हिन्दू धर्म इकलौता ऐसा धर्म है जिसमें देवी-देवताओं की संख्या समान है और दोनों को एक ही श्रद्धा के साथ पूजा जाता हैं।

  1. कोई भी जीव चैरासी लाख योनियों में भ्रमण करता है। उसे मनुष्य योनि बड़े पुण्य से मिलती है। इस
    जन्म के बाद उसका पुनर्जन्म होता है जन्म मरण के इस चक्र को संसार चक्र कहतें हैं।
  2. हिन्दू धर्म में नास्तिकता को भी स्थान दिया गया है अर्थात जो व्यक्ति ईश्वर के स्वरूप पर विश्वास
    नहीं करता। यह इकलौता ऐसा धर्म है जो नास्तिकों को भी स्वीकृति देता है।
  3. हिन्दू धर्म में 108 को बहुत पवित्र माना गया है। यही कारण है सिद्धी के लिए जिन मालाओं से हम
    जप करते हैं उनमे भी 108 मोती होते हैं।
  4. हिन्दू धर्म की एक सबसे खास बात है जो इसे सब धर्मों से अलग बनाती है वह है, यहां प्रार्थना करना
    का कोई समय निर्धारित नहीं है। दिन हो या रात आप कभी भी ईश्वर को सच्ची श्रद्धा से याद कर सकते हैं। ऊपर वाले को याद करने के लिए कोई एक खास दिन या समय नहीं होता. जब भी आपका दिल करे आप पूजा करने के लिए मंदिर में जा सकते हैं।
  5. सनातन हिन्दू धर्म पुनर्जन्म में विश्वास रखता है। जन्म एवं मृत्यु के निरंतर पुनरावर्तन की प्रक्रिया से
    गुजरती हुई आत्मा अपने पुराने शरीर को छोड़कर नया शरीर धारण करती है। आत्मा के मोक्ष प्राप्त करने से ही यह चक्र समाप्त होता है।
  6. श्राद्ध पक्ष का सनातन हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व माना गया है। पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए
    मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं तथा तृप्त करने की क्रिया और देवताओं, ऋषियों या पितरों को तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं। तर्पण करने को ही पिंडदान कहा जाता है।
  7. हिन्दू धर्म में दान की बहुत महत्ता है। दान करने का पुण्य की प्राप्ति होती है। वेद और पुराणों में दान
    के महत्व का वर्णन किया गया है।
  8. हिन्दू धर्म में चल और अचल दोनों तरह के देवताओं की पूजा की जाती है। अचल देवता वह है जो
    मूर्ति रूप में विराजमान है जिन्हें हम मंदिरों में देखते है, जबकि चल देवता धरती पर रहने वाला हर जीव है। हिन्दू धर्म की सबसे बड़ी विशेषता है कि हर जीव में ईश्वर का स्वरूप माना गया है।

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