जय श्री राम मित्रो ! जैसा कि आप जानते हैं कि हम अपने ब्लॉग जयश्रीराम.net में आपको हिन्दू धर्म से सम्बंधित जानकारियां देते रहते हैं. आज हम आपको हिन्दू धर्म के एक और महीने माघ मास के बारे बताने जा रहे हैं. क्योंकि हिन्दू धर्म का पवित्र माह है माघ मास है तो आइये जानिए माघ मास का महत्व और उसके नियम.
माघ महीना 2023 | Magh Month 2023 | Magh Kab Se Lagega
नये वर्ष 2023 की शुरूआत हो चुकी है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह ग्यारहवां महीना होता है। इसे माघ मास कहते है। माघ मास 07 जनवरी, 2023 से शुरू होकर 05 फरवरी 2023 तक रहेगा। माघ महीना हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। इस माघ में की गई पूजा-पाठ और दान-पुण्य का बहुत महत्व होता है। आज के लेख में हम माघ मास का क्या महत्व है, उसके नियम क्या है आदि अन्य विषयों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
माघ मास का महत्व | Magh Mahine Ka Mehtva
हिन्दू पंचांग के हर माह का धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व होता है। माघ का महीना एक ऐसा महीना होता है जिसमें स्नान-दान, भगवान की आराधना करने वाले को अद्वितीय फल की प्राप्ति होती है। माघ मास में भगवान सूर्यदेव की आराधना करने से यश, सम्मान में बढ़ोत्तरी होती है। तुलसी पूजा का भी इस मास में बहुत महत्व है। इस मास में नियम से तुलसी के पौधे में सुबह जल चढ़ाना चाहिए और शाम को तुलसी के पौधे में दीपक जलाना चाहिए और आरती करनी चाहिए। तुलसी के पौधे को एक चुनरी से ढककर रखना चाहिए क्योंकि इस मौसम में आसमान से ओस की बूदें टपकती है।
माघ मास में संगम के तट पर कल्पवास किया जाता है। कल्पवास अर्थात एक मास तक संगम के तट पर संयम पूर्वक निवास करना। कल्पवास करने से व्यक्ति का शरीर और आत्मा शुद्ध हो जाता है और उसे असीम सुख की प्राप्ति होती है। पुराणों में वर्णित है कि कल्पवास करने से एक हजार यज्ञों के बराबर का लाभ मिलता है।
माघ मास में नियमित रूप से भगवत भजन करना चाहिए। हरि का भजन करने से आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है। इस मास के मध्य में ठंड ढलान पर होती है अर्थात ठंडक कम होने लगती है। ऐसे में अपनी सेहत को लेकर भी जागरूक रहना चाहिए। इस पूरे माह में तिल और गुड़ का सेवन करना चाहिए। इस पूरे मास में अपने नहाने के पानी में काला तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से आपका शरीर स्वस्थ रहता है। इस मास के मध्य से गर्म पानी से स्नान करना भी बंद कर देना चाहिए।
माघ मास में किसी पवित्र नदी जैसे गंगा, यमुना आदि में जाकर स्नान करना चाहिए। किसी पवित्र नदी में डुबकी लगाने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते है। अगर संभव हो तो प्रयाग में संगम तट पर जाकर स्नान अवश्य करें। संगम में स्नान करने से आपको भगवान श्री हरि का आर्शीवाद प्राप्त होता है और असीम पुण्य की प्राप्ति होती है। सुख समृद्धि, सौभाग्य में वृद्धि होती है। माघ मास में हर जल में गंगाजल जैसा प्रताप होता है। अगर आप किसी नदी में जाकर स्नान न कर सके तो अपने घर पर ही नहाने के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
पुराणों में ऐसा वर्णित है कि माघ मास में देवता धरती पर उतर आते है। माघ मास में पड़नी वाली पूर्णिमा का भी खासा महत्व होता है और यदि पूर्णिमा पर पुष्य नक्षत्र हो तो उसका महत्व और बढ़ जाता है। पद्य पुराण में एक श्लोक वर्णित है –
‘माघे निमग्नाः सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।‘
इस श्लोक के अनुसार माघ मास में पूजा करने से भी भगवान विष्णु को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति अर्थात लगन प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ मास में रोजाना स्नान करना चाहिए।
एक अन्य श्लोक के अनुसार –
‘प्रीतये वासुदेवस्य सर्वपापानुत्तये। माघ स्नानं प्रकुर्वीत स्वर्गलाभाय मानवः॥‘
अर्थात माघ मास में पूर्णिमा के पर्व के दिन जो भी व्यक्ति ब्रह्मावैवर्तपुराण का दान करता है, उसे मृत्यु के प्श्चात ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। इस मास में माघ में ब्रह्मवैवर्तपुराण की कथा अवश्य सुननी चाहिए और यदि यह संभव न हो सके तो इस माह माघ महात्म्य का श्रवण अवश्य करना चाहिए।
माघ मास में रोजाना भगवतगीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। गीता का पाठ करने से भगवान विष्णु का आर्शीवाद प्राप्त होता है और हमारे अंदर की नकारात्मक ऊर्जा का हास होता है। हमारे सोचने समझने की क्षमता का विकास होता है। व्यक्ति तरक्की के पथ पर बढ़ता है।
इस पूरे माह श्री हरि भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। गुरूवार के दिन विष्णु सहसत्रनाम का पाठ करना चाहिए। विष्णु सहसत्रनाम का पाठ करने वाले व्यक्ति को यश, सम्मान, कीर्ति, सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। गुरू ग्रह का प्रभाव बढ़ता है।
इस मास को भगवान श्री कृष्ण की उपसना के लिए बहुत उत्तम मास माना जाता है। नियमित रूप से उन्हें पीले रंग का पुष्प और पंचामृत अर्पित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त रोजाना मधुराष्टक का पाठ करना चाहिए। यह पाठ श्रीकृष्ण जी को बहुत प्रिय है। श्रीकृष्ण जी के मंत्र “ऊँ नमो भगवते नन्दपुत्राय, ऊँ नमो भगवते गोविन्दाय” मंत्रों का नियमित जाप करना चाहिए।
माघ मास में कई धार्मिक पर्व पड़ते है जैसे-सकट चतुर्थी, मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और माघी पूर्णिमा। इन सभी तिथियों पर स्नान-दान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता है कि इस मास में सत्यनारायण भगवान की पूजा करने से और उनकी कथा का श्रवण करने से भगवान प्रसन्न होते है और अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं।
माघ मास के नियम | Magh Mas Ke Niyam | Rules of Magh Month
इस मास से जुड़े कुछ नियम है जिनको पालन करने से ना सिर्फ चित बल्कि आत्मा भी स्वच्छ होती है। आईये इन नियमों को जानते हैं-
- इस मास में ब्रहमचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए। बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए, जमीन पर कंबल बिछाकर सोना चाहिए।
- इस माह में आलस्य का त्याग करना चाहिए। सबेरे देर तक नहीं सोना चाहिए। ब्रहम मुहूर्त में ही उठ जाना चाहिए। रोजाना स्नान करना चाहिए क्योंकि इस मास में पूजा-पाठ और हरि भजन किया जाता है। ऐसे में जातक को स्वच्छ रहना चाहिए। अगर आप इस मास में अधिक देर तक सोते है और स्नान नहीं करते है तो आपकी सेहत बिगड़ सकती है।
- अगर आपकी कुंडली शनि दोष से पीड़ित है तो इस माह एक छोटा सा उपाय करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। शनि दोषों से मुक्ति के लिए इस माह काले तिल और शनि संबंधी वस्तुओं का दान करना चाहिए। अगर आप राहु दोष से पीड़ित है तो आपको गर्म कपड़े या कंबल का दान करना चाहिए। तिल का दान करना भी उत्तम माना गया है।
- इस मास में किये गये कल्पवास का विशेष महत्व होता है। कल्पवास की शुरुआत मां तुलसी और भगवान शालिग्राम के पूजन से होती है। माघ माह में पवित्र गंगा में स्नान करने से पाप मिट जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- इस मास में एक ही समय भोजन करना चाहिए। अगर आप ऐसा करने में असमर्थ है तो एक पक्ष सिर्फ फल, दूध का ही सेवन करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि एक समय भोजन करने से आरोग्यता और एकाग्रता बढ़ती है।
- माघ मास में मोटे अनाज जैसे मक्का, बाजरा का सेवन करना चाहिए। इसकी तासीर गर्म होती है और ये सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है।
माघ मास में क्या न करें | Magh Ke Mahine Me Kya Na Kare
- माघ मास में तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इस माह में किसी तरह का व्यसन भी नहीं करना चाहिए। मांस, मदिरा का प्रयोग करना, जुआं खेलना नहीं चाहिए।
- इस मास को बहुत पवित्र मास माना गया है। ऐसे में इस मास अधिक से अधिक दान पुण्य करना चाहिए। अगर घर के दरवाजे पर कोई जरूरतमंद आये तो उसे खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए। उसे अपनी साम्यर्थ अनुसार दान-दक्षिणा देनी चाहिए।
- इस माह में झूठ बोलना, अभद्र भाषा बोलना, अभद्र व्यवहार किसी के साथ नहीं करना चाहिए। इन गलत आदतों का सर्वथा त्याग करना चाहिए।
- माघ मास के शुरूआती चरणों में सर्दी अपने चरम पर होती है। ऐसे में इस महीने मूली और धनिया का सेवन नहीं करना चाहिए। मूली की तासीर ठंडी होती है। धनिया का सेवन मूली के साथ करना सेहत के लिए हानिकारक होता है। कुछ लोग मूली के पराठे में धनिया डालकर बनाते है। ऐसे भोजन का सेवन करने से पेट संबंधी बीमारियां, कफ बनना, जुकाम, बुखार की बीमारी हो सकती है।
निष्कर्ष
माघ मास का महीना दान-पुण्य, पूजा-पाठ करने के लिए बहुत पवित्र महीना माना गया है। इस माह में विशेष रूप से श्रीकृष्ण भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी आराधना करने का विधान है। आज के लेख में हमने हिन्दू धर्म के पवित्र माह माघ माह की विशेषता के बारे में विस्तार से आपको जानकारी प्रदान की। आशा करते है यह जानकारी आपको लाभप्रद लगी होगी। इस जानकारी को अपने दोस्तों, परिजनों के साथ सोशल मीड़िया पर साझा अवश्य करें जिससे हिन्दू धर्म के व्रत, त्योहारों का व्यापक प्रचार प्रसार हो। ऐसे ही जानकारीपूर्ण लेखों को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे।
जयश्रीराम
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