लंबे जमीनी और अदालती संघर्षों के बाद आखिरकार राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो चुका है और अयोध्या में भगवान श्री राम का विशाल मंदिर लगभग बनकर तैयार हो चुका है, जिसके प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम साल 2024 में 22 जनवरी के दिन रखा गया है। इस कार्यक्रम में देश के सामान्य लोगों के अलावा देश के कई बड़े-बड़े और प्रसिद्ध लोग साथ ही विदेश के भी कई लोग शामिल होने के लिए आ रहे हैं। देश में अभी से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का उत्साह दिखाई पड़ रहा है।
हालांकि क्या आप जानते हैं की मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की यह घड़ी ऐसे ही नहीं आई है। इसके लिए कई सालों संघर्षों का सामना करना पड़ा है। 1528 से लेकर 2020 अर्थात 492 साल के इतिहास में अभी तक राम मंदिर में बहुत सारे मोड़ आ चुके हैं। इस बीच साल 2019 में 9 नवंबर के दिन तो ऐतिहासिक फैसले का दिन रहा। चलिए आर्टिकल में आगे बढ़ते हैं और विस्तार जानते हैं कि आखिर इस विवाद की नीव कब पड़ी और कौन से साल में कौन सी महत्वपूर्ण घटनाएं राम मंदिर से संबंधित हुई।
1. साल 1528
साल 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सैनिक मीर बाकी के द्वारा एक विवादित जगह पर मस्जिद का निर्माण करवाया गया। इस विवादित जगह को हिंदू समुदाय भगवान श्री राम के जन्म का स्थान मानता है और उनका मानना था कि, यहां पर एक प्राचीन मंदिर था। हिंदू समुदाय के हिसाब से जो मुख्य गुंबद है, उसी के नीचे भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था।
2. साल 1853-1949 तक
साल 1853 में इस जगह पर कब्जा करने के लिए हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच भीषण दंगे भड़क चुके थे, जिसमें कई लोगों की मृत्यु हो चुकी थी। तब देश में अंग्रेजों का शासन था। अंग्रेजों ने इस दंगे को कंट्रोल करने के लिए विवादित जगह के आसपास बाड लगा दी थी और यह आदेश दे दिया था कि, हिंदू समुदाय चबूतरे के बाहर पूजा करेगा और मुसलमान समुदाय ढांचे के अंदर अपनी इबादत करेंगे।
3. साल 1949
साल 1949 में 23 दिसंबर के दिन उत्तर प्रदेश के अयोध्या में एक महत्वपूर्ण घटना घटित हुई। जानकारी के अनुसार इस दिन मस्जिद में भगवान श्री राम की मूर्ति हिंदू समुदाय को हासिल हुई, जिस पर हिंदू समुदाय के द्वारा कहा गया की भगवान श्री राम जी प्रकट हो चुके हैं, वही मुसलमान समुदाय के द्वारा यह आरोप लगाया गया कि हिंदू समुदाय के ही किसी व्यक्ति के द्वारा रात में चोरी छुपे यहां पर भगवान श्री राम जी की मूर्तियों को रख दिया गया है।
इस मामले में उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट के द्वारा भगवान श्री राम की मूर्तियों को वहां से हटाने का आदेश दे दिया गया, परंतु तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट केके नायर ने हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर की वजह से इस आदेश का पालन करवाने में असमर्थता जता दी। इसके पश्चात सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए विवादित जगह को विवादित स्ट्रक्चर माना और वहां पर सरकारी ताला लगवा दिया।
4. साल 1950
हिंदू समुदाय ने 1950 में फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें श्री राम की पूजा करने की परमिशन मिले और विवादित स्ट्रक्चर में भगवान श्री राम जी की मूर्ति रखी रहे, इसकी परमिशन मिले। इसके पश्चात निर्मोही अखाड़ा के द्वारा तीसरी अर्जी साल 1959 में दाखिल की गई।
5. साल 1961
मुस्लिम समुदाय की तरफ से उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड के द्वारा साल 1961 में एक अर्जी दायर की गई। इसमें उन्होंने डिमांड की कि विवादित जगह से मूर्तियों को हटाया जाए।
6. साल 1984
अयोध्या के इस विवादित जगह पर मंदिर का निर्माण करवाने के लिए हिंदू संगठन विश्व हिंदू परिषद के द्वारा एक कमेटी का गठन साल 1984 में किया गया।
7. साल 1986
यूसी पांडे के द्वारा 1986 में विवादित जगह पर हिंदू समुदाय को पूजा करने की परमिशन देने के लिए एक याचिका दायर की गई थी। इस पर तत्कालीन फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे के द्वारा 1986 में 1 फरवरी को परमिशन दी गई और ढांचे पर से ताले को हटाने के भी आदेश दिए गए।
8. 6 दिसंबर 1992
विश्व हिंदू परिषद और शिवसेना के आवाहन पर लाखों हिंदुओं के द्वारा अयोध्या में बाबरी ढांचे पर चढ़कर के इस ढांचे को गिरा दिया गया। इसके पश्चात देश में भीषण सांप्रदायिक दंगे भड़क गए, जिसकी वजह से तकरीबन 2000 लोगों की मृत्यु हुई।
9. साल 2002
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान श्री राम जी के दर्शन करके वापस लौट रही साबरमती ट्रेन को गुजरात के गोधरा में मुस्लिम समुदाय के 200-300 लोगों के द्वारा आग लगाई गई, जिसमें तकरीबन 58 हिंदू समुदाय के लोगों की मृत्यु हो गई, जिसमें महिला और बच्चे भी शामिल थे। इसके बाद गुजरात में भीषण दंगे भड़क गए, जिसमें 2000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।
10. साल 2010
इस मामले में सुन्नी वर्क बोर्ड और रामलला विराजमान तथा निर्मोही अखाड़ा के बीच विवादित जगह को तीन बराबर-बराबर हिस्से में बांटने का आदेश प्रयागराज हाई कोर्ट के द्वारा साल 2010 में दिया गया।
11. साल 2011
इलाहाबाद हाई कोर्ट के द्वारा जो फैसला दिया गया था। इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने साल 2011 में रोक लगा दी थी।
12. साल 2017
साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया गया। वहीं भाजपा के कई नेता आपराधिक साजिश के आरोप से बहाल हो गए।
13. 8 मार्च 2019
2019 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा मामले को मध्यस्थता के लिए भेजने के साथ ही साथ पैनल को 8 सप्ताह के अंदर प्रक्रिया को खत्म करने के लिए कहा गया।
14. 1 अगस्त 2019
पैनल के द्वारा 2019 में 1 अगस्त को अपनी रिपोर्ट को प्रस्तुत कर दिया गया।
15. 2 अगस्त 2019
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को कहा कि मध्यस्थता पैनल कोई भी समाधान निकालने में सफल नहीं हो सका।
16. 6 अगस्त 2019
2019 में 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मैटर की रोज सुनवाई शुरू हो चुकी थी।
17. 16 अक्टूबर 2019
अयोध्या केस की सुनवाई कंप्लीट हो गई और सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अपना फैसला सुरक्षित रख लिया गया।
18. 9 नवंबर 2019
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 2019 में 9 नवंबर के दिन अपना फैसला सुनाया गया। यह फैसला राम मंदिर के पक्ष में आया था। फैसले में कोर्ट ने 2.77 एकड़ विवादित जगह को हिंदू पक्ष को देने का आदेश दिया और मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाने का आदेश दिया।
19. 25 मार्च 2020
2020 में 28 साल के पश्चात रामलला को टेंट से निकालकर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट किया गया।
20. 5 अगस्त 2020
पीएम मोदी जी के द्वारा मंदिर भूमि पूजन का कार्यक्रम किया गया। इसमें मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और साधु संतों समेत 175 लोग शामिल हुए थे।
21. 22 जनवरी 2024
प्रधानमंत्री मोदी जी की उपस्थिति में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा, जिसमें देश-विदेश के कई लोग शामिल होंगे। मंदिर निर्माण के लिए हिंदू समुदाय ने तकरीबन 3200 करोड रुपए का योगदान दिया।
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