खरमास में पूजा-पाठ का है विशेष महत्व, भूलकर भी ना करें ये काम | Kharmas Kab Se Hai

हिन्दू धर्म में सूर्य देव एक ऐसे देव है जो प्रत्यक्ष रूप से विराजमान देवता है। सूर्य देवता हर माह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते है। सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करने को संक्राति कहते है। हर वर्ष में 12 संक्रातियां पड़ती है। इनमें से धनु संक्राति और मीन संक्राति का बहुत महत्व है। सूर्यदेव के धनु राशि और मीन राशि में प्रवेश के समय को खरमास या मलमास कहते है। साल भर में दो खरमास पड़ते है। आज के लेख में हम खरमास क्या होता है, कब से है, इसके महत्व और अन्य सभी पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

खरमास क्या है | Kharmas Meaning | मलमास का अर्थ

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य धनु और मीन राशि में प्रवेश करते है तो उस समय को खरमास या मलमास कहते है। खरमास एक अशुद्ध माह है, इस माह में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है। पंचांग के अनुसार साल भर में दो बार खरमास लगता है। एक बार खरमास मध्य मार्च से मध्य अप्रैल के बीच लगता है तो वहीं दूसरा खरमास दिसंबर मध्य से मध्य जनवरी तक रहता है। खरमास के समय सूर्य देव के घूमने की गति धीमी हो जाती है जिसके चलते सूर्य का प्रभाव कम हो जाता है।

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खरमास कब से है | Kharmas Kab Se Lag Raha Hai | Kharmas Kab Khatam Hoga

हिन्दू पंचांग के अनुसार जब सूर्य देव वृश्चिक राशि से निकलकर गुरू की आग्नेय राशि धनु में प्रवेश करते है तो उसे धनु संक्राति कहते है। इस समय को खरमास या मलमास कहते है। इसे अशुद्ध मास भी कहते है। मान्यता के अनुसार खरमास के दौरान सूर्यदेव के रथ के घोड़े आराम करते है और उनके रथ को खर अर्थात गधे खींचते है, इसलिए इसे खरमास कहते हैं।
खरमास 16 दिसंबर, 2022 शुक्रवार को प्रातः 10 बजकर 11 मिनट से प्रारंभ होगा। इस समय के बाद से सभी मांगलिक कार्य बंद हो जायेंगे। ऐसे में अगर आपको कोई शुभ कार्य करना है तो इस समय से पहले निपटा ले। खरमास 14 जनवरी, 2023 शनिवार को रात 8 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगा। जब भगवान सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि के प्रवेश के समय को मकर संक्रांति कहते है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। ऐसे में इस तिथि के बाद से शुभ और मांगलिक कार्य एक बार फिर शुरू हो जाते है।

प्रारंभ16 दिसंबर, 2022 शुक्रवार को प्रातः 10 बजकर 11 मिनट
समाप्त14 जनवरी, 2023 शनिवार को रात 8 बजकर 57 मिनट

खरमास में क्यों बंद होते हैं शुभ कार्य

हिन्दू धर्म में जब कभी भी कोई शुभ या मांगलिक कार्य किया जाता है तो पंचांग से शुभ मुहूर्त निकालकर ही किया जाता है। शुभ मुहूर्त में कोई भी कार्य करने से वह कार्य सफल होता है। खरमास में मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। इसके लेकर लोगों के मन में प्रश्न उठता है कि आखिर खरमास में मांगलिक कार्य क्यों नहीं किए जाते।

पंचांग के अनुसार बृहस्पति को धनु राशि का स्वामी माना गया है। ऐेसे में जब गुरू देव बृहस्पति अपनी ही राशि में प्रवेश कर जाते है तो हमारी कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर हो जाती है जिसके चलते हमारे जीवन में किये गये शुभ कार्यों का नकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना होती है। इसी कारण खरमास में मांगलिक कार्य नहीं किये जाते क्योंकि इस दौरान किये गये कार्यों का उत्तम परिणाम नहीं मिलता है। खरमास में सूर्य का स्वभाव उग्र हो जाता है जिसके चलते मांगलिक कार्यों को नहीं करना चाहिए।

खरमास की कहानी | Kharmas Ki Kahani | खरमास क्या होता है

खरमास की कहानी इसके नाम में ही निहित है। संस्कृत में खर का अर्थ होता है गधा और मास का अर्थ है महीना। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एकबार सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर बैठकर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे। ब्रह्मांड की परिक्रमा के दौरान सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं थी क्योंकि वह अगर कहीं भी रुक जाते तो पूरा जनजीवन रुक जाता। रथ के घोड़ों को लगातार चलते रहने की वजह से प्यास लग आई और वे थककर रुक गए। घोड़े की ऐसी दुर्दशा देखकर सूर्यदेव भी चिंतित होने लगे, ऐसे में वह एक तालाब के किनारे रुक गए। तालाब के किनारे उन्होंने घोड़ों को पानी पिलाया और खुद भी रुक गए। तभी उनको ऐसा आभास हुआ कि ऐसा करने से कुछ अनर्थ न हो जाए तब उनको तालाब के किनारे दो गधे खड़े नजर आए। उन्होंने घोड़ों की जगह खरों अर्थात गधों को रथ से जोड़ दिया और घोड़ों को वहीं विश्राम के लिए छोड़ दिया। खरों की वजह से रथ की गति काफी धीमी हो गई। हालांकि जैसे-तैसे करके एक महीने का समय पूरा हुआ। तब सूर्यदेव ने विश्राम कर रहे घोड़ों को रथ में लगा दिया और खरों का निकाल दिया। इस तरह हर साल यह क्रम चलता रहता है जिसके चलते हर साल में दो बार खरमास का महीना आने लगा।

खरमास में इन कामों को न करें | खरमास में वर्जित कार्य

जैसा कि आपने जाना कि खरमास में सूर्य की स्थिति कमजोर हो जाती है जिसके चलते मांगलिक कार्य बंद हो जाते है। ऐसे में खरमास के दौरान किसी भी मांगलिक कार्य जैसे-शादी, मुंडन, यज्ञोपवित्र आदि कार्य को भूलकर भी नहीं करना चाहिए। धनु राशि संपन्नता प्रदान करने वाले राशि है। जब धनु राशि में सूर्य चला जाता है तो इसे शुभ नहीं माना जाता। किसी भी विवाह में संपन्नता बहुत आवश्यक है। ऐसे में अगर आप खरमास में विवाह करते हंै तो आपको वैवाहिक जीवन में कई तरह की समस्याएं का सामना करना पड़ सकता है। आपको भावनात्मक और शारीरिक सुख दोनों का नुकसान होगा और आपका विवाह एक असफल विवाह साबित होगा।

खरमास के दौरान किसी भी प्रकार के मकान का निर्माण कार्य भी नहीं करवाना चाहिए। ना ही किसी भी प्रकार की संपत्ति की खरीद फरोख्त करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान जिन मकानों का निर्माण होता है उन मकानों का निर्माण बीच में रुक जाते हैं। अगर किसी तरह यह मकान बन भी जाते है तो इनमें दुर्घटनाएं होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
अगर आप किसी भी नये कार्य या व्यापार को शुरू करना चाहते है तो इस दौरान उसे भूलकर भी ना करें क्योंकि इस समय अगर आप कोई व्यापार शुरू करते हैं तो उसमें फायदे की बजाये नुकसान होने की संभावना ज्यादा होती है। हो सकता है आपका व्यापार बंद भी हो जाये।

खरमास में कोई भी नया अनुष्ठान जैसे यज्ञ, यज्ञोपवित्र आदि करनी की मनाही होती है। हां, आप जो पूजा रोज करते है उसे कर सकते है बल्कि इस माह में अधिक से अधिक जप, तप, साधना जरूर करना चाहिए।
खरमास के दौरान तामसिक भोजन का त्याग करना चाहिए। प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा का का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

तांबे के पात्र में पानी पीना शारीरिक व मानसिक दृष्टि से फायदेमंद होता है लेकिन खरमास के दौरान तांबे के पात्र में पानी बिल्कुल भी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इस मास में तांबे के पात्र का दान किया जाता है।

इन कामों को अवश्य करें

खरमास में शुभ कार्य करनी की मनाही होती है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं खरमास के दौरान आप कोई काम ही नहीं कर सकते है। खरमास में विवाह करने की पाबंदी होती है लेकिन अगर आप प्रेम विवाह करना चाहते हैं तो आप इसे खरमास में कर सकते है।

खरमास में पितृकर्म पिंडदान का खास महत्व है। गया में जाकर आप पिंडदान कर सकते हैं।

दान धर्म को हमेशा से हिन्दू धर्म में पवित्र माना गया है। ऐसे में खरमास में आप अगर किसी गरीब व्यक्ति को वस्त्र, धन आदि चीजों का दान करते है तो आपको उसका पुण्य प्राप्त होगा और घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। इस दौरान जप, तप, आराधना को भी सर्वोत्तम माना गया है। आस्था और श्रद्धा के साथ किये जप का कई गुना सर्वोत्तम फल प्राप्त होता है।

खरमास में सूर्य की स्थिति कमजोर हो जाती है। ऐसे में आपको सूर्यदेव की ज्यादा से ज्यादा अराधना करनी चाहिए। सूर्यदेव के मंत्र ऊँ आदित्यः नमः, ंऊँ सूर्याय नमः आदि मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करना चाहिए। जाप करते समय ध्यान रहे कि जाप को तुलसी की माला का ही प्रयोग करें।

खरमास की अवधि दौरान धार्मिक अनुष्ठान करने से अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है। खरमास में अगर आप किसी तीर्थ यात्रा पर जाते है तो आपको उसका पुण्य फल मिलता है। हिन्दू धर्म ग्रन्थों रामायण, गीता आदि को पढ़ना भी इस मास में बहुत ही फलदायक साबित होता है। खरमास में आप जितनी अधिक देव अराधना करते है। उसका फल आपको भविष्य में मिलकर ही रहता है।

खरमास में विष्णु भगवान की पूजा करना विशेष रूप से फलदायक होता है। अगर आप खरमास में प्रतिदिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करते है और उनके शक्तिशाली मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ का तुलसी की माला से जाप करना बहुत ही फलदायी होता है। इस मंत्र का वर्णन श्री विष्णु पुराण में दिया गया है। इस मंत्र का अर्थ है ओम, मैं भगवान वासुदेव या भगवान वासुदेव या भगवान विष्णु को नमन करता हूं‘‘। इस मंत्र का जाप करने वाले जातक को भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उस जातक से श्री हरि भगवान विष्णु अत्यन्त प्रसन्न होकर उनकी हर कामना को पूर्ण करते हैं।

खरमास में भगवान विष्णु की पूजा के दौरान रोज भगवान विष्णु को तुलसी के पत्तों के साथ खीर या पंचामृत का भोग अवश्य लगाएं। खरमास के दौरान जो भी एकादशी पड़े उस पर व्रत जरूर रखें।

पुराणों में उल्लेखित है कि पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है। ऐसे में इस पूरे माह में अगर आप नियमित तौर पर पीपल के वृक्ष की पूजा कर उसमें जल अर्पित कर उसके नीचे दीपक जलाते है तो आपकी ग्रह दशा सुधरती है।
खरमास में किसी नदी या सरोवर में स्नान करते है तो आपका शरीर शुद्ध होता है लेकिन अगर आप नदी में स्नान करने नहीं जा सकते तो प्रतिदिन गंगाजल मिले जल से घर पर स्नान करें। इससे आपका शरीर शुद्ध हो जायेगा और आपकी भौतिक, अध्यात्मिक एवं अनेक मनोकामनाओं की पूर्ति स्वयं ही हो जाती हैं ।

खरमास के उपाय

अगर आप कोई व्यापार कर रहे है। व्यापार में घाटा हो रहा है और आर्थिक नुकसान मिल रहा है तो खरमास में एक छोटा सा उपाय कर ले। खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन करवाएं। इसके अलावा पशुओं को चारा खिलाएं। ऐसा करने से आपकी चली आ रही आर्थिक समस्याएं दूर हो जायेगी।

खरमास मुख्यतः दिसंबर के मध्य से जनवरी के मध्य तक रहता है। इस दौरान ठंड का प्रकोप अपनी चरम सीमा पर होता है। ऐसे में अगर आप अपने खानपान की आदतों को नहीं बदलते है तो आपके शरीर को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस माह में अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए गेहूं, चावल, जौ और मूंग की दाल का सेवन अधिक से अधिक करें। इसके अलावा गुड़, तिल का सेवन करना भी फायदेमंद होता है।

आज के लेख में हमने खरमास से संबंधित सभी बातों को विस्तार से जाना। आशा करते है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। इस लेख को अपने प्रियजनों, इष्ट मित्रों के साथ शेयर अवश्य करें और ऐसी ही धार्मिक पोस्ट पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहें।

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