सफला एकादशी का व्रत, जानिए व्रत की पूरी जानकारी | Ekadashi Kab Hai

हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व है। हर माह में दो एकादशी पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में दूसरी कृष्ण पक्ष। हिन्दू धर्म के अनेक व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। हर माह पड़ने वाली एकादशी का अलग-अलग महत्व होता है। पौष माह के कृष्ण पक्ष को जो एकादशी पड़ती है उसे सफला एकादशी कहा जाता है। साल 2022 में सफला एकादशी का व्रत 19 दिसंबर 2022 को रखा जायेगा। आज के लेख में हम सफला एकादशी के शुभ मुहूर्त, व्रत की विधि, पूजा, महत्व आदि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

क्यों कहते है सफला एकादशी | Safal Ekadashi

जैसा कि नाम से ही जाहिर है सफला एकादशी। यानि हर कार्य को सफल करने वाली एकादशी। यदि आप जीवन में निरन्तर संघर्ष कर रहे है। आर्थिक स्थिति सुदृढ़़ नहीं है, कारोबार में नुकसान हो रहा है। नौकरी में सफलता नहीं मिल रही है तो सफला एकादशी के दिन अगर आप व्रत रखते है तो आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी। सफला एकदशी का दिन एक ऐसा दिन होता है, जिस दिन व्रत रखने वाले जातक के सभी दुःख समाप्त होते हैं और उसका भाग्योदय होता है। सफला एकदशी का व्रत रखने से व्यक्ति की सारी इच्छाएं और सारे सपने पूरे होते है। जीवन में समृद्धि आती है।

सफला एकादशी के दिन अगर आप अपनी सेहत से जुड़ा महाप्रयोग कर लें तो आपको उसका लाभ होता है। इस दिन व्रत करने से धन, कारोबार में लाभ मिलता है। साथ ही साथ जो दंपत्ति संतान सुख से वंचित है। अगर वह सफला एकादशी का व्रत रख ले तो श्री हरि विष्णु भगवान की कृपा से उत्तम संतान की प्राप्ति होगी।

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सफला एकादशी व्रत कथा | Safla Ekadashi Vrat Katha in Hindi | Safla Ekadashi Vrat Ki Kahani

प्राचीन काल में चंपावती राज्य में महिष्मती नाग का राजा था। राजा के पांच पुत्र थे। उस राजा का बड़ा बेटा लुंभक गलत कामों में लिप्त रहता था। नशा करना, गुरूओं का अनादर करना आदि कार्यों से राजा की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहा था। वह चरित्रहीन था। राजा ने उसे समझाकर सही राह पर लाने का बहुत प्रयास किया लेकिन वह सुधर नहीं रहा था। एक दिन उससे परेशान होकर राजा ने उसे अपने राज्य से निकाल दिया। पिता ने जब उसे राज्य से निकाल दिया तो वह जंगल में रहने लगा। एक दिन उसे तीन दिन तक भोजन नहीं मिला। भोजन की तलाश में वह एक साधु की झाोपड़ी में पहुंचा। साधु ने उससे शिष्ट व्यवहार करते हुए उसे भोजन दिया। साधु के मधुर व्यवहार से उसकी बुद्धि बदल गई। वह साधु के साथ ही रहने लगा। साधु की संगति से उसका आचरण बदल गया। वह पूजा-पाठ करने लगा और साधु के आदेश से उसने एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव के चलते धर्म मार्ग पर चलने लगा। राजा को जब इस बात का पता चला तो उसने लुंभक को राज्य वापस बुला लिया और राज्य का कार्यभार सौंप दिया। उसी दिन से सर्व कार्य में सफलता दिलाने वाला सफला एकादशी का व्रत किया जाने लगा।

सफला एकादशी शुभ मुहूर्त | Safla Ekadashi Vrat Shubh Muhurat

सफला एकादशी का प्रारम्भ 19 दिसंबर दिन सोमवार को सुबह 03 बजकर 32 मिनट से लेकर 20 दिसंबर मंगलवार को सुबह 02 बजकर 32 मिनट तक सफला एकादशी रहेगी। हिन्दू धर्म में किसी भी व्रत त्योहार पर उदया तिथि का मान रहता है। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर सफला एकादशी का व्रत 19 दिसंबर को रखना उत्तम होगा। इस दौरान दो योग भी बन रहे हैं। सफला एकादशी का अभिजित मुहूर्त 19 दिसंबर सुबह 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा जबकि चित्रा नक्षत्र में मुहूर्त 18 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 18 मिनट से 19 दिसंबर सुबह 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।

सफला एकादशी पूजा विधि | Ekadasi Puja Vidhi

सफला एकादशी के दिन श्री हरि भगवान विष्णु की पूजा-आराधना की जाती है। सफला एकादशी वाले दिन नित्य क्रियाओं से निवृत्त होने के बाद स्नान करके धुले हुए साफ वस्त्र पहनकर भगवान श्री हरि विष्णु जी के सम्मुख बैठकर एकादशी व्रत का संकल्प ले। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना चाहिए। तत्पश्चात भगवान विष्णु के सम्मुख धूप, दीप जलाए और भगवान विष्णु की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले भगवान विष्णु को जल चढ़ाएं। जल चढ़ाने के बाद भगवान को पीले रंग के फूल (गेंदा, कनेर) अर्पित करें। इसके बाद भगवान की प्रतिमा पर माला चढ़ाएं व श्री हरि की प्रतिमा पर चंदन लगाएं। भगवान विष्णु की चालीसा पढ़े और तुलसी की माला लेकर भगवान श्री हरि के शक्तिशाली मंत्र ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद एकादशी व्रत की कथा करे। तत्पश्चात भगवान विष्णु जी को फल व पंचामृत का भोग लगाएं व इस प्रसाद को सबको बांटे। एकादशी को शाम के समय इस श्री हरि का भजन अवश्य करें। भगवान विष्णु के सम्मुख अपनी मनोकामना को रखें। पूरे दिन व्रत करने के बाद अगले दिन द्वादशी पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, साम्थ्र्य अनुसार दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें। एकादशी के अगले दिन वस्त्र या अन्न का दान करना सर्वोत्तम होता है। एकादशी व्रत के पारण करने का उचित समय 20 दिसंबर सुबह 08 बजकर 05 मिनट से 09 बजकर 13 मिनट तक है। व्रत के पारण के पश्चात केवल सात्विक भोजन ही खाना चाहिए।

सफला एकादशी पर क्या करें | Safla Ekadashi Me Kya Kare

सफला एकादशी के दिन तुलसी दल युक्त खीर बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाये। इससे श्री हरि भगवान विष्णु प्रसन्न होते है और साधक की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं।

सफला एकादशी पर घर में तुलसी व आंवले का पौधा जरूर लगाये। आंवले के पौधे में श्री हरि विष्णु जी निवास करते हैं। भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। तुलसी के पौधे लगाने से घर में पवित्रता आती है लेकिन ध्यान रहे तुलसी का पौधा पूर्व दिशा में ही होना चाहिए। एकादशी वाले दिन गेंदे का फूल लगाना भी शुभ होता है। अतः सफला एकादशी के दिन घर के उत्तर दिशा में गेंदे का पौधा अवश्य लगाये।

इस एकादशी पर दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। यथासंभव आपको व्रत के पारण के पश्चात दान अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति सुधरती है।

सफला एकादशी वाले दिन गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने पर अद्वितीय फल की प्राप्ति होती है। इस पाठ को करने से पितरों का आर्शीवाद प्राप्त होता है और घर की सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।

सफला एकादशी वाले दिन घर की छत पर पीला ध्वजा जरूर लगाएं। ऐसा करने से घर में खुशहाली आती है।
जैसा कि नाम से जाहिर है सफला एकादशी यानि हर कार्य में सफलता दिलाने वाली एकादशी। इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को जीवन में उत्तम फल की प्राप्ति होती है और वह जीवन का सुख भोगकर मृत्यु के पश्चात गोकुल धाम को प्राप्त होता है।

पुराणों में वर्णित है कि सफला एकादशी वाले दिन गोधूली बेला में भजन कीर्तन करने से श्रेष्ठ यज्ञों के समान पुण्य मिलता है।

सफला एकादशी पर क्या न करें | Safla Ekadashi Par Kya Na Kare

सफला एकादशी के दिन किसी को भी अपशब्द न बोले। अगर आप भूलवश भी किसी को अपशब्द बोल देते है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति के जीवन के लिए अमगंलकारी साबित होता है।

एकादशी के दिन भूलकर भी किसी गरीब को बासी भोजन न खिलाएं। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके घर की बरकत चली जाती है।

जो जातक एकादशी का व्रत नहीं रखते है उनको भी सफला एकादशी के दिन प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा का सेवन का सेवन नहीं करना चाहिए।

एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित होता है। साथ ही साथ एकादशी की पूजा में भगवान विष्णु को चावल भी नहीं चढ़ाना चाहिए। पुराणों में ऐसा वर्णित है कि इस दिन चावल चावल खाना कीड़े खाने के बराबर होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चावल खाने वाले व्यक्ति को रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म मिलता है।

इस दिन क्रोध भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से एकादशी के व्रत का पुण्य प्रताप नहीं मिलता है। सफला एकादशी वाले दिन न बाल कटवाने चाहिए और न ही दाढ़ी बनवाना चाहिए

इस दिन पेड-पौधों की पत्तियों को भी नहीं तोड़ना चाहिए। तुलसी के पौधे से पत्ती एक दिन पहले ही तोड़ लेना चाहिए। इस दिन वृक्ष से पत्ते न तोड़ें, गिरे हुए पत्ते का प्रयोग करें।

सफला एकादशी के दिन शाम के वक्त यानी गोधूलि बेला में सोना नहीं चाहिए। इस समय भगवान श्री हरि का भजन कीर्तन करना चाहिए। इस दिन झूठ भी नहीं बोलना चाहिए।

एकादशी के दिन पति और पत्नी दोनों को ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए। इस दिन आपस में लड़ाई झगड़ा भी नहीं करना चाहिए और दोनों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए।

सफला एकदशी का महत्व | Saphala Ekadashi Importance

पीपल के वृक्ष में देवताओं का निवास होता है। ऐसे में अगर आप सफला एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष में जल देते है और उसके नीचे दिया जलाते है तो श्री हरि भगवान विष्णु अत्यन्त प्रसन्न होते है और ऐसा करने वाले जातक को भगवान श्री विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

अगर आप नौकरी ढूंढ रहे है और काफी तलाश के बाद भी आपको नौकरी नहीं मिल रही है तो सफला एकादशी वाले दिन पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करने के बाद शाम को पीपल के नीचे चैमुखा दीया बनाकर उसमें सरसों का तेल डाल कर जलाएं। ऐसा करने से आपको अतिशीघ्र नौकरी मिल जायेगी।

1 हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी उतना लाभ नहीं मिलता जितना सफला एकादशी के व्रत करने से मिलता है।

सफला एकादशी वाले दिन करें ये महाप्रयोग | Ekadashi December 2022 Maha Prayog

सफला एकादशी जीवन में सफलता दिलाने वाली एकादशी है। अगर आप अपने जीवन में किसी तरह के परेशानियों से जूझ रहे है तो इस एकादशी के दिन कुछ महाप्रयोग को करके अपने जीवन की तकलीफों को दूर कर सकते है।
अगर नौकरी में सफलता नहीं मिल रही है। प्रमोशन अटका पड़ा है तो सफला एकादशी के दिन अपने दाहिने हाथ में जल और पीले फूल लेकर नौकरी में सफलता का वरदान भगवान श्री हरि विष्णु जी से मांगे। भगवान श्री हरि के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं और उनके सम्मुख बैठकर नारायण कवच का पाठ करें। अगर आप सफला एकादशी के दिन से लगातार 11 दिन तक ऐसा करते है तो आपकी नौकरी में चली आ रही परेशानी खत्म होगी और आप सफलता का स्वाद अवश्य चखेंगे।

अगर आप आर्थिक रूप से परेशान चल रहे हैं। धन आ रहा हो लेकिन टिक न रहा हो तो सफला एकादशी के दिन से रोज सुबह जल में लाल फूल डालकर भगवान सूर्य देव को अर्पित करें। साथ ही साथ रोज शाम को अपने पूजा स्थल पर घी का चैमुखी दीपक जलाएं। ऐसा करने से चली आ रही आर्थिक परेशानी दूर होगी और आपको धन का लाभ होगा।

भगवान विष्णु के मंत्रों का करे जाप | Lord Vishnu Mantra

एकादशी के दिन दिन श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें। श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से जीवन में सफलता का आगमन होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का तुलसी की माला से जाप अवश्य जप करें।

सफला एकदशी का व्रत जीवन में सफलता प्रदान करने वाला व्रत है। सफला एकादशी के महाप्रयोग को करके आप अपने जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति प्रदान कर सकते है।

आज हमने भगवान श्री हरि के उत्तम व्रत सफला एकादशी के संबंध में सम्पूर्ण जानकारी आपको प्रदान की। आशा करते है यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे शेयर अवश्य करें जिससे हिन्दू धर्म के व्रत-त्योहारों का व्यापक प्रसार हो। ऐसे ही अन्य महत्वपूर्ण लेखों को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे।

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