महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है | Maha Shivratri Kab Hai

महाशिवरात्रि पर इन नियमों से भोलेनाथ पर चढ़ाएं बेल पत्र, मिलेगी भोलेनाथ की असीम कृपा

हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि पर्व का बहुत महत्व है। वैसे तो साल भर में कुल 12 शिवरात्रि आती हैं। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। बाकी अन्य 11 माह के कृष्ण पक्ष को जो शिवरात्रि पड़ती है वह मासिक शिवरात्रि कहलाती है। इस दिन देवों के देव महादेव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। ऐसी भी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ के 12 ज्योतिलिंग धरती पर प्रकट हुए थे। महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ के भक्त मंदिरों में शिव जी का अलग-अलग वस्तुओं से अभिषेक करते हैं और व्रत करते है। तो आईये आज के लेख में हम जानते है कि साल 2023 में महाशिवरात्रि किस दिन है, कैसे इस दिन पूजा करनी चाहिए, किस नियम से बेलपत्र चढ़ाने चाहिए आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

महाशिवरात्रि कब है | Maha Shivratri Kab Hai 2023 Me

महाशिवरात्रि को पर्व को लेकर इस बार लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग 18 फरवरी, 2023 दिन शनिवार को महाशिवरात्रि मनाने को कह रहे है तो कुछ का कहना है कि महाशिवरात्रि 19 फरवरी, 2023 दिन रविवार को मनानी चाहिए। तो आईये हम आपको बताते है कि किस दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाना चाहिए। पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि 18 फरवरी, 2023 को रात्रि 08ः03 पर शुरू होकर 19 फरवरी, 2023 दिन रविवार को शाम को 04ः19 मिनट पर समाप्त होगी। महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा निशिता काल में होती है। अगर आप नहीं जानते कि निशिता काल क्या होता है तो हम आपको बताते है कि निशिता काल रात्रि 12 बजे से भोर में 03 बजे का समय होता है। महाशिवरात्रि में त्रयोदशी के उपरांत चतुर्दशी का योग होना भी अत्यन्त शुभ होता है। ऐसे में महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी, 2023 को मनाना ही श्रेयस्कर होगा।

महाशिवरात्रि पर इस बार भोलेनाथ के भक्तों को महादेव की 2 पर्वों का लाभ मिलेगा। एक तो 18 फरवरी के दिन महाशिवरात्रि का पर्व है। वहीं इसी दिन भोलेनाथ को समर्पित प्रदोष व्रत भी है। महाशिवरात्रि के दिन प्रदोष व्रत का पड़ना इस पर्व की महत्ता को और भी बढ़ा देता है। महाशिवरात्रि पर इस बार त्रिग्रही योग भी बन रहा है। 17 जनवरी को शनिदेव ने कुंभ राशि में प्रवेश किया था। 13 फरवरी को सूर्यदेव ने भी इस राशि में प्रवेश कर लिया। 18 फरवरी को चंद्रमा भी कुंभ राशि में प्रवेश कर गये। ऐसे में चंद्रमा, सूर्य और शनि के संयोग से त्रिग्रही योग बन रहा है। ज्योतिषयों के अनुसार यह संयोग बहुत ही दुर्लभ होता है। शनिवार 18 फरवरी को दोपहर 03ः35 मिनट से सिद्धि योग भी बन रहा है। इन सभी योगों के मिलने से महाशिवरात्रि का महत्व और भी बढ़ा जाता है।

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महाशिवरात्रि पर इस तरह करें पूजा | Maha Shivratri Puja Vidhi | MahaShivratri Pujan Vidhi

महाशिवरात्रि पर ब्रहम मुहूर्त में उठ जाएं। नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान कर लें। स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनकर घर के पूजाघर में जाकर महाशिवरात्रि पूजन की सामग्री इकट्ठा कर लें। हर पूजा को करने का अपना नियम होता है और उसमें अलग-अलग पूजन सामग्री का उपयोग होता है। महाशिवरात्रि की पूजा चार पहरों में की जाती है। इन चारों पहरों में भोलेनाथ की अलग-अलग तरीकों से पूजा की जाती है। भोलेनाथ की पूजा करने से पहले पूजन सामग्री गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, इत्र, अगरबत्ती, अक्षत, धूपबत्ती आदि एक जगह इकट्ठा कर लें। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और शक्कर को मिलाकर पंचामृत बना लें। इसके बाद भोलेनाथ के मंदिर जाकर गंगाजल से, दूध से, पंचामृत दही से शिवलिंग का अभिषेक करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय हमेशा पीतल, चांदी और कांसे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके बाद भोलनाथ को बेलपत्र अर्पित करें। ध्यान रहें बेलपत्र कटे-फटे ना हो व साफ और स्वच्छ धुले हुए हो। बेलपत्र 11, 21 और 51 के क्रम में ही चढ़ाएं। बेलपत्र चढ़ाने के भी कुछ नियम होते हैं जिनके बारे में मैं आपको इस लेख में आगे बताऊंगा। बेलपत्र चढ़ाते समय शिवजी के मंत्रों का जाप करते रहे। ये मंत्र हैं-


ऊँ नमोः शिवाय

महामृत्युजय मंत्र

ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम।
उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।

भोलेनाथ को भांग, धतूरा अर्पित करें। धूप, दीप नैवेद्य दिखाएं।

शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येऽहं महाफलम। निर्विघ्नमस्तु से चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते।‘

इस श्लोक को पढ़कर भोलेनाथ के व्रत का संकल्प लें। महाशिवरात्रि की कथा पढ़े। तत्पश्चात भोलेनाथ की आरती “ऊँ जय शिव ओंकारा करें“। भोलेनाथ के सम्मुख अपनी मनोकामना को रखें। भोलेनाथ शिव शंकर को प्रसाद चढ़ाये। इस प्रसाद को अपने घर के सभी लोगों में वितरित करें।

महाशिवरात्रि की व्रत कथा | Maha Shivratri Vrat Katha | MahaShivratri Story in Hindi

महाशिवरात्रि की कथा के बारे में शिव पुराण में बताया गया है। इस कथा के अनुसार पुरातन समय में एक शिकारी जानवरों का शिकार करके अपने बाल-बच्चों को पालता था। एक बार की बात है वह जंगल में शिकार के लिए गया लेकिन उसे कोई शिकार नहीं मिला। शाम होते-होते जब उसे कोई शिकार नहीं मिला तो थक हारकर उसने बेल के वृक्ष के ऊपर अपना पड़ाव बना लिया। उस पेड़ पर बैठने के लिए उसने कुछ बेल पत्रों को हटाया जो उस बेल के नीचे स्थित शिवलिंग पर गिर गये। शिकारी को अपने शिकार की तलाश करते काफी देर हो गई लेकिन शिकारी को कोई शिकार नहीं मिला तो वह बेलपत्रों की टहनियों को तोड़कर नीचे फेकता रहा जो शिवलिंग पर अर्पित हो गई। दिन भर भूखे रहने के चलते उससे व्रत हो गया और बेलपत्र भी चढ़ गया। उस दिन शिवरात्रि का पर्व था संयोग से उससे पूजा भी हो गई और व्रत भी हो गया। थोड़ी देर बाद उसे एक गर्भवती मृगी दिखाई दी। उसने जैसे ही धनुष चढ़ाया तो उस मृगी ने अपने गर्भ का वासता देकर उससे उसका शिकार ना करने को कहा और बच्चे को जन्म देकर वापस आने का आश्वासन दिया। शिकारी ने मृगणी को छोड़ दिया। धनुष रखने के दौरान कुछ बेलपत्र फिर से शिवलिंग पर आ गिरे। थोड़ी देर बाद उसे एक हिरणी दिखी उसने फिर धनुष चढ़ाया तो हिरणी ने अपने पति से मिलकर वापस आने पर शिकार करने को कहा। शिकारी ने उसका भी शिकार नहीं किया। पर वह सोचने लगा चलो दो शिकार तो मिल गये। रात्रि के अंतिम प्रहर में उसे एक हिरणी अपने बच्चों के साथ दिखी। शिकारी ने फिर धनुष ताना पर हिरणी ने अपने बच्चों को बख्श देने की विनती शिकारी से दी उसने कहा कि इन बच्चों को अपने पति को देकर आने के बाद मेरा शिकार कर लेना। शिकारी को दया आ गई उसने उसे भी जाने दिया। भूखा-प्यासा शिकारी बेलपत्र को तोड़कर शिवलिंग पर फेंकता रहा। शिकार का इंतजार करते-करते सुबह हो गई। शिकारी को एक हिरण तालाब के पास दिखाई दिया उसने धनुष चढ़ाकर उस हिरण को मारने का मन बना लिया। हिरण ने कहा कि अगर तुमने मुझसे पहले आये तीन हिरणों और उनके बच्चों का वध कर दिया हो तो मुझे भी मार डालो। मैं उनका पति हूं। मैं उन सबसे मिलकर वापस तुम्हारे पास आऊँगा। तब तुम मेरा शिकार कर लेना। हिरण का दीन स्वर सुनकर शिकारी ने उसे भी छोड़ दिया। थोड़ी देर बाद हिरण सपरिवार शिकारी के सामने आ गया जिससे वह उसका शिकार कर सके। हिरण की सत्यता देखकर शिकारी का हदय पिघल गया। उसने उसके परिवार को ना मारकर सदा के लिए हिंसा को छोड़ने का प्रण किया। महाशिवरात्रि के दिन अंजाने में शिकारी से चारों प्रहरों की पूजा करने से भोलेनाथ बहुत प्रसन्न हुए। भोलेनाथ की कृपा से मृत्यु के बाद शिकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई।

महाशिवरात्रि व्रत में क्या खाएं | Maha Shivratri Vrat Me Kya Khaye

महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने वाले जातक को पूरे दिन कुछ भी नहीं खाना चाहिए। अगर आपको खाली पेट गैस या एसिडिटी की समस्या होती हो तो दिन में फलाहार कर सकते हैं। फलाहार में आप फल, ड्राई फ्रूट, मूंगफली आदि खा सकते है। रात में खाना खा लेना चाहिए क्योंकि शिवरात्रि के व्रत का पारण उसी दिन होता है। खाने में आप कुटू की पूड़ी, साबुदाने की खीर, आलू की सब्जी खा सकते है। खाने में साधारण नमक का उपयोग नहीं करना है सिर्फ सेंधा नमक का ही उपयोग करें।

महाशिवरात्रि इस तरह चढ़ाएं बेलपत्र | Bel Patra on Shivling

महाशिवरात्रि के दिन बहुत सारी चीजें होती है जिनको भोलेनाथ के भक्त चढ़ाकर शिव शंकर भगवान का आर्शीवाद प्राप्त करते हैं। इन्हीं चीजों में एक सबसे उत्तम चीज है बेलपत्र। बेलपत्र भोलेनाथ को बहुत प्रिय है। भगवान शिव शंकर को हर भक्त बेलपत्र अर्पित करता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का भी एक नियम होता है। इस नियम से अगर आप बेलपत्र शिव जी को चढ़ाते है तो आपको लाभ मिलता है।

महाशिवरात्रि पर जो भी बेलपत्र भोलेनाथ को चढ़ाना चाहिए। उसकी दिशा का ध्यान विशेष रूप से रखना चाहिए। बेलपत्र के हमेशा चिकने भाग को ही शिवलिंग पर रखना चाहिए।

भोलेनाथ को हमेशा 3 पत्र वाला बेलपत्र ही चढ़ाना चाहिए। 3 पत्रों वाले बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव शंकर को शांति मिलती है, भोलेनाथ बहुत प्रसन्न होते है और अपने भक्तों की मनवांछित मनोकामना को पूरी करते है।

बेलपत्र चढ़ाते समय हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली का प्रयोग करना चाहिए। बेलपत्र अर्पित करने से पहले शिव जी का जल से अभिषेक करना चाहिए। तत्पश्चात बेलपत्र अर्पित करना चाहिए। बेलपत्र कभी भी अशुद्ध नहीं होता है। अगर पहले किसी ने बेलपत्र पहले चढ़ा दिया है तो उसे फिर से धोकर चढाया जा सकता है। जब भी आप शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं तो दूसरे के बेलपत्र उस पर से कभी भी नहीं हटाना चाहिए।

महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ पर बेलपत्र अर्पित करते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए। यह मंत्र है-

‘‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पण।।‘‘

महाशिवरात्रि पर जो भी भक्त भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाता है उसकी धन संबंधी समस्या दूर हो जाती है। अगर पति-पत्नी एक साथ मिलकर महाशिवरात्रि को सच्ची श्रद्धा से भगवान शिव पर बेलपत्र चढ़ाते है तो उनके वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है और भोलेनाथ के आर्शीवाद से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

महाशिवरात्रि का महत्व | Mahashivratri Ka Mahatva Kya Hai

महाशिवरात्रि का पर्व वह दिन होता है जिस दिन भोलेनाथ के भक्त उनके निर्मित जप, तप और व्रत करते हैं। भोलेनाथ की आराधना करते हैं। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जो भी भक्त भोलनाथ का सच्चे मन से आराधना करता है और व्रत करता है उस साधक को मृत्यु के उपरांत मोक्ष फल की प्राप्ति होती है। इस तरह महाशिवरात्रि के व्रत को करने से मनुष्य का उद्धार होता है। व्रत रखने वाले जातक के जीवन से सभी दुख, बाधाएं दूर हो जाती है। जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

शिव जी की साधना से घर में सुख-सौभाग्य आता है, धन-धान्य में बढ़ोत्तरी होती है। भगवान आशुतोष जगत के कल्याण करने वाले है। नीलकण्ठ भोलेनाथ की आज के दिन सच्चे मन से पूजा-आराधना करने वाले भक्त को जीवन में कभी भी दुखों का सामना नहीं करना पड़ता।

महाशिवरात्रि पर ध्यान और साधना का विशेष महत्व होता है। अगर आप पूरे साल साधना नहीं कर सकते हैं तो कम से कम आज रात जागकर साधना अवश्य करें। शिवरात्रि वाले दिन निशीथ काल में पूजा आराधना करने से जीवन को नया दृष्टिकोण मिलता है।

महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक का भी विशेष महत्व है। इस दिन किसी पंडित को बुलाकर शिव शंकर भोलेनाथ का रूद्राभिषेक करना चाहिए। मंदिरों में भी इस अवसर पर रूद्राभिषेक होता है। आप किसी मंदिर में भी जाकर रूद्राभिषेक में भाग ले सकते हैं।

जैसा कि हमने आपको बताया कि महाशिवरात्रि की पूजा चार पहरों में की जाती है। आईये जानते हैं कि इन चारों पहरों में किस तरह भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए।

प्रथम पहर में शिवलिंग का दूध से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद “ऊँ हीं ईशानाय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।

द्वितीय पहर में शिवलिंग का दही से अभिषेक करते हुए ऊँ ही अघोराय नमः मंत्र का निरन्तर जप करते रहना चाहिए।

तृतीय पहर में घृत से अभिषेक कर ऊँ हीं वामदेवाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।

अन्त में चतुर्थ पहर में शहद से भोलेनाथ को अभिषेक कर ऊँ हीं सद्योजाताय नमः मंत्र का जाप करें।

महाशिवरात्रि के उपाय | Maha Shivratri Upay

महाशिवरात्रि के कुछ उपाय है। अगर इन उपायों को आप महाशिवरात्रि के दिन कर लेते हैं तो आपके जीवन में भोलेनाथ के आर्शीवाद से खुशहाली का संचार होगा।

  • महाशिवरात्रि के दिन लाल पेन से एक कागज पर अपनी मनोकामना को लिख दे। इस कागज को मोड़कर घर के बाहर या किसी पार्क में जाकर जमीन के नीचे जाकर दबा दे। उस जगह पर एक पौधा लगा दें। नियमित रूप से उस पौधे को पानी दे। जैसे-जैसे वह पौधा बड़ा होगा, वैसे-वैसे आपकी मनोकामना भी पूर्ण होने लगेगी।
  • पंचमुखी रूद्राक्ष को अपने बाएं हाथ में रखकर दाएं हाथ से उसे बंद कर दे। मन ही मन अपनी मनोकामना को बोले। इसके बाद इसे घर में कहीं ले जाकर रख दें और दिन में एक बार इसको अवश्य देखें।
  • शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ का शहद से अभिषेक करने वाले श्रद्धालु पर भोलेनाथ की कृपा रहती है और भोलेनाथ के आर्शीवाद से उसके जीवन की समस्त समस्याएं दूर होती हैं।
  • अगर आर्थिक समस्या का सामना कर रहे हो तो शिवरात्रि के दिन दही से भोलेनाथ का अभिषेक करें। अभिषेक करते समय 108 बार माता पार्वती के मंत्र ऊँ पार्वती पतये नमः का जाप करते रहे। ऐसा करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और जीवन में कभी भी कोई संकट का सामना नहीं करना पड़ता।

निष्कर्ष

महाशिवरात्रि जिसका अर्थ है महा अर्थात महान और शिवरात्रि यानी शिव की रात अर्थात शिव की आराधना की रात्रि। मान्यता है कि जो भी भक्त इस दिन सच्चे मन से भोलेनाथ की उपासना करता है उस जातक का जीवन पूरी तरह बदल जाता है। उसकी रूठी हुई किस्मत जागृत हो जाती है और उसे भोलेनाथ का आर्शीवाद प्राप्त होता है। भोलेनाथ के अनगिनत भक्त है उन सभी के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बेहद खास होता है। तो भक्तों यह भी भोलेनाथ के पवित्र व्रत महाशिवरात्रि की पूरी जानकारी। आपको यह जानकारी अवश्य अच्छी लगी होगी। इसे अपने परिजनों के साथ सोशल मीड़िया पर साझा अवश्य करें जिससे हिन्दू धर्म के व्रत, त्योहारों का व्यापक प्रचार प्रसार हो। ऐसे ही आध्यात्मिक लेखों को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहें। जयश्रीराम

FAQ :

Q.1. महाशिवरात्रि कब है?

Ans. महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी, 2023 को हैं। इस दिन भोलेनाथ के भक्त भगवान शिव शंकर की आराधना करते हैं और उनके निर्मित व्रत करते हैं।

Q.2. महाशिवरात्रि पर किसकी पूजा करे

Ans. महाशिवरात्रि वाले दिन भोलेनाथ की पूजा की जाती है। इस दिन भोलेनाथ के भक्त शिवलिंग पर दूध, दही, शहद से भोलेनाथ का अभिषेक करते है।

Q.3. महाशिवरात्रि के दिन क्या खाए.

Ans. महाशिवरात्रि वाले दिन एक ही समय फलाहार करे। महाशिवरात्रि के व्रत में सादा नमक खाना वर्जित होता है। व्रत में सफेद नमक इसलिए नहीं खाया जाता क्योंकि सफेद नमक केमिकल बेस्ड होता है यानी इसे शुद्ध नहीं माना जाता। ऐसे में व्रत रहने वाले जातकों को सेंधा नमक यानी राॅक साॅल्ट का सेवन करना चाहिए।

Q.4. क्या शिवरात्रि व्रत में सोना चाहिए?

Ans. महाशिवरात्रि का व्रत रखने वाले जातकों को रात में सोना नहीं चाहिए। पूरी रात साधना करना चाहिए और शिव जी की आराधना करनी चाहिए।

Q.5.महाशिवरात्रि पर पूरे दिन क्या करे?

Ans. महाशिवरात्रि पर पूरे दिन भगवान शिव के मंत्र ऊँ नमोः शिवाय, शिव रूद्राष्टक और शिव तांडव सत्रोत का पाठ करना चाहिए। महामृत्युत्यजंय मंत्र का जाप करना भी श्रेयस्कर होता है। शिव जी का रूद्राभिषेक मंदिर में जाकर या घर पर ही जरूर करना चाहिए।

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