हिंदू धर्म में राशि का बहुत महत्व होता है। राशि के आधार पर किसी व्यक्ति के स्वभाग, आचरण का पता लगाया जा सकता है। हर व्यक्ति की दो राशियां होती है, एक जन्म के आधार पर निर्धारित होती है और दूसरी पुकारने वाली राशि। राशि शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है समूह। आज के लेख में हम राशि क्या है, कितनी होती है राशियां, कैसे राशि का निर्धारण आदि के विषय में जानेंगे।
राशि क्या है | Rashi Kya Hota Hai | Nakshatra in Hindi
ब्रह्मांड अनगिनत तारों, ग्रहों, उपग्रहों और पिण्डों से भरा हुआ है। दूर से देखने से तारों के वहां ढेरो समूह हैं,। इन तारों की अलग-अलग आकृतियां प्रतीत होती हैं। तारों के इन्ही समूह को नक्षत्र कहा जाता है। आकाश मंडल में इस तरह के 27 समूह हैं, जिन्हें 27 नक्षत्र कहते हैं। इन नक्षत्रों के अलग-अलग गुण धर्म हैं। इन 27 नक्षत्रों को 12 भाग यानी नक्षत्रों के छोटे-छोटे समूह में विभाजित किया गया है। यही 12 भाग यानी नक्षत्रों के छोटे-छोटे 12 समूह राशि कहलाते हैं।
राशि का निर्धारण कैसे होता है | Rashi ka Nirdharan Kaise Hota Hai
ज्यादातर लोग राशि को लेकर असमंजस की स्थिति में रहते है। इसका कारण यह है कि कुछ लोग पुकारने वाले नाम के अनुसार राशि का अंदाजा लगाते हैं तो कुछ चंद्र राशि के अनुसार। वहीं पश्चिमी ज्योतिष में सूर्य राशि के अनुसार राशि का निर्धारण होता है, लेकिन इनमें से सबसे ज्यादा प्रभावी क्या है। इसको लेकर अलग-अलग लोगों में अलग-अलग अवधारणा है। भारतवर्ष में चंद्र राशि को ज्यादा अहमियत दी जाती है क्योंकि ज्योतिष में चंद्र ग्रह को मन का कारक माना गया है। वहीं सूर्य ग्रह को आत्मविश्वास और आत्मा का कारक माना गया है। यही कारण है कि भारतीय ज्योतिष व वैदिक ज्योतिष में चंद्र राशि को ज्यादा महत्व दिया जाता है। चंद्र राशि के द्वारा व्यक्ति की भावनाएं पता चलती है इसलिए इससे ज्यादा सटीक तरीके से व्यक्ति के गुणों और व्यक्तित्व के बारे में पता लगाया जा सकता है। इसके उलट पाश्चात्य ज्योतिष सूर्य राशि को राशि मानते हैं। यानी हमारे जन्म के समय सूर्य जिस राशि में विराजमान हो वही हमारी राशि माना जाएगा। सूर्य राशि से हम बाहरी व्यक्तित्व के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। पर मन, बुद्धि, घन, सफलता आदि के आकलन के लिए चंद्र राशि ही महत्वपूर्ण है।
राशि के प्रकार | Types of Rashi in Hindi | Types of Zodiac
राशि के 12 प्रकार होते हैं। ये राशियां होती है, मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन। इन सभी राशियों का स्वामी भी अलग-अलग होता है। ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक राशि के स्वामी ग्रह होते हैं। सूर्य और चंद्रमा दोनों एक-एक राशि के ग्रह माने जाते हैं, लेकिन गुरु, शुक्र, शनि, मंगल, बुध को दो-दो राशियों का अधिपत्य प्राप्त हैं।
1 | मेष राशि का स्वामी ग्रह | मंगल |
2 | वृषभ राशि का स्वामी | शुक्र |
3 | मिथुन राशि का स्वामी | बुध |
4 | कर्क राशि का स्वामी | चंद्रमा |
5 | सिंह राशि का स्वामी | सूर्य |
6 | कन्या का स्वामी | गुरु, |
7 | तुला का स्वामी | शुक्र |
8 | वृश्चिक का स्वामी | मंगल |
9 | धनु का स्वामी | बुध |
10 | मकर का स्वामी | शनि |
11 | कुंभ का स्वामी | शनि |
12 | रमीन का स्वामी | गुरू |
नाम के अनुसार राशी | Rashi by Name
1 | मेष राशि के वाले व्यक्तियों के नाम की शुरूआत – Kumbh Rashi | अ,च, चू, चे, ला, ली, लू, ले स होती है। |
2 | वृषभ वाले व्यक्तियों के नाम की शुरूआत – Vrishabha Rashi | उ, ए, ई, औ, द, दी |
3 | मिथुन राशि वाले जातकों के नाम की शुरूआत के, को, क, घ, छ, ह, ड से होती है। – Mithun Rashi | के, को, क, घ, छ, ह, ड से होती है। |
4 | कर्क राशि वाले व्यक्तियों के नाम की शुरूआत – Kark rashi | ह, हे, हो, डा, ही, डो से होती है। |
5 | सिंह राशि वाले व्यक्तियों का नाम – Singh Rashi | म, मे, मी, टे, टा, टी से |
6 | कन्या वाले व्यक्ति के नाम – Kanya Rashi | प, ष, ण, पे, पो, प से |
7 | तुला राशि वाले व्यक्तियों के नाम – Tula Rashi | रे, रो, रा, ता, ते, तू से |
8 | वृश्चिक वाले व्यक्ति – Vrishchik rashi | लो, ने, नी, नू, या, यी |
9 | धनु वाले व्यक्ति के नाम – Dhanu Rashi | धा, ये, यो, भी, भू, फा, ढा से |
10 | मकर वाले व्यक्ति के नाम – Makar Rashi | जा, जी, खो, खू, ग, गी, भो से, |
11 | कुंभ वाले व्यक्ति के नाम – Kumbh Rashi | गे, गो, सा, सू, से, सो, द, |
12 | मीन वाले व्यक्तियों के नाम की शुरूआत – Meen Rashi | दी, चा, ची, झ, दो, दू से होती है। |
कैसे पता करें अपनी राशि | Apni Rashi Kaise Pata Kare | Apni Rashi Kaise Jane
बच्चे के जन्म लेकर करियर और विवाह सभी में राशि और कुंडली जरूरी होते हैं। हर व्यक्ति के मन में यह जिज्ञासा रहती है कि उसकी राशि क्या है? तो हम आपको बता दे कि किसी व्यक्ति की जन्मतिथि, जन्म का समय, वर्ष और स्थान आदि के आधार पर उसकी राशि का आसानी से पता लगाया जा सकता है। आप इस विवरण को किसी ज्योतिष को बताकर अपनी राशि और कुंडली के बारे में पता लगा सकते है। इतना ही नहीं आप स्वयं भी अपनी कुंडली बना सकते है। इसके लिए कई सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं जिनमें अपना विवरण भरकर आप आसानी से अपनी कुंडली बना सकते हैं और राशि के बारे में जानकारी कर सकते हैं।
रशि का महत्व | Importance of Rashi | Importance of Zodiac Signs Hindi
हर व्यक्ति की दो राशियां होती है एक वो जो उसके जन्म से जुड़ी है और दूसरी वह जो उसके बुलाने के नाम के अनुसार हो जाती है। इन दोनों राशियों का अपना-अपना महत्व है। ज्योंतिष शास्त्र में एक श्लोक वर्णित है जिसके आधार पर आसानी से आप जान सकते है कि किस राशि का कितना महत्व है।
“विद्यारम्भे विवाहे च सर्व संस्कार कर्मषु।
जन्म राशिः प्रधानत्वं, नाम राशि व चिन्तयेत्।।”
जन्म राशि और नाम राशि | Rashi by name | Rashi By Name
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस श्लोक का अर्थ है कि विद्या आरंभ करते समय, विवाह के समय, यज्ञोपवीत आदि संस्कारों में जन्म राशि को देखा जाता है, जबकि दैनिक राशिफल के लिए आप नाम राशि का प्रयोग कर सकते हैं। यहां आपको ये भी जानना जरूरी है कि दोनों राशियों में क्या अंतर होता है। जन्म के समय जिस बच्चे का जिस नक्षत्र में जन्म होता है उसके अनुसार रखे जाने वाले नाम से जो राशि बनती है उसे जन्म राशि कहा जाता है और जो नाम अपनी इच्छा से बुलाने का रखा जाता है उस नाम के पहले अक्षर से जो राशि बनती है उसे नाम राशि कहा जाता है।
तत्वों के आधार पर राशियों का वर्गीकरण | Rashi Tatva in Hindi
तत्वों के अनुसार राशियों का वर्गीकरण तत्वों के आधार पर सभी बारह राशियों को चार भागों में बाँटा गया है। यह चार तत्व अग्नि, पृथ्वी, वायु तथा जल है. जो राशि जिस तत्व में आती है उसका स्वभाव भी उस तत्व के गुण धर्म के अनुसार हो जाता हैं। अग्नि तत्व मेष, सिंह व धनु राशियां इस वर्ग में आती हैं। अग्नि तत्व वाले जातक दृढ़ इच्छा शक्ति वाले, कर्मशील और गतिशील रहते हैं। अग्नि के समान ज्वाला भी इनमें देखी जा सकती है और हर कार्य में ये जल्दबाजी करते है। किसी काम को टालते नहीं हे।
पृथ्वी तत्व में वृष, कन्या व मकर राशियां इस वर्ग में आती हैं। इस राशि वाले जातक पृथ्वी के समान ही सहनशील होता है,मेहनती होता है। जमीन से जुड़ा होता है। धैर्य भी बहुत रहता है, संतोषी होता है तथा व्यवहारिक भी होता है। सांसारिक सुख चाहता है लेकिन समस्याओं के प्रति उदासीन रहता है।
मिथुन, तुला तथा कुंभ राशियाँ वायु तत्व में आती हैं। इस राशि का व्यक्ति वायु की तरह हवा में बहुत बहता है अर्थात अत्यधिक विचारशील होता है, सोचना अधिक लेकिन करना कम। कल्पनाशील बहुत होता है लेकिन इन्हें बुद्धिमान भी कहा जाएगा। अनुशानप्रिय होने के साथ विचारों को हवा बहुत देते है. मन के घोड़े दौड़ाते ही रहते हैं।
जलतत्व में कर्क, वृश्चिक तथा मीन राशियाँ आती हैं। यह अत्यधिक भावुक तथा संवेदनाओं से भरे हुए रहते हैं। शीघ्र ही बातों में आने वाले होते हैं और खुद भी बातूनी होते हैं। स्वभाव से लचीले होते हैं और जिसने जो कहा वही ठीक है, अपने विचार इसी कारण ठोस आधार नहीं रखते हैं। मित्र प्रेमी होते हैं और स्वाभिमान भी इनमें देखा जा सकता है। इसे इस तरह समझते है कि जैसे उदाहरण के लिए किसी जातक की राशि जलतत्व है तब उसके स्वभाव में जल के गुण पाएं जाएंगे जैसे कि वह स्वभाव से लचीला हो सकता है और परिस्थिति अनुसार अपने को ढालने में सक्षम भी हो सकता है. जल की तरह नरम होगा तथा भावनाएँ भी कूट-कूटकर भरी होगी इसलिए शीघ्र भावनाओं में बहने वाला होगा। इसी तरह से अन्य राशियों के गुण भी उनके तत्वानुसार होगें।
आईये हम स्वभाव के अनुसार राशियों को समझने का प्रयास करते हैं।
स्वभाव के अनुसार राशियों का वर्गीकरण | Rashi By Swabhav | Rashi by Character
स्वभाव के अनुसार राशियों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है। चर, स्थिर तथा द्विस्वभाव राशि। हर श्रेणी में चार-चार राशियाँ आती है और इन श्रेणियों के अनुसार ही इनका स्वभाव भी होता है।
चर राशि | Char Rashi
मेष, कर्क, तुला व मकर राशियाँ इस श्रेणी में आती है. जैसा नाम है वैसा ही इन राशियों का काम भी है। चर मतलब चलायमान तो इस राशि के जातक कभी टिककर नहीं बैठ सकते हैं। हर समय कुछ ना कुछ करते रहते हैं। इस राशि के जातको में आलस बिल्कुल भी नहीं होता है। ये लोग क्रियाशील व गतिशील रहते है। इस राशि का जातक परिवर्तन पसंद करते हैं और एक स्थान पर टिककर नहीं रह पाते हैं। ये तुरन्त निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं।
स्थिर राशि | Sthir Rashi
वृष, सिंह, वृश्चिक व कुंभ राशियाँ इस श्रेणी में आती हैं.। इनमें आलस का भाव देखा गया है इसलिए अपने स्थान से ये आसानी से हटते नहीं हैं। इन्हें बार-बार परिवर्तन पसंद नहीं होता है। धैर्यवान होते हैं और यथास्थिति में ही रहना चाहते हैं। इनमें जिद्दीपन भी देखा जा सकता है। कोई भी काम जल्दबाजी में नहीं करते और बहुत ही विचारने के बाद महत्वपूर्ण निर्णय लेते है।
द्विस्वभाव राशि |
मिथुन, कन्या, धनु व मीन राशियाँ इस श्रेणी में आती है। इन राशियों में चर तथा स्थिर दोनों ही राशियों के गुण देखे जा सकते हैं। इनमें अस्थिरता रहती है और शीघ्र निर्णय लेने का अभाव रहता है. इनमें अकसर नकारात्मकता अधिक देखी जाती है।
मांगलिक दोष क्या होता है | Manglik Dosha Kya Hai | Manglik in Hindi | Manglik Meaning in Hindi
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल भारी होते हैं। वे मांगलिक या उनके ऊपर मंगल दोष रहता है। जन्म कुंडली के अध्ययन से कुंडली के प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव तथा द्वादश भाव में से किसी भी भाव में मंगल का होना कुंडली को मांगलिक बना देता है। मांगलिक जातक का विवाह भी मांगलिक जातक से होता है। जब भी किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह भारी होते है तब वह व्यक्ति मांगलिक कहलाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ऐसा वर्णित है कि जो जातक मांगलिक होते हैं, उनका स्वभाव गुस्सैल होता है। बात-बात में उन्हें जल्दी गुस्सा आ जाता है। लेकिन ऐसे जातकों में भूमि से संबंधित कोई भी कार्य करने पर उन्हें बहुत ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।
कुंडली में मंगल ग्रह भारी होने पर दांपत्य जीवन में कठिनाई आती है जिसके लिए बहुत से उपाय भी ज्योतिषाचार्य बताते है। अगर आपकी कुंडली में मंगल ग्रह भारी है तो इसके प्रभाव को कम करने के लिए मांगलिक लोगों को भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।
मंगल के अशुभ प्रभाव को करने के लिए ज्योतिष में कुछ उपाय बताए गए हैं, जिनमें मुख्य रूप से मूंगे को धारण करना और गेहूं, मसूर की दाल, तांबा, सोना, लाल फूल, लाल वस्त्र, लाल चंदन, केशर, कस्तुरी, लाल बैल, भूमि आदि का दान करें।
राशि का प्रभाव व्यक्ति के गुण, स्वभाव, उसके आचरण आदि पर प्रभावी रूप से पड़ता है इसलिए ही जन्म के समय नाम रखते समय बहुत विचार किया जाता है। अगर आपको ये लेख अच्छा लगा तो इसे शेयर अवश्य करें।
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