महाकालेश्वर की अनोखी है महिमा, जानिए महाकाल के बारे में सभी कुछ
हिन्दू धर्म में बहुत सारे प्राचीन मंदिर और तीर्थ स्थान है। इन तीर्थ स्थानों में भोलेनाथ के शिवालयों की महिमा अपरम्पार है। देश भर में भोलेनाथ के मंदिरों और शिवालयों की संख्या लाखों में है। इन्हीं शिवालयों में भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग भी आते है। ये ज्योतिर्लिंग देश के अनेक राज्यों में स्थापित है। इन सभी ज्योतिर्लिंगों का अपना-अपना महत्व है। मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिगों में भगवान शिव ज्योति के रूप में विद्यमान है। इन्हीं ज्योतिर्लिगों में से एक है भोलेनाथ का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) । महाकाल का ज्योतिर्लिंग एक स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है अर्थात यह शिवलिंग स्वयं उत्पन्न हुआ है। आज के लेख में हम भोलेनाथ के इसी ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर की महिमा, इसका इतिहास, दर्शन के नियम आदि के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
महाकाल मंदिर कहां है | Mahakal Mandir Kaha Sthit Hai
मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के तट पर भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। इसकी इंदौर से दूरी 50 किमी और भोपाल से लगभग 300 किमी है। इस मंदिर की भस्म आरती समस्त विश्व में विख्यात है। इस मंदिर में रोजाना देश और विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन को आते है। कहा जाता है कि काल उसका क्या करें जो भक्त हो महाकाल का। यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज होते है। ऐसे में दक्षिण मुखी होने के चलते देवों के देव महाकाल के दर्शन मात्र से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
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महाकाल मंदिर का इतिहास | Mahakal Mandir History | महाकाल की उत्पत्ति कैसे हुई
महाकाल मंदिर के इतिहास के बारे में सही-सही जानकारी मौजूद नहीं है। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि महाकाल मंदिर की स्थापना द्वापर युग में हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण का पालन पोषण करने वाले पिता नंद जी के आठ पीढ़ी पूर्व इस मंदिर की स्थापना होने की बात कही जाती है। शिवपुराण में भी इस ज्योतिर्लिंग के बारे में बताया गया है। इसके अनुसार इसकी स्थापना गोप नामक बालक ने की। मुगलों और ब्रिटिश शासन के अधीन रहते हुए भी इस सनातन मंदिर ने अपनी पहचान नहीं खोई।
14वीं और 15 वीं समय के प्राचीन ग्रंथों में भी इस मंदिर के बारे में जानकारी मिलती हैं। 18वीं सदी के चैथे दशक ने मराठा राजा पेशवा ने उज्जैन पर शासन करने के लिए अपने सरदार रणजी शिंदे को जिम्मेदारी दी। रणजी शिंदे ने 18वीं सदी के पांचवे दशक में इस मदिर का पुर्नरत्थान किया था। वर्तमान समय में महाकाल मंदिर का जो स्वरूप है वह रणजी शिंदे द्वारा ही बनवाया हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने महाकाल कारिडोर का निर्माण कराकर इसे एक नये स्वरूप दे दिया है।
महाकाल मंदिर का स्वरूप | Ujjain Mahakal Ka Mandir Kaisa Hai
पुरातन समय में महाकाल मंदिर 2 हेक्टेयर में स्थित था। इसका पुननिर्माण करके इसके परिसर को बढ़ाकर 20 हेक्टेयर कर दिया गया है। महाकाल मंदिर का प्रवेश द्वार काफी बड़ा और विशाल है। मंदिर के पीछे की तरफ रूद्रसागर स्थित है जहां पर देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थित है। रूद्रसागर के चारो तरफ ऊँची-ऊँची दीवारे है। इन दीवारों पर म्यूरल बनाएं गये है जो कि पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहते है। महाकाल मंदिर का मुख्य भाग तीन भागों में बंटा हुआ है। सबसे नीचे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। मध्य में ओकांरेश्वर शिवलिंग है जबकि सबसे ऊपर की तरफ नागचंद्रेश्वर मंदिर है जिसके दर्शन सिर्फ नागपंचमी के दिन हो सकते है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान महाकालेश्वर का बहुत बड़ा दक्षिणमुखी शिवलिंग है। गर्भगृह में ही माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की बहुत ही सुन्दर प्रतिमाएं मौजूद हैं। गर्भगृह में ही नंदी दीप स्थापित है, जो हमेशा जलता होता रहता है। नंदी जी की प्रतिमा गर्भगृह के ठीक सामने मौजूद है।
महाकाल मंदिर को पृथ्वी का केन्द्र बिन्दु भी कहते है क्योंकि कर्क रेखा महाकाल मंदिर के शिवलिंग के ऊपर से निकलती है। मंदिर में शिव लीलाओं का वर्णन करती करीब 200 से अधिक मूर्तियां है।
महाकालेश्वर विषयक एक श्लोक प्रसिद्ध है-
‘आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम्। भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते।।‘
इसका मतलब है कि आकाश में तारक शिवलिंग, पाताल में हाटकेश्वर शिवलिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही सबसे मान्य शिवलिंग है।
महाशिवरात्रि पर्व से पहले ही समूचा उज्जैन शहर शिवमय हो जाता है। महाशिवरात्रि पर देश व विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन को आते है और उनका आशीष पाते है। महाशिवरात्रि से ठीक पहले शिव पार्वती का श्रृंगार किया जाता है। शिवलिंग पर चंदन और भांग चढ़ाया जाता है। माता पार्वती को मेंहदी लगाई जाती है। महाशिवरात्रि वाले दिन शिव बारात निकाली जाती है। भगवान महाकाल दूल्हे की पोशाक में रहते है और माता पार्वती को दुल्हन के रूप में सजाया जाता है। महाशिवरात्रि पर मंदिर में भक्तों के लिए खास इंतजाम किये जाते है। जगह-जगह भंडारा होता है, ठंडाई पीकर महाकाल के भक्त झूमते नाचते गाते है।
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महाकाल मंदिर के दर्शन के नियम | Mahakal Ujjain Mandir Ke Niyam | Ujjain Mahakal Darshan
महाकाल मंदिर में रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते है। इसलिए मंदिर प्रशासन ने महाकाल के दर्शन के लिए नियम बनाएं है। इन नियमों के तहत ही आपको मंदिर में दर्शन मिलते है।
सबसे पहले दर्शन फ्री वाले दर्शन होते है। इस दर्शन में आपको कुछ खर्च नहीं करना पड़ता है। चूंकि यह दर्शन फ्री के होते है इसलिए इसमें लंबी-लंबी लाइन लगती है। आपको महाकाल के दर्शन करने के लिए लगभग डेढ़ से दो घंटे का समय लग जाता है। इसमें शिवलिंग के दर्शन दूर से ही हो पाते हैं।
दूसरे प्रकार के दर्शन 250 रू0 खर्च करके होते हैं। इसमें भक्तों की इंट्री महाकाल मंदिर के दूसरे गेट से होती है। इसमें भीड़ कम होती है जिसके चलते आपको शीघ्र दर्शन हो जाते हैं।
तीसरे प्रकार के दर्शन वह होते है जिसमें आपको महाकाल की सुबह 4 बजे की भस्म आरती के दर्शन होते हैं। महाकाल मंदिर में रोज सुबह 4 बजे भगवान शिव का शमशान की राख से अभिषेक करने के बाद आरती की जाती है जिसे भस्म आरती हैं। भस्म आरती में सिर्फ पुरूषों को ही प्रवेश दिया जाता है। भस्म आरती में भाग लेने का बाद अगर आप शिवलिंग का जल से अभिषेक करना चाहते हैं तो इसके लिए मंदिर प्रशासन द्वारा तय की गई ड्रेस को आपको फालो करना होगा। इसके लिए आपको धोती-कुर्ता पहनना जरूरी है।
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महाकाल मंदिर दर्शन ऑनलाइन बुकिंग | Mahakal Darshan Booking Online | Mahakaleshwar Darshan Booking
भस्म आरती में भाग लेने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से रजिस्ट्रेशन होता है। इसकी ऑनलाइन बुकिंग आप महाकालेश्वर की औफिशियल वेबसाइट पर जाकर निर्धारित शुल्क जमा कर इसमें भाग ले सकते है। आफलाइन बुकिंग के लिए कोई शुल्क नहीं है। इसके लिए कई काउंटर बनाये गये है जो सुबह 7 बजे खुलते हैं। भस्म आरती में शामिल होने के लिए आपको 1 दिन पहले ही टिकट लेना होता है। चैथे प्रकार के दर्शनों के लिए आपको 1500 रू0 खर्च करने पड़ेगे। यह धनराशि खर्च करके आप मंदिर के गर्भगृह में जाकर शिवलिंग पर फूल, माला चढ़ाने के साथ ही आप शिवलिंग का अभिषेक भी कर सकते है।
महाकालेश्वर मंदिर औफिशियल वेबसाइट : https://shrimahakaleshwar.com/
महाकाल मंदिर लाइव दर्शन | Mahakal Mandir Live Darshan
अगर आप उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने अभी नहीं जा सकते तो आप इनके ऑनलाइन दर्शन भी कर सकते हैं. अगर आपके मन में सच्ची श्रद्धा है तो आपको ऑनलाइन दर्शन करके भी बहुत प्रसन्नता होगी.
महाकाल मंदिर के लाइव दर्शन करने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें :
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा | Mahakaleshwar Jyotirlinga Story in Hindi
महाकालेश्वर से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार उज्जयिनी नगर (वर्तमान में उज्जैन) नगर में एक ब्राहमण रहता था। वह ब्राहमण शिव जी का प्राकन्ण भक्त था। हर रोज वह शिव जी की पूजा-आराधना किया करता था। इसी नगर में दूषण नाम का राक्षस रहता था। दूषण शिव भक्तों को परेशान करता था, उनकी पूजा आराधना में विघ्न डालता था। दूषण से परेशान होकर सभी शिव भक्तों ने भगवान शिव के सम्मुख गुहार लगाई। अपने भक्तों की पुकार सुनकर भगवान शिव ने दूषण से ऐसा करने को मना किया लेकिन राक्षसी प्रवृत्ति दूषण ने उनकी बात नहीं मानी और वह ब्राहमणों पर आक्रमण कर दिया। दूषण के इस कृत्य को देखकर भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए। धरती फाड़कर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने दूषण का वध कर दिया। पुराणों में वर्णित है कि जिस स्थान पर भोलेनाथ प्रकट हुए उसी स्थान पर वह ज्योति के रूप में उनका शिवलिंग स्थापित हो गया।
महाकाल मंदिर की आरती | Mahakal Bhasma Aarti Time | भस्म आरती में क्या होता है?
महाकाल मंदिर में रोजाना सुबह 4 बजे भस्म आरती होती है। कुछ सालों पहले तक शमशान की राख से महाकाल का श्रंगार किया जाता है, हालांकि अब इसमें बदलाव किया गया है। अब कपिला गाय के गोबर के बने कंडो, शमी, पीपल, पलाश आदि की लकड़ियों को जलाकर भस्म तैयार की जाती है। भस्म आरती को देखना हर किसी के नसीब में नहीं होता है, केवल कुछ भाग्यशाली भक्तों को ही इसके दर्शन हो पाते है। भस्म आरती में सिर्फ पुरूष ही भाग ले सकते हैं। महिलाओं को इस आरती को देखने की मनाही है उन्हें भस्म आरती के समय घूंघट ओढ़ना पड़ता है। आरती के समय पुजारी सिर्फ धोती पहनता है और कोई भी वस्त्र पहनना वर्जित होता है। भस्म आरती के पीछे मान्यता है कि भोलेनाथ शमशान के साधक है जिसके चलते भस्म से उनका श्रृंगार किया जाता है। भस्म आरती की भस्म में इतनी शक्ति होती है कि बड़े से बड़ा रोग भी यहां की भस्म से दूर हो जाता है।
भस्म आरती के बाद सुबह 7ः30 बजे दत्योदक आरती होती है जिसमें मंदिर के पुजारी भगवान महाकाल का अनोखा श्रृंगार करते है। दत्योदक आरती के बाद भोलेनाथ को दही चावल का भोग लगाया जाता है। दत्योदक आरती के बाद सुबह 10ः30 बजे महाभोग आरती होती है जिसमें मंदिर प्रशासन द्वारा बनाया गया भोग मंदिर के पुजारी भगवान महाकाल को चढ़ाते है। महाभोग आरती के बाद शाम को 5 से 6 बजे के बीच महाकाल की संध्या होती है। शाम 7ः30 बजे एक बार फिर से संध्या आरती के बाद पुजारी महाकाल का आकर्षक श्रृंगार करते है। इसके बाद महाकाल बाबा विश्राम करते हैं। रात्रि 10ः30 बजे से आधे घंटे तक बाबा की शयन आरती होती है। इस आरती के समय भगवान महाकाल को गुलाब के फूलों से सजाया जाता है।
काल भैरव का दर्शन करना जरूरी
महाकाल में भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा की जाती है। शिव के इस स्वरूप को काल भैरव के नाम से जाना जाता है। महाकाल के दर्शन से पहले काल भैरव के दर्शन करने चाहिए। काल भैरव को उज्जैन का सेनापति कहा जाता है। इसलिए राजा महाकाल के दर्शन करने से पहले सेनापति काल भैरव के दर्शन करना जरूरी होता है। जो भक्त भैरवगढ़ स्थित काल भैरव के मंदिर में बाबा काल भैरव के दर्शन करता है उसके सभी पाप मिट जाते है। उसकी मनोवांछित मनोकामना पूरी होती है। इस मंदिर में बाबा काल भैरव को मदिरा का प्रसाद चढ़ता है। एक प्लेट में मदिरा डालकर काल भैरव के मुख के पास ले जाई जाती है और आश्चर्यजनक रूप से सारी प्लेट की मदिरा खत्म हो जाती है। यह बाबा का चमत्कार से ज्यादा कुछ नहीं है।
उज्जैन महाकाल मंदिर कैसे जाएं? | Ujjain Mahakal Mandir Kaise Jaye
महाकाल में दर्शनों के लिए आप एयरपोर्ट, ट्रेन, बस या स्वयं के साधन से जा सकते हैं। हवाई जहाज से यात्रा के लिए आपको अहिल्याबाई होलकर हवाई अड्डे पर उतरना होगा। यहां से महाकाल मंदिर की दूरी तकरीबन 57 किमी है। यहां उतरकर आप महाकाल मंदिर के लिए कोई बस या टैक्सी पकड़कर वहां पहुंच सकते है।
अगर आप ट्रेन से महाकाल जाना चाहते हैं तो अपने शहर से उज्जैन के लिए ट्रेन पकड़े। देश के लगभग सभी बड़े शहरों लखनऊ, दिल्ली, मुम्बई से यहां के लिए ट्रेन मिलती है। दिल्ली से उज्जैन का किराया 1500 रू0 के आसपास है। उज्जैन से महाकाल मंदिर की दूरी लगभग 2 किमी है। उज्जैन पहुंचकर आप कैब पकड़कर महाकाल पहुंच सकते हैं। अगर आपके शहर से उज्जैन के लिए ट्रेन न मिले तो आप इंदौर के लिए ट्रेन पकड़ लें। इंदौर पहुंचकर वहां से बस द्वारा महाकाल जा सकते है।
आप सड़क द्वारा अपने निजी वाहन से भी महाकाल पहुंच सकते है। दिल्ली से उज्जैन जाने की दूरी करीब 831 किमी है यहां पहुचने के लिए आपको लगभग 15 घंटे लगेंगे। इसके लिए आपको नेशनल हाईवे 48 और 52 पकड़ना होगा।
इनके दर्शन भी जरूरी | Mahakal Mandir Me Inke Darshan Bhi Kare
मंदिरों की नगरी उज्जैन में आप ना सिर्फ महाकाल के दर्शन करें। इसके अलावा शक्ति की देवी माता हरीसिद्धी माता के दर्शन भी अवश्य करने चाहिए। हरिसिद्धी माता का यहां पर शक्तिपीठ है। मान्यता है कि माता हरसिद्धी के दर पे जो भी भक्त सच्चे मन से मांगता है, माता उसकी मनोकामना पूरी करती है। माता हर कार्य को सिद्ध करनी वाली माता है।
उज्जैन में स्थित महाकाल भगवान शिव का पवित्र धाम है। इस दर से कोई भी भक्त निराश नहीं होता है। महाकाल की भस्म आरती समूचे विश्व में विख्यात है।
तो दोस्तों आज के लेख में हमने आपको देवों के देव महादेव के पावन धाम महाकाल के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान की। उम्मीद करते है यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। इस जानकारी को अपने परिजनों, दोस्तों के साथ साझा अवश्य करें। हम आगे भी आपको देश भर के सभी मंदिरों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते रहेंगे। आप हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे। जयश्रीराम
ज्यादातर पूछे जाने वाले प्रश्न – FAQ
Q.1. महाकाल मंदिर कहां स्थित है?
Ans. महाकाल मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक यह ही अकेला ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। इस मंदिर में तांत्रिक पूजा भी होती है।
Q.2. महाकाल मंदिर में क्या प्रसिद्ध है
Ans. महाकाल मंदिर की भस्म आरती समूचे विश्व में विख्यात है। यह आरती सुबह 4 बजे होती है। इस आरती में भाग लेने के लिए पुरूषों को धोती-कुर्ता धारण करना होता है। हालांकि महिलाओं को इस आरती को देखने की मनाही है। उन्हें इस समय घूंघट करना पड़ता है।
Q.3. महाकाल मंदिर के सामने से बारात क्यों नहीं निकलती है?
Ans. महाकाल उज्जैन के राजा कहलाते है। राजा के सामने से कोई भी घोड़े पर सवार होकर नहीं निकल सकता।
Q.4. क्या काल भैरव का दर्शन करना जरूरी है?
Ans. काल भैरव को महाकाल का सेनापति कहा जाता है। ऐसे में महाकाल राजा के दर्शन से पहले काल भैरव के दर्शन करना जरूरी होता है। काल भैरव के दर्शन के बिना महाकाल की यात्रा अधूरी रहती है।
Q.5. महाकाल की यात्रा कैसे करें?
Ans. महाकाल जाने के लिए आप ट्रेन, हवाई जहाज, सड़क मार्ग से जा सकते है। देश के सभी स्थानों से महाकाल के लिए सुविधा उपलब्ध है।
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