विनायक चतुर्थी : Vinayak Chaturthi Vrat Katha

विनायक चतुर्थी विशेष: विनायक चतुर्थी के दिन क्यों नहीं देखते चांद, जाने इसके पीछे का बड़ा कारण

हिन्दू धर्म में गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। गणेश जी को प्रथम पूज्य भगवान के रूप में पूजा की जाती है। किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत से पहले भगवान गणेश जी की पूजा करने का विधान है। कई श्रद्धालु भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए उनके निर्मित व्रत भी रखते है। गणेश जी के इन्हीं व्रतों में से एक विनायक चतुर्थी का व्रत भी होता है। पंचांग के अनुसार हर महीने में दो पक्ष होते है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते है जबकि शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी विनायक चतुर्थी के नाम से जानी जाती है। आज के लेख में हम जानेंगे कि फाल्गुन माह में विनायक चतुर्थी का व्रत कब है, इसका क्या महत्व है और इस दिन किन उपायों को करना श्रेयस्कर है आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

विनायक चतुर्थी कब है | Vinayak Chaturthi Kab Hai 2023

फाल्गुन माह में विनायक चतुथी दिनांक 23 फरवरी, 2023 दिन गुरूवार को प्रातकाल 3 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 24 फरवरी को दोपहर 01 बजकर 33 तक रहेगी। उदया तिथि के चलते दिनांक 23 फरवरी को ही विनायक चतुर्थी का पूजा व व्रत रखा जायेगा। किसी भी पूजा को करने से पहले शुभ मुहूर्त का ध्यान रखा जाता है। विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 23 फरवरी को सुबह 11ः26 से शुरू होकर दोपहर 01ः43 तक रहेगा। इस मुहूर्त में गणपति बप्पा की विधिवत आराधना करना श्रेयस्कर होगा। इस दिन 4 शुभ योग भी बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन भर रहेगा। दिनांक 23 फरवरी को प्रातःकाल 07 बजकर 15 मिनट से शुभ योग प्रारंभ होगा जो रात्रि 08 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। शुभ योग के बाद शुक्ल योग लग जायेगा जो 23 फरवरी को पूरी रात्रि रहेगा और अगले दिन दिनांक 24 फरवरी को भी यही योग रहेगा। विनायक चतुर्थी पर रवि योग भी बन रहा है जो दिनांक 23 फरपरी को सुबह 6ः53 से प्रारंभ होकर दिनांक 24 फरवरी को भोर 03ः44 तक रहेगा। शुभ योगों में पूजा करने से पूजा का दोगुना लाभ मिलता है।

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इस तरह करें पूजा | Vinayak Chaturthi Puja Vidhi

विनायक चतुर्थी वाले दिन ब्रहम मुहूर्त में उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होने के बाद स्नान कर ले। स्नान करने के बाद साफ धुले हुए वस्त्र पहनकर अपने घर के पूजा स्थल में जाकर वहां की साफ सफाई कर लें। पूजा घर में लकड़ी की एक चैकी लें। उस पर गंगाजल डालकर उसे पवित्र कर लें। चैकी पर गणेश जी की छोटी सी प्रतिमा स्थापित कर दे। प्रतिमा स्थापित करने से पहले गणेश जी को स्नान करवा दें। जमीन पर आसन बिछाए। इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं और गणेश जी के यंत्र की स्थापना करें। पूजन की सारी सामग्री फूल, धूप, दीप, कपूर, मौली, रोली, लाल चंदन, फल, प्रसाद के लिए मोदक आदि को एक जगह इकट्ठा कर लें। इसके बाद गणेश जी को मौली, चंदन, लाल चंदन का तिलक लगाएं। इस तिलक को अपने माथे पर भी आर्शीवाद स्वरूप लगाएं। गणेश जी को पुष्प, माला समर्पित करें। गणेश जी के मंत्रों का जाप करते हुए उनकी पूजा-आराधना करें। ‘ऊँ गणपते नमः, वक्रतुण्डाय नमः, सिद्ध लक्ष्मी मनोहरिप्राय नमः इन मंत्रों का जाप करना सर्वदा हितकारी होता है। गणेश जी को धूप, दीप, नैवेद्य, पान का पत्ता और फल अर्पित करें। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रात में चंद्रमा की पूजा नहीं की जाती है। इस दिन चंद्रमा को देखने से कलंक लगता है। इसके पीछे भी एक कथा है। इस कथा के अनुसार श्रीकृष्ण जी ने चैथ का चांद देखा था जिसके चलते उन पर मणि चोरी का कलंक लगा था। ऐसे में विनायक चतुर्थी को दिन में ही गणेश जी की पूजा करने के बाद रात्रि में व्रत का पारण कर लिया जाता है। पूजा पूर्ण होने के बाद विनायक चतुर्थी की कथा करें। इसके बाद गणेश जी की आरती करें। आरती के बाद गणेश जी को मोदक, फल का भोग लगायें। स्वयं इस प्रसाद को ग्रहण करें और घर के अन्य परिजनों को भी इस प्रसाद को दें।

विनायक चतुर्थी व्रत कथा | Vinayak Chaturthi Vrat Katha

विनायक चतुर्थी की एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार एक दिन माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे भगवान शिव के साथ बैठी थी। अनायास ही उनके मन में चैपड़ खेलने का विचार आया लेकिन वहां कोई ऐसा नहीं था जो इस बात का निर्णय करता कि चैपड़ में कौन जीता और कौन हारा। शिव जी माता के मन की बात समझ गये। उन्होंने वहीं पास में पड़े तिनके उठाएं और उनसे एक बालक का पुतला बनाकर उसमें प्राण फूंक दिये। बालक को उन्होंने यह जिम्मेदारी सौंपी कि वह देखे कि उनके और माता पार्वती के बीच जो चैपड़ खेली जा रही है उसमें कौन जीता। भगवान शिव और माता पार्वती के बीच तीन बार चैपड़ का खेल हुआ लेकिन हर बार बालक ने भगवान शिव को ही विजेता घोषित कर दिया। बालक के गलत फैसले के चलते माता पार्वजी उस बालक से रूष्ट हो गई और क्रोधवश उन्होंने उस बालक को लंगड़ा होने का श्राप दे दिया। माता पार्वती के श्राप के चलते वह बालक लंगड़ा हो गया। तब उस बालक को अपनी भूल का एहसास हुआ। उसने माता पार्वती से अपने कृत्य के लिए क्षमा मांगी। बालक की करूण पुकार सुनकर माता पार्वती को दया आ गई। उन्होंने उससे कहा कि जब विनायक गणेश चतुर्थी का व्रत पड़े तो तुम विधिविधान से गणेश चतुर्थी का व्रत करना। बालक ने माता के कथानुसार विनायक चतुर्थी वाले दिन गणेश जी का पूजन किया। बालक के विधिवत पूजन से गणेश जी अत्यन्त प्रसन्न हुए और उन्होंने बालक को श्राप से मुक्त कर दिया।

विनायक चतुर्थी पर नहीं देखना चाहिए चंद्रमा

जैसा कि मैने ऊपर के लेख में बताया कि विनायक चतुर्थी वाले दिन चन्द्रमा को देखने से कलंक लगता है इसके पीछे एक कहानी है। इस कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण पर मणि चोरी करने का कलंक लगा था। इससे वे बहुत अपमानित हुए थे। स्वयं नारद जी ने इस विषयक बताया कि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को जो भी जातक चंद्रमा के दर्शन कर लेता है उस पर झूठा कलंक लगता है। नारद जी ने आगे बताया कि इसके पीछे चंद्रमा को गणेश जी द्वारा दिया गया श्राप है। नारद जी की बात मानकर ही श्रीकृष्ण जी ने शुक्लपक्ष की गणेश चैथ का व्रत किया था जिससे वह इस कलंक से दोष मुक्त हो गए है।

अगर आज के दिन भूल से चंद्रमा के दर्शन आप कर लें तो घबराएं नहीं। चंद्र दोष के निवारण के लिए श्रीमद्भागवत के दसवें स्कन्द के 57वें अध्याय का पाठ करने करना चाहिए। इसके करने से चंद्र दोष समाप्त हो जाता है और मिथ्या कलंक नहीं लगता है। इसके अतिरिक्त एक मंत्र भी है जिसका 108 बाद जाप करने से चंद्र दोष समाप्त होता है। यह मंत्र है –

सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।

विनायक चतुर्थी का महत्व | Vinayak Chaturthi Ka Mehtva

विनायक चतुर्थी के दिन जो भी श्रद्धालु विध्नहर्ता भगवान गणेश की पूरी श्रद्धा भाव से पूजा करते है। उस पर गणपति जी की विशेष कृपा बरसती है और उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते है। गणपति जी ज्ञान और धैर्य का आर्शीवाद प्रदान करते हैं।

विनायक चतुर्थी पर गणपति जी के सिद्धिविनायक रूप की आराधना करने से निःसंतान दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है। संतान के सारे कष्टों के निवारण के उद्देश्य से विनायक चतुर्थी का व्रत विशेष लाभकारी है।

विनायक चतुर्थी के उपाय | Vinayak Chaturthi Ke Upay

विनायक चर्तुािी के कुछ उपाय है जिनको करने से जीवन में किसी तरह की कठिनाई, बाधा हो तो वह दूर होती है और जीवन सुखमय व्यतीत होता है।

विनायक चतुर्थी के दिन हल्दी की पांच गाठें ले और श्री गणाधिपतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करते हुए गणेश जी को अर्पित करें। ऐसा करने से नौकरी में अगर किसी तरह की परेशानी आ रही हो। प्रमोशन ना हो रहा है तो उसकी संभावनाएं बढ़ जायेंगी। कैरियर में उन्नति होगी।

आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए विनायक चतुर्थी के दुर्वा की 108 गांठे लेकर उनको हल्दी में भिगोकर श्री गजवकत्रम नमो नमः मंत्र का जाप करते हुए गणेश जी को अर्पित करें। ऐसा करने से आर्थिक समस्या दूर होगी। धन संपदा में बढ़ोत्तरी होगी।

वैवाहिक जीवन में कोई समस्या आ रही हो, पति-पत्नी के रिश्ते में अनबन हो तो विनायक चतुर्थी के दिन पान के सादे पत्तों में सिंदूर लगाकर उसे गणपति महाराज के चरणों में अर्पित करें। इस सिंदूर को अपने मस्तक पर लगाएं। इस उपाय को करने से वैवाहिक जीवन में चली आ रही समस्या समाप्त होगी।

अगर प्रेम विवाह करने में कोई अड़चन आ रही तो विनायक चतुर्थी के दिन 5 लौंग और 5 इलायची गणपति जी को अर्पित करें। इसके बाद अपने प्रेम विवाह के सकुशल होने की कामना करें। पूजा के बाद इलायची और लौंग को एक हरे कपड़े में बांधकर अपने पास रख ले। ऐसा करने से प्रेम विवाह में आ रही अड़चन दूर होगी और सकुशल प्रेम विवाह सम्पन्न हो जायेगा।

अगर परिवार में संपत्ति संबंधी कोई विवाद हो, कोर्ट कचहरी मुकदमों में फंसे हो तो इससे छुटकारा पाने के लिए आज के दिन गणपति जी की छोटी प्रतिमा के समरू चांदी का चैकोर टुकड़ा चढ़ाएं और गणपति महाराज से इस विवाद को खत्म करने की प्रार्थना करें। गणपति महाराज के आर्शीवाद से परिवार में प्रेम बढ़ेगा और चल रही संपत्ति विवाद समाप्त होगा।

गणेश जी को 21 लड्डूओं का भोग लगाएं और इन लड्डुओं को गरीबों को दान दें। इसको करने से आपका बुध मजबूत होगा और पढ़ाई में रूचि बढ़ेगी।

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विनायक चतुर्थी वाले दिन क्या करें | Vinayak Chaturthi Par Kya Kare

विनायक चतुर्थी वाले दिन जो भी प्रसाद का भोग आप भगवान गणेश को लगाते है उसे गरीबों या ब्राहमणों को अवश्य बांटे। इस दिन किसी जरूरतमंद को भोजन जरूर कराना चाहिए और यथाशक्ति दान भी देना चाहिए।

आज के दिन पूरे दिन भर गणेश जी के मंत्रों को निरन्तर जाप करते रहना चाहिए। इन मंत्रों के जाप से आपके जीवन में सभी परेशानियां दूर हो जायेगी और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।

गणेश पूजन में परिक्रमा करने का बहुत महत्व है। आज के दिन गणेश जी की पूजा के बाद तीन बार परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए।

विनायक चतुर्थी पर गणेश जी की विशेष कृपा बरसती है। ऐसे में आज के दिन शाम को संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए। इस पाठ को करने से किसी भी कार्य में आ रही बाधा दूर होती है और करने वाले जातक को धन संबंधी समस्या भी हटती है।

विनायक चतुर्थी का व्रत दिन में होता है और इस व्रत का पारण शाम को किया जाता है। ऐसे में शाम को व्रत के पारण से पहले गणेश चालीसा, संकटनाशक गणेश सत्रोत का पाठ और गणेश जी की आरती जरूर करें।

विनायक चतुर्थी वाले दिन क्या न करें | Vinayak Chaturthi Par Kya Na Kare

इस दिन किसी भी प्रकार का सात्विक भोजन जैसे प्याज, लहसुन का प्रयोग ना करें। सिर्फ सादा भोजन ही करें।

अपने से किसी भी बड़े का अपमान ना करें। ना किसी को अपशब्द बोले। अगर भूल से भी आप किसी का अपमान कर देते है तो आपको इसका फल आपको भुगतना पड़ेगा।

गणेश जी की पूजा में तुलसी दल को डालने की मनाही होती है। ऐसे में किसी भी चीज का भोग लगाते समय उसमें भूलकर भी तुलसी की पत्तिया ंना डाले।

विनायक चतुर्थी को सनातन धर्म में बहुत महत्ता है। इस दिन विधिपूर्वक गणेश जी का व्रत करने से जातक के जीवन की सभी परेशानियां और कष्ट दूर हो जाता है। अगर आप इसी तरह गणेश जी का व्रत करते है तो गणपति बप्पा की कृपा आप पर अवश्य बरसेगी। तो दोस्तों आज के लेख में हमने आपको विनायक चतुर्थी के बारे में सारी जानकारी प्रदान की। आप इस लेख को अन्य परिजनों के साथ साझा अवश्य करें। इसी प्रकार के धार्मिक लेखों को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहें। जयश्रीराम

FAQ | ज्यादातर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. विनायक चतुर्थी कब है

Ans. विनायक चतुर्थी हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। फाल्गुन माह में 23 फरवरी, 2023 दिन गुरूवार को विनायक चतुर्थी पड़ेगी।

2. विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा क्यों नही देखना चाहिए

Ans. विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखने से कलंक लगता है। इसके पीछे भी एक कथा है। इस कथा के अनुसार श्रीकृष्ण जी ने चैथ का चांद देखा था जिसके चलते उन पर मणि चोरी का कलंक लगा था।

3. विनायक चतुर्थी पर क्या खाना चाहिए

Ans. विनायक चतुर्थी के दिन एक ही समय फलाहार करना चाहिए। फलाहार में नमक नहीं खाना चाहिए। रात में व्रत का पारण किया जाता है।

4. क्या गणेश जी को तुलसी चढ़ाई जाती है

Ans. विनायक चतुर्थी के व्रत में तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है। ऐसे में किसी भी चीज का भोग लगाते समय तुलसी नहीं डालनी चाहिए।

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