बुध प्रदोष के दिन करें ये उपाय, घर में आयेगी समृद्धि और खुशहाली | Budh Pradosh Vrat Katha

हिन्दू धर्म में हर दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित है। सोमवार से लेकर रविवार तक अलग-अलग भगवानों की पूजा-पाठ की जाती है और उन भगवानों की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनके निर्मित व्रत रखा जाता है। इन्ही व्रतों में एक व्रत है, प्रदोष व्रत। प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी को रखा जाता है। हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का खासा महत्व है। यह भगवान भोलेनाथ, शिव शंकर को समर्पित व्रत है। हर माह में दो पक्ष होते हैं, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। प्रदोष व्रत दोनों पक्षों में रखा जाता है। इस तरह साल भर में 24 प्रदोष व्रत रखे जाते है। आज के लेख में हम जानेंगे कि साल 2022 का आखिरी प्रदोष व्रत कब है, इसकी महिमा, पूजा विधि और प्रदोष व्रत के उपायों के बारे में विस्तार से बतायेंगे।

प्रदोष व्रत कब है | Budh Pradosh Vrat Kab Hai

साल 2022 का अन्तिम प्रदोष व्रत दिनांक 21 दिसंबर, दिन बुधवार को पड़ रहा है। बुधवार के दिन पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष कहते है। इस दिन व्रत करने वाले जातक को भगवान गणेश की कृपा भी प्राप्त होती है। प्रदोष वाले दिन प्रदोष काल में माता पार्वती और शिव जी की पूजा करना कई गुना ज्यादा फलदायी होती है।

इस बार प्रदोष वाले दिन सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी पड़ रहा है। ये दोनों योग दिनांक 21 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 33 मिनट से लेकर अगले दिन 22 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 33 मिनट तक रहेगे। सर्वाथ सिद्धि योग में भगवान भोलेनाथ की पूजा-पाठ करने से पूजा का दोगुना फल मिलता है, जबकि अमृत सिद्धि योग में पूजा करने से अमृत के समान फल प्राप्त मिलता है। ऐसे में इन दोनों ही योग में भगवान शिव शंकर की पूजा करना उत्तम फलदायक है।

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प्रदोष व्रत पूजन विधि | Budh Pradosh Vrat Pooja Vidhi

प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष काल वह समय होता है सूर्यास्त होने के 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद के समय को प्रदोष काल किसे है। पुराणों में ऐसा वर्णित है कि प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और सभी देवी-देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। ऐसे समय में जो भी जातक भगवान शिव की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही साथ भगवान शिव शंकर का आर्शीवाद भी प्राप्त होता है। आईये जानते है प्रदोष वाले दिन किस विधि से भोलेनाथ की उपासना करें।

बुध प्रदोष वाले दिन सबसे पहले नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर प्रातःकाल स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनकर भगवान भोलेनाथ के मंदिर जाकर व्रत का संकल्प ले। इसके बाद शाम को दोबारा स्नान करने के बाद अपने घर के मंदिर में बैठकर भगवान भोलेनाथ का ध्यान करके उनकी विधिविधान से पूजा करें। सबसे पहले शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराये। उसके बाद कच्चे दूध से भोलेनाथ का अभिषेक करें। तत्पश्चात शिवलिंग पर सफेद चंदन लगाएं। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा चढ़ाए। ध्यान रहे बेलपत्र की संख्या 11, 21 और 51 के क्रम में ही हो। प्रदोष व्रत में शिवलिंग का बेलपत्र से श्रृंगार अवश्य करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर शहद, भस्म व शक्कर अर्पित करे। सम्पूर्ण पूजा के दौरान भोलेनाथ के मंत्र ओम नमः शिवाय, ओम शिव शिवाय मंत्रों का लगातार जप करते रहे। बुध प्रदोष वाले दिन भगवान गणेश जी के सम्मुख घी का दीया जलाकर गं मन्त्र का 108 बार जाप अवश्य करें। इसके बाद भगवान भोलेनाथ की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं। पूजा करने के बाद इस प्रसाद को घर के सभी लोगों को बांटे और स्वयं भी ग्रहण करें।

बुध प्रदोष व्रत कथा | Budh Pradosh Vrat Katha in Hindi

स्कंद पुराण की कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक पुरूष का नया-नया विवाह हुआ। गौना होने के बाद वह अपनी पत्नी को लेने ससुराल गया। ससुराल में उस व्यक्ति को उसकी सास मिली। उसने अपनी सास से कहा कि वह बुधवार को ही अपनी पत्नि को लेकर जाना चाहता है। यह सुनकर उसक सास-ससुर और अन्य परिजनों ने उसे बहुत समझाया कि बुधवार को पत्नी को विदा कराकर ले जाना शुभ नहीं होता है लेकिन वह नहीं माना। थक हारकर उसके ससुराल वालो को अपनी जमाई की बात माननी पड़ी और उन्होंने अपनी लड़की को अपने जमाई के साथ विदा कर दिया। ससुराल से विदा होने के बाद दोनों दंपत्ति बैलगाड़ी से वापस अपने घर जा रहे थे। रास्ते में उसकी पत्नी को प्यास लगी। पति लोटा लेकर अपनी पत्नी के लिए पानी लेने गया। जब पति पानी लेकर वापस लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी पराये व्यक्ति द्वारा लाए पानी को पी रही थी और उससे हंस हंसकर बात कर रही थी। उस पुरूष की सूरत हूबहू उसी से मिल रही थी। यह देखकर वह क्रोधित हो गया और उस व्यक्ति से लड़ने लगा। थोड़ी देर में वहां काफी भीड़ इकट्ठा हो गई और सिपाही भी वहां आ गए। सिपाही ने उस व्यक्ति की पत्नी से पूछा कि सच-सच बताओ इन दोनों में से तुम्हारा पति कौन सा है। लेकिन वह स्त्री भ्रम में पड़ गई और कोई जवाब नहीं दे पाई क्योंकि दोनों व्यक्ति एक जैसी शक्ल के थे। इतना देखकर उसका पति बहुत परेशान हो गया और मन ही मन भगवान भोलेनाथ की आराधना करने लगा और अपने और अपनी पत्नी को इस मुसीबत से बचाने की प्रार्थना करने लगा। पति को अपनी गलती का अहसास हो गया और भोलेनाथ भगवान से बोला कि मैने अपनी पत्नी को बुधवार के दिन विदा कराने का जो अपराध किया है उसके लिए मुझे क्षमा कर दो। भविष्य में मैं ऐसी गलती कभी भी नही करूंगा। भगवान शिव उसकी प्रार्थना से भ्रवित हो गए और दूसरा व्यक्ति तुरंत उसी समय गायब हो गया। तत्पश्चात उस व्यक्ति ने भगवान भोलेनाथ को धन्यवाद दिया और अपनी पत्नी के साथ अपने नगर को चल पड़ा। नगर पहुंचने के बाद दोनों पति पत्नी ने नियमपूर्वक बुधवार के दिन प्रदोष व्रत को करने का संकल्प लिया और प्रदोष व्रत को किया।

बुध प्रदोष का महत्व | Budh Pradosh Vrat Ka Mehtva

हर प्रदोष व्रत का फल अलग-अलग होता है। सोम से रविवार तक पड़ने वाले प्रदोष को अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है, जैसे सोमवार को सोम प्रदोष, मंगलवार को भौम प्रदोष, बुधवार को बुध प्रदोष, गुरूवार को गुरू प्रदोष, शुक्रवार को शुक्र प्रदोष, वहीं शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष कहा जाता है। इन सभी का अलग-अलग महत्व है।

चूंकि बुध प्रदोष का व्रत बुद्धि के देवता भगवान को समर्पित होता है इसलिए बुध प्रदोष पर व्रत करने से भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ भगवान गणेश की कृपा भी प्राप्त होती है। बुध प्रदोष का व्रत रखने वाले जातक की कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है और कुंडली का दोष दूर होता है।

बुध प्रदोष का व्रत करने से गंभीर से गंभीर बीमारी से छुटकारा मिलता है। संतान प्राप्ति के लिए भी इस व्रत का बड़ा महत्व है। जिस भी दंपत्ति के संतान प्राप्ति में बाधा आ रही हो अगर वह बुध प्रदोष का व्रत रखें तो भगवान गणेश और भोलेनाथ के आर्शीवाद से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। संतान की इच्छा रखने वाले दंपत्ति को प्रदोष व्रत वाले दिन पंचगव्य से महादेव का अभिषेक करना चाहिए।

भगवान शिव का प्रदोष व्रत बहुत ही कल्याणकारी और उत्तम माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से संसार के सभी कष्टों से भी मिलती है।

बुध प्रदोष को क्या करें | Budh Pradosh Vrat Me Kya Kare

बुध प्रदोष वाले दिन प्रदोष व्रत की पूजा करने के बाद शाम के समय आटे का पांच मुखी घी का दीपक इस मंत्र को जपते हुए जलाये। ऐसा करने से जातक से भूलवश किये गये पापों का नाश होता है।
मंत्र है
‘करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ।।‘

बुध प्रदोष वाले दिन किसी साफ आसन पर बैठकर भगवान भोलेनाथ के सामने शिवाष्टक का पाठ जरूर करें। ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ का आर्शीवाद प्राप्त होता है और भोलेनाथ की कृपा से जीवन में चल रहे सारे विघ्न और दोष खत्म होते हैं।

बुध प्रदोष को करे ये उपाय | Budh Pradosh Me Kare Ye Upay

अगर आपके बच्चे की सेहत अच्छी नहीं रहती है तो बुध प्रदोष वाले दिन शिवलिंग के समक्ष देसी घी का चैमुखी दीपक जलाये और शिव चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से बच्चे की स्वास्थय संबंधी समस्या दूर होगी।

बुध प्रदोष बुद्धि के देवता भगवान गणेश को समर्पित है। कुशाग्र बुद्धि प्राप्त करने के लिए बुध प्रदोष वाले दिन सुबह और शाम के समय भगवान गणेश को हरी इलायची चढ़ाएं। साथ ही 27 बार ऊँ बुद्धिप्रदाये नमः मन्त्र का जाप करें। बुध प्रदोष पर इस उपाय को करने से जातक की बुद्धि तीक्ष्ण हो जाती है और वह अपने हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है।

आर्थिक तंगी दूर करने के लिए करे ये उपाय

अगर आप आर्थिक तंगी से गुजर रहे हो। पैसे में बरकत न हो रही हो तो बुध प्रदोष के दिन चली आ रही आर्थिक तंगी दूर करने के लिए हरी वस्तओं का दान करें। साथ ही शाम को गणेश जी की प्रतिमा के सम्मुख बैठकर ऊँ गं गणपतये नमः का 108 बार जाप करें। ऐसा लगातार तीन दिन तक करने से घर में धन की वृद्धि होती है और आर्थिक तंगी दूर होती है और घर में सम्पन्नता का वास होता है।

घर की सुख-समृद्धि के लिए करे ये उपाय

घर की सुख-समृद्धि बठाने के लिए बुध प्रदोष वाले दिन थोड़ा चावल लेकर उसे दो हिस्सो में बांट लें। एक हिस्से को भगवान शिव शंकर को चढ़ा दे और दूसरे हिस्से को किसी जरूरतमंद को दान कर दे। शाम को प्रदोष व्रत की पूजा करने के बाद भगवान को चढ़ाएं हुए चावल को अपने घर की तिजोरी में रख दे। ऐसा करने से घर में माता लक्ष्मी का आगमन होता है और घर में खुशहाली व समृद्धि आती है।

अगर वैवाहिक जीवन में परेशानियां चल रही हो तो बुध प्रदोष वाले दिन पूर्व दिशा में मुंह करके ऊँ शब्द का अधिक से अधिक बाद उच्चारण करें। इसके बाद एक सफेद कागज पर लाल सिन्दूर से क्लीं लिखे। इस कागज को अपने जीवन साथी की अलमारी में संभालकर रख दे। ध्यान रहें इस बात का पता आपके जीवनसाथी को कभी भी ना चले।

अगर घर में कोई न कोई परेशानी लगी रहती है। घर में कलह-क्लेश का वातावरण बना रहता हो। घर में नकारात्मक ऊर्जा भर गई है तो बुध प्रदोष के दिन कच्चे दूध में थोड़ा पानी मिलकाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इसके बाद शिवलिंग के समक्ष तिल के तेल का चैमुखी दीपक जलाएं। दीपक जलाने के बाद भगवान भोलेनाथ के सम्मुख बैठकर सच्ची श्रद्धा भाव से ऊँ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। इस उपाय को करने से घर की चली आ रही परेशानी दूर होगी और घर में सकारात्मकता का वास होगा।

दान-पुण्य का होता है बड़ा महत्व

दान-पुण्य का हमेशा से बड़ा महत्व रहता है। दान पुण्य करने वाले जातक को इस लोक के साथ-साथ परलोक में भी सुख की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत वाले दिन दान देना हर दृष्टि से बहुत शुभकारी होता है। अगर आप घर के किसी बुजुर्ग या बच्चे से हरी वस्तु, दवाई या अन्य वस्तुएं को किसी जरूरतमंद को दान देते हैं तो ऐसा करने से घर में शुभता आती है।

बुध प्रदोष का व्रत हर सुख को प्रदान करने वाला है। मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है जो भी स्त्री पुरूष अपनी जो भी कामना को लेकर इस व्रत को करते है उनकी सभी कामनाएं कैलाशपति भगवान शिव शंकर जी पूरी करते है। प्रदोष व्रत को करने से सौ गऊ दान से ज्यादा का फल प्राप्त होता है।

आज हमने आपके समक्ष बुध प्रदोष की महिमा का वर्णन किया। आपको ये जानकारी कैसी लगी। कमेंट बाक्स में कमेंट करके हमें जरूर बताएं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों, परिजनों के साथ शेयर अवश्य करें। ऐसे ही ज्ञानवर्द्धक और धार्मिक लेखों को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे।

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