दोस्तों, दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती हैं यह पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है पर क्या आपको पता है कि गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती हैं ?
हमारे हिंदू धर्म में कई सारे ऐसे त्यौहार है जिसे सभी लोग बहुत ही उत्साह और खुशी से मनाते हैं लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं होता कि जो पूजा वो कर रहे हैं उसके पीछे का कारण क्या है और कहीं ना कहीं गोवर्धन पूजा भी उन्हीं में से एक है!
क्योंकि गोवर्धन की पूजा क्यों की जाती है इस बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है! अगर आप भी इस बारे में नहीं जानते हैं तो आप इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़िए।
गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती हैं | Govardhan Parvat Pooja | Govardhan Pooja
लोक कथाओं में ऐसा सुनने को मिलता हैं कि गोवर्धन पूजा द्वापर युग के बाद से मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं में गोवर्धन पूजा मनाने के कारणों में एक कहानी काफी प्रचलित है। और ये कहानी कृष्ण की लीलाओं से ही संबंधित है।
यह तब की बात है जब श्रीकृष्ण अपनी बाल अवस्था में थे, दरअसल हुआ यूं था कि एक दिन भगवान इंद्र अपने शक्तियों के अभिमान में आकर सभी ब्रज वासियों से कहते हैं कि अगर आपको वर्षा चाहिए तो आपको मेरी पूजा करनी होगी और अगर आप मेरी पूजा नहीं करेंगे, तो वर्षा नहीं होगी।
जिससे डरकर सभी ब्रजवासी इंद्र की बात मानकर उनकी पूजा करने को तैयार हो जाते हैं लेकिन कृष्ण ब्रज वासियों को यह कहकर इंद्र की पूजा करने से रोक देते हैं कि वर्षा कराना इंद्रदेव का कार्य और उन्हें यह कार्य निस्वार्थ भाव से करना चाहिए।
इस तरह से जबरदस्ती अपनी पूजा कराना गलत है साथ ही कृष्ण गांव वालों को यह भी कहते हैं कि अगर आपको पूजा ही करनी है तो आपको गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि इससे हम एक नहीं बल्कि कई लाभ प्राप्त होते हैं और इसके बदले गोवर्धन पर्वत हमसे कभी कुछ मांगता भी नहीं है।
कृष्ण की बात सुनकर सभी गांव वाले गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए जाते हैं जिससे क्रोधित होकर इंद्रदेव ब्रज में तूफानी बारिश कर देते हैं जिससे कुछ ही देर में पूरा ब्रज पानी में डूब जाता है इसीलिए गांव वालों की रक्षा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी दाहिने हाथ की छोटी उंगली पर उठा लेते हैं।
इंद्रदेव का क्रोध और उनकी वर्षा दो-तीन दिनों तक लगातार होती रही। एक छोटे से बालक की इतनी शक्ति देखकर अंततः इंद्रदेव को भी समझ आ जाता है कि यह कोई साधारण बालक नहीं बल्कि साक्षात नारायण के अवतार है।
जिसके बाद इंद्रदेव सीधे श्री कृष्ण से जाकर क्षमा याचना करते हैं और वर्षा को भी रोक देते हैं। इस घटना के पश्चात दीपावली के अगले दिन कृष्ण की लीला को याद रखने के लिए और गोवर्धन पर्वत के सहायता के लिए हर साल गोवर्धन पूजा की जाने जाती है। जो धीरे-धीरे करके पूरे भारतवर्ष में फैल गई।
गोवर्धन पूजा करने के पीछे एक मान्यता यह भी है कि गोवर्धन की पूजा में भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा की जाती है और जो लोग गोवर्धन की पूजा करते हैं उन पर भगवान श्री कृष्ण का हाथ हमेशा बना रहता है व भगवान कृष्ण भगवान की मनोकामनाओं को भी पूरा करते हैं।
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व क्यों कहा जाता है | Annakut Puja in Hindi | Annakut Festival
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन पूरे भारतवर्ष में लोग इस त्यौहार को गोवर्धन पूजा के नाम से ही मनाते हैं। जैसा कि मैंने आपको बताया कि गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है जिसके लिए 56 भोग तैयार किए जाते हैं। इसी छप्पन भोग को अन्नकूट कहा जाता है।
इस दिन मंदिरों में अन्नकूट का आयोजन किया जाता है। और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने के बाद अलग-अलग सामग्री से बनाई गई अन्नकूट को भोज के तरह प्रस्तुत किया जाता है। पुरानी परंपराओं में इस दिन तेल की पूरी बनाने का रिवाज है इसके साथ-साथ कुछ लोग इस त्यौहार को मनाने के लिए बाजरे की खिचड़ी का भोग लगाते है।
सिर्फ मसालेदार व्यंजन ही नहीं बल्कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को दूध दही मक्खन आदि से बना हुआ स्वादिष्ट व्यंजन पूजा के पश्चात भक्तों में भोग के रूप में वितरित किया जाता है।
गोवर्धन पूजा के लिए कौन सी सामग्री लगती हैं | Govardhan Pooja Samagri
गोवर्धन पूजा के लिए साफ और ताजे फूलों से बनी माला, अगरबत्ती, मिठाई, रोली आदि के साथ साथ चावल व गाय के गोबर की भी आवश्यकता होती है। इसके अलावा पूजा करने के लिए छप्पन भोग अलग से तैयार किए जाते हैं। साथ ही दही चीनी का प्रयोग करके पंचामृत बनाई जाती है।
गोवर्धन पूजा की विधि क्या है | Govardhan Puja Vidhi | Gobardhan Pooja Kaise Karte Hain
गोवर्धन पूजा इसीलिए भी बहुत खास होती है क्योंकि इस दिन भक्त गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसे फूलों से सजा कर उसकी पूजा करते हैं। पूजा करने के लिए गोबर से बने गोवर्धन पर्वत पर गंगा जल छिड़का जाता है और फिर फूल, माला, मिठाई, जल व फल चढ़ाकर पूजा की जाती है।
गोवर्धन पर्वत के अलावा उस दिन उन पशुओं की भी पूजा की जाती हैं जो कृषि कार्य में इस्तेमाल किए जाते हैं और इन पशुओं में विशेष तौर पर गाय की पूजा की जाती हैं।
गोवर्धन पूजा करते समय गोवर्धन जी को एक लेटे हुए पुरुष के आकार में बनाया जाते हैं और उनके नाम भी के स्थान पर दीपक जलाया जाता है। उसके बाद दही बताशा आदि चढ़ाकर अगरबत्ती दिखाकर उनकी पूजा की जाती है और जब पूजा पूरी हो जाती हैं तब बताशे को प्रसाद के रूप में सभी को बांट दिया जाता है।
पूजा समाप्त हो जाने के बाद गोवर्धन की 7 बार परिक्रमा की जाती है और उनकी जय की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग अपने घर पर गोवर्धन की पूजा करते हैं उनका घर हमेशा धनधान्य से संपन्न रहता है और उनके सिर पर विश्वकर्मा जी की सदा कृपा बनी रहती है।
गोवर्धन पूजा में यह गलती कभी नहीं करनी चाहिए |
अगर आप गोवर्धन पूजा करते हैं तो आपको गलती से भी यह गलती नहीं करनी है –
गोवर्धन पूजा कभी भी बंद कमरे में नहीं की जाती हैं!
गोवर्धन पूजा में अगर आप पशु की पूजा करते हैं तो साथ में आपको भी भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा करनी चाहिए।
गोवर्धन पूजा में समस्त परिवार को एक साथ मिलकर पूजा करनी चाहिए ना कि अलग-अलग।
गोवर्धन पूजा में काले कपड़े पहनने की मनाही है इसीलिए इस दिन हल्के रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
FAQ
Q.गोवर्धन पूजा में किसकी पूजा होती है?
गोवर्धन पर्वत !
Q.गोवर्धन पूजा पर क्या खाना चाहिए?
गोवर्धन पूजा में प्रसाद के रूप में अन्नकूट की सब्जी खानी चाहिए।
Q. गोवर्धन पूजा पर क्या नहीं करना चाहिए?
बंद कमरे में पूजा नहीं करनी चाहिए।
Conclusion
दोस्तों इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद अब आप जान गए होंगे कि गोवर्धन पूजा क्यों की जाती हैं ? अगर आपको लेख अच्छा लगा हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर साझा करें।
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