मोक्षदा एकादशी पर किस तरह करें जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा, जाने मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व है क्योंकि एकादशी की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। पुराणों में ऐसा वर्णित है कि एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। हर महीने में दो एकादशी पड़ती है। पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। मार्ग शीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते है। इस बार मोक्षदा एकादशी 3 दिसम्बर, शनिवार को पड़ रही है। शास्त्रों में ऐसा उल्लिखित है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने वाला जातक जन्म-मृत्यु के बंधनों से मुक्त हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। 3 दिसम्बर को ही गीता जयंती भी है। आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरूक्षेत्र के मैदान में गीता का ज्ञान दिया था। मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा-अर्चना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण कवच का पाठ करना भी श्रेयस्कर होता है।

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मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त –

किसी भी त्योहार की पूजा शुभ मुहूर्त में करने पर उसका विशेष फल प्राप्त होता है। हिंदू पंचांग और ज्योतिष के अनुसार मोक्षदा एकादशी की शुरुआत 3 दिसंबर, शनिवार की सुबह 5 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होकर 4 दिसंबर, रविवार की सुबह 5 बजकर 34 मिनट तक रहेगी। सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 57 मिनट पर है। ऐसे में शाम को भद्रा काल शुरू होने से पहले पूजा कर लेना चाहिए क्योंकि भद्रा काल में की गई पूजा का फल नहीं मिलता है। भद्रा काल 3 दिसंबर की शाम 5 बजकर 33 मिनट से 4 दिसंबर की सुबह 5 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। मोक्षदा एकादशी पर इस साल रवि योग भी बन रहा है। इस योग को बेहद शुभ मान गया है। अगर आप इस योग में नर नारायण भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते है तो आपको विशेष फल प्राप्त होगा।

एकादशी के व्रत का पारण 4 दिसंबर को होगा। पारण के दिन यानि 4 दिसंबर को पूरा दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। पारण का शुभ समय 4 दिसंबर की सुबह 07ः05 बजे से 09ः09 बजे तक रहेगा.। किसी भी व्रत को करने के बाद दान-दक्षिणा जरूर देना चाहिए। ऐसा करने से व्रत करने वाले जातक को व्रत का पूरा लाभ मिलता है।

इस तरह करे मोक्षदा एकादशी पर पूजा

एकादशी के दिन ब्रह्मवेला में भगवान को पुष्प, जल, धूप, दीप, अक्षत से पूजन करना चाहिए। इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाया जाता है। इस व्रत में दान करने से कई लाख गुना वृद्धि फल की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी वाले दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। अपने घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। इसके बाद भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी की पत्ती अर्पित करें। इसके बाद भगवान की आरती करें। तत्पश्चात भगवान को भोग लगाएं। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा | Mokshada Ekadashi Vrat Katha

पौराणिक कथा के अनुसार वैखानस नामक राजा चंपकनगर शहर पर शासन करता था। वहीं चंपकनगर के वासी भगवान विष्णु में अटूट आस्था रखते थे। एक रात राजा को एक भयावह सपना आया कि उसके पिता को यमलोक में यातना दी जा रही है। इस विचित्र सपने के सम्बन्ध में राजा ने अपने मंत्रियों की सभा बुलाई और उन्हें अपने सपने के विषय में बताया। साथ ही सभी मंत्रियों से अपने पिता की मुक्ति का उपाय बताने के लिए कहा। सुझाव के रूप में मंत्रियों ने राजा को पर्वत मुनि के आश्रम जाकर उनसे सहायता मांगने के लिए कहा। जब राजा पर्वत मुनि के आश्रम पहुंचे और उनसे अपने सपने के विषय में बताया। तब पर्वत मुनि ने राजा को बताया कि ‘राजन! आपके पिता ने एक अपराध किया था, जिस वजह से उन्हें यमलोक में यातनाओं को भोगना पड़ रहा है।‘ जब राजा ने उनसे मुक्ति का उपाय पूछा तब पर्वत मुनि ने उन्हें सुझाव दिया कि वह मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी पर व्रत का पालन करें और श्रद्धापूर्वक दान-धर्म करें। इस दिन उपवास रखने से पितरों को यमलोक से मुक्ति मिल जाती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। पर्वत पुनि के सुझाव का पालन करते हुए राजा ने मोक्षदा एकादशी व्रत का पालन किया और दान-धर्म किया। इसके परिणाम स्वरूप राजा के सभी पूर्वज जो यमलोक में यातनाएं भोग रहे थे, उन्हें मुक्ति मिल गई और वह सभी जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो गए।

मोक्षदा एकादशी वाले दिन क्या खाये

मोक्षदा एकादशी वाले दिन सूर्योदय से लेकर अगले दिन व्रत के पारण करने तक उपवास रखना चाहिए। अगर आप उपवास नहीं रख सके तो एकादशी वाले दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए। मोक्षदा एकादशी वाले दिन आप सब्जियां, दूध और नट्स का भी सेवन कर सकते हैं। एकादशी वाले दिन चावल, राजमा और लहसुन भूलकर भी नहीं खाना चाहिए।

मोक्षदा एकादशी पर इन बातों का रखे विशेष ध्यान

एकादशी के भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं।

  • भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
  • एकादशी वाले भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
  • एकादशी वाले दिन भगवान विष्णु का अधिक से अधिक ध्यान करने के साथ ही साथ विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चावल खाना कीड़े खाने के बराबर होता है।

इन नियमों का करें पालन

एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को एक दिन पूर्व यानि दशमी की रात्रि में भोजन नहीं करना चाहिए।

  1. एकादशी के दिन केवल फलों का ही भोग लगाना चाहिए और समय≤ पर भगवान विष्णु का सुमिरन करना चाहिए। रात्रि में पूजन के बाद जागरण करना चाहिए।
  2. अगले दिन द्वादशी को पारण करना चाहिए। किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन व दान-दक्षिणा देना चाहिए।
  3. सके बाद स्वयं को भोजन ग्रहण करके व्रत खोलना चाहिए।
  4. विष्णु जी के बीज मंत्र का करें जाप
  5. मोक्षदा एकादशी के दिन शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद एकादशी की कथा अवश्य सुननी चाहिए।
  6. भगवान विष्णु की आरती करें और कम से कम 108 बार भगवान विष्णु के बीज मंत्र का जाप करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सारे दुखों को दूर करते है और उनकी सारी मनोकामना पूर्ण करते है।
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