हिन्दू धर्म में व्रत रखने की परंपरा काफी पुरानी है। व्रत रखने के पीछे धार्मिक कारण भी है और वैज्ञानिक भी। धार्मिक कारण यह है कि लोग अपनी मन की शुद्धि और अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते है तो वही विज्ञान कहता है कि अगर आप हफ्ते में एक दिन व्रत रखते है तो आपकी सेहत अच्छी रहती है। व्रत रखने से शरीर में स्फूर्ति आती है, साथ ही आत्मबल भी बढ़ता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में अनेक व्रतों का विधान है। इन्ही व्रतों में से एक है प्रदोष व्रत। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित व्रत है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में दूसरा शुक्ल पक्ष में। आज के लेख में हम जानेंगे कि दिसम्बर महीने का पहला प्रदोष व्रत कब है, किस तरह प्रदोष व्रत में पूजा करनी चाहिए, प्रदोष व्रत का क्या महत्व है और इससे संबधित सभी बातों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
प्रदोष व्रत कब है | Som Pradosh 2022
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 5 दिसंबर, दिन सोमवार को है। सोमवार को प्रदोष तिथि पड़ने के चलते इसे सोम प्रदोष कहते है। जबकि जब मंगलवार को प्रदोष तिथि पड़ती है तो उसे भौम प्रदोष कहा जाता है। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। अगर आप प्रदोष काल के बारे में नहीं जानते है तो हम आपको बता दे कि प्रदोष काल वह समय कहलाता है, जब सूर्यास्त हो रहा होता है और रात्रि आने के पूर्व समय को प्रदोष काल कहते है। अर्थात सूर्यास्त के 45 मिनट पहले से और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक के काल को प्रदोष काल कहा जाता है।
सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त | Som Pradosh Muhurat
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 5 दिसंबर 2022 को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इसका समापन अगले दिन 06 दिसंबर 2022 को सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर होगा। प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त दिनांक 5 दिसंबर, 05 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं। संतान की इच्छा रखने वाले दंपत्ति भी प्रदोष व्रत रखते हैं।
सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि | Som Pradosh Vrat Vidhi | Som Pradosh Puja Vidhi
सोम प्रदोष वाले दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करने के पश्चात शिव मंदिर में आकर ‘अहमद्य महादेवस्य कृपाप्राप्त्यै सोमप्रदोषव्रतं करिष्ये‘ कहकर प्रदोष व्रत का संकल्प करें। प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान लाल या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान भोलेनाथ का षोडषोपचार पूजन करना चाहिए। तत्पश्चात शिवलिंग पर बेलपत्र, अक्षत, धूप-दीप, जल, गंगाजल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें। भोलेनाथ को बेलपत्र बहुत ही प्रिय है। प्रदोष व्रत के दिन बिल्वपत्र चढ़ाने से बहुत ही शुभ फल प्राप्त होता है।
इसके बाद धूप-दीप से भगवान शिव की आरती उतारें और उनको भोग लगाएं। इसके बाद मंदिर में बैठकर एक माला ‘ऊँ नमः शिवाय‘ और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें और प्रदोष व्रत की कथा सुनें। प्रदोष व्रत करने वाले साधक को पूरे दिन षिव जी का ध्यान करना चाहिए और षिव मंत्रों का निरन्तर जाप करना चाहिए। सोम प्रदोष व्रत पर शिवलिंग का अभिषेक करते समय ‘ऊँ सर्वसिद्धि प्रदाये नमः‘ मन्त्र का 108 जाप अवष्य करें।
प्रदोष व्रत वाले दिन क्या खाये | Som Pradosh Vrat Me Kya Khana Chahiye
प्रदोष व्रत में दिन में केवल एक ही समय फलाहार ग्रहण करना चाहिए। बार-बार मुंह झूठा नहीं करना चाहिए। प्रदोष व्रत में आप दूध का सेवन भी कर सकते हैं या दूध से बनी चीजें जैसे- दही, श्रीखंड या पनीर खा सकते हैं। व्रत का पारण अगले दिन करना चाहिए लेकिन आप चाहे तो प्रदोष व्रत वाले दिन शाम को भी व्रत खोल सकते है। शाम को भगवान शिव का अभिषेक पूजन करने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए। अगर आप अगले दिन व्रत का पारण कर रहे हैं तो हरे मूंग का सेवन अवश्य करें, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है।
कैसे करें प्रदोष व्रत का उद्यापन | Som Pradosh Vrat Udyapan Vidhi in Hindi
ग्यारह या 26 प्रदोष के व्रत को करने के बाद व्रत का उद्यापन करना चाहिए। उद्यापन त्रयोदशी को ही करना चाहिए। उद्यापन से एक दिन पूर्व भगवान गणेश का विधिवत पूजन करना चाहिए। साथ ही रात्रि में जागरण भी करना चाहिए। प्रदोष व्रत की सारी सामग्री इकट्ठा करने के बाद घर के पूजा स्थल में मंडप बना ले। मंडप को वस्त्रों और रंगोली से तैयार करें। तत्पश्चात ‘ऊँ उमा सहित शिवाय नमः’ मंत्र का एक माला यानी 108 बार जाप करते हुए हवन करें। हवन में आहूति के लिए खीर का प्रयोग करें। हवन सम्पूर्ण होने के बाद भगवान भोलेनाथ की आरती करें। इसके बाद ब्राहमणों को भोजन अवश्य करायें और अपने सामथ्र्य अनुसार दान दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके बाद अपनी मनोकामना को भोलेनाथ के सम्मुख रखें। सच्चे मन से जो भी जातक प्रदोष व्रत का उद्यापन करता है उस पर भगवान शिव शंकर प्रसन्न होकर उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
सोम प्रदोष व्रत का महत्व | Som Pradosh Vrat Ka Mahatva
प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है। प्रदोष व्रत करने वाले जातकों पर भगवान भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है। व्रत रखने वाले जातकों को जीवन में कभी भी हार का सामना नहीं करना पड़ता है।
ऐसी मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और उस समय सभी देवी-देवता उनके गुण का स्तवन करते हैं। ऐसे में जो भी जातक प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की सच्चे मन से पूजा करता है, उस व्यक्ति की सभी मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है और व्यक्ति सभी प्रकार के दोषों से मुक्त हो जाता है।
सोम प्रदोष का व्रत रखने से आपकी कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है क्योंकि सोम प्रदोष व्रत का संबंध चंद्रमा से होता है।
सोम प्रदोष व्रत वाले दिन भोलेनाथ का अभिषेक, रुद्राभिषेक और श्रृंगार करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। भगवान षिव शंकर प्रसन्न होकर उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष या ग्रहण दोष है, उन्हें सोम प्रदोष का व्रत जरूर रखना चाहिए। प्रदोष व्रत रखने और शिव पूजा करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट, पाप आदि दूर होते हैं।
सोम प्रदोष व्रत को करे ये उपाय | Som Pradosh Ke Upay
संतान की लालसा रखने वाले दंपत्ति अगर एक साथ मिलकर सोम प्रदोष का व्रत रखें और शिवलिंग का पंचगव्य से अभिषेक करें। अगर आप सोम प्रदोष वाले दिन ये उपाय करते हैं तो आप पर भोलेनाथ की कृपा बरसती है और आपको जल्द ही संतान की प्राप्ति होगी।
अगर आप आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं और इस समस्या को दूर करना चाहते हैं तो सोम प्रदोष वाले दिन दूध से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करे। इसके बाद शिवलिंग पर फूलों की माला अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते है और आपके जीवन में चली आ रही आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती है।
घर-परिवार में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए गाय के दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें और शिव के मंत्रों का जाप करें। ऐसा करने से घर-परिवार में सुख-शांति और आपसी प्रेम बना रहेगा।
अगर आप लगातार बीमार पड़ रहे है और चली आ रही बीमारी को दूर करना चाहते है तो गाय के घी से शिवलिंग का अभिषेक करें और शिवलिंग पर बेला के फूल या हरसिंगार के फूलों को अर्पित करें। ऐसा करने से सुख-संपत्ति बढ़ती है और आपको आरोग्यता की प्राप्ति होती है।
अगर आपके जीवन में चली आ रही समस्याएं पीछा नहीं छोड़ रही है तो सोम प्रदोष के दिन जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें और काले तिल का दान करें। ऐसा करने से आपके जीवन में चली आ रही सभी अड़चन दूर होती हैं और आपको पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
अगर आपका दांपत्य जीवन खुशहाल नहीं है। दांम्पत्य जीवन में कोई ना कोई समस्या लगी रहती है तो सोम प्रदोष के दिन गुलाब के 27 लाल फूल 27 बार ऊं नमः शिवाय का जाप करते हुए शिव जी को अर्पित करें। साथ ही भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर चंदन का इत्र अर्पित करें। अगर दोनों पति-पत्नी एक साथ मिलकर इस उपाय को करते हैं तो दांम्पत्य जीवन में चली आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती है।
प्रदोष व्रत वाले दिन आप किसी तालाब या नदी किनारे जाकर मछलियों को आटे की गोलियां खिलाये तथा गरीबों को अन्न, वस्त्र का दान अवष्य करें। ऐसा करने वाले जातक पर भोलेनाथ की कृपा बरसती है।
यदि कोई जातक 11 अथवा एक वर्ष तक सभी त्रयोदशी का व्रत करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं अवश्य और शीघ्रता से पूर्ण होती है।
प्रदोष व्रत वाले दिन ना करें ये काम | Som Pradosh Kya Kare Kya Na Kare
प्रदोष व्रत के दौरान सादा नमक, चावल, अनाज और लाल मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिए।
प्रदोष व्रत करने वाले जातक को कभी भी कटे-फटे कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
प्रदोष व्रत करने वाले जातक को क्रोध नहीं करना चाहिए। व्रत करने वाले जातक को शांत रहना चाहिए।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करते समय कभी भी काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। काला रंग नकारात्मकता का प्रतीक होता है। भोलेनाथ की लाल या पीले रंगे कपड़े पहनकर पूजा करना अच्छा माना जाता है।
भगवान शिव को हल्दी के अलावा, केतकी के फूल, तुलसी की पत्तियां, नारियल का पानी, शंख का जल, कुमकुम या सिंदूर कभी भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
आज हमने भगवान भोलेनाथ के सर्वोत्तम व्रत प्रदोष व्रत की महिमा जानी। प्रदोष व्रत जीवन की सारी समस्याओं को दूर करने वाला और जीवन में खुशहाली लाने वाला व्रत है।