आमलकी एकादशी क्यों मनाई जाती है | Amalaki Ekadashi Vrat Katha

आमलकी एकादशी पर क्यों होती है आंवले के पेड़ की पूजा

हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत जगत के पालनहार श्री हरि भगवान विष्णु को समर्पित होता है। हर माह एकादशी पड़ती है। फाल्गुन माह में जो एकादशी पड़ती है उसे आमलकी एकादशी कहा जाता है। होली से पहले पड़ने के चलते इसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। आमलकी का हिन्दी अर्थ भारतीय आंवला होता है। आमलकी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। आंवले के पेड़ को हिन्दू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि आंवले के पेड़ में भगवान श्री हरि और माता लक्ष्मी निवास करती हे। आज के लेख में हम आपको बताएंगे कि फाल्गुन मास की आमलकी एकादशी कब है, इस दिन किस विधि से भगवान श्री हरि की पूजा करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त आमलकी एकादशी के महत्व के बारे में भी आपको बताएंगे।

आमलकी एकादशी कब है | Amla Ekadashi 2023 Date and Time

जैसा कि मैने ऊपर बताया आमलकी एकादशी या रंगभरी एकादशी होली से चार दिन पहले पड़ती है। होली का त्योहार इस बार 7 मार्च 2023 को है। इस तरह आमलकी एकादशी 03 मार्च 2023, दिन शुक्रवार को पड़ेगी। आमलकी एकादशी 02 मार्च 2023 दिन गुरूवार को सुबह 06 बजकर 39 मिनट से प्रारम्भ होकर 03 मार्च, 2023 दिन शुक्रवार को सुबह 09 बजकर 11 मिनट तक रहेगी। ऐसे में आमलकी एकादशी का मान 03 मार्च को करना ही श्रेयस्कर होगा। आमलकी एकादशी पर जगत के पालनहार श्री हरि भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 45 मिनट से सुबह 11ः06 मिनट तक रहेगा। आमलकी एकादशी पर इस बार तीन शुभ योग भी बन रहे है। ये योग हैं सर्वार्थ सिद्धि योग, सौभाग्य योग और शोभन योग। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6ः45 से दोपहर 03ः43 तक रहेगा। सौभाग्य योग सुबह 7ः52 से शाम 06ः45 तक रहेगा जबकि शोभन योग शाम 06 बजकर 45 मिनट तक अगले दिन 08‘24 मिनट तक रहेगा। इन शुभ योगों में पूजा करने से श्री हरि भगवान विष्णु का आर्शीवाद मिलता है और जातक के घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी के दिन किया जाता है। ऐसे में दिनांक 04 मार्च, दिन शनिवार को एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए। पारण का शुभ समय दिनांक 4 मार्च को सुबह 06ः44 से सुबह 9ः03 तक है। पारण में अनाज खा सकते है लेकिन ध्यान रहे कि द्वादशी के दिन भी चावल खाने से बचना चाहिए। आमलकी एकादशी के व्रत का पारण करने से पहले किसी ब्राहमण को भोजन कराना चाहिए और सामथ्र्यनुसार दक्षिणा देनी चाहिए। ब्राहमण को भोजन कराने के बाद ही स्वयं भोजन ग्रहण करना चाहिए।

Amalaki Ekadashi Vrat Katha

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आमलकी एकादशी पर इस तरह करें पूजा | Amla Ekadashi Puja Vidhi

आमलकी एकादशी वाले दिन ब्रहम मुहूर्त में उठ जाये। उसके बाद स्नान कर ले। स्नान करते समय पवित्र नदियों गंगा, यमुना, सरस्वती आदि का ध्यान करें। स्नान करने के बाद साफ धुले हुए वस्त्र पहन लें। तत्पश्चात अपने पूजा घर में जाकर भगवान विष्णु की मूर्ति के समक्ष बैठकर हाथ में जल लेकर एकादशी के व्रत का संकल्प लें। एकादशी की पूजा का सारा सामान रोली, चावल, फूल, अगरबत्ती, चंदन आदि एकत्रित कर ले। इस सामग्री से भगवान विष्णु का पूजन करे।

चूंकि आमलकी एकादशी पर आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। ऐसे में नियम के अनुसार ही आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। सबसे पहले जिस जगह पर आंवले का वृक्ष हो उसके आसपास की जगह को गाय के गोबर से लीपकर पवित्र कर ले। तत्पश्चात जल से भरा कलश पेड़ के समीप रखें। कलश पर चंदन लगाएं। जल में सुगंध डाले और पंच रत्न डालकर कलश को स्थापित करें। आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम की भी आराधना की जाती है। ऐसे में भगवान परशुराम जी का पंचामृत से अभिषेक करते हुए रोली चावल का तिलक लगाएं और उन्हें पीले रंग के फल, फूल अर्पित करे। आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंत्र ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करते हुए आंवले की वृक्ष की परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए।

अगर आपके घर के पास कोई आंवले का वृक्ष नहीं है तो आंवला लेकर उसे भगवान विष्णु को समर्पित करना चाहिए। आमलकी एकादशी की कथा पढ़े तथा सपरिवार देशी घी के दीपक या कपूर से भगवान विष्णु की आरती उतारे। भोग के रूप में भगवान श्री हरि को आंवले का भोग ही लगाना चाहिए। इस भोग को घर के अन्य परिजनों में वितरित करें। एकादशी के दिन कुछ भक्तगण रात भर जागरण करते है और पूरी रात श्री हरि भगवान विष्णु के मंत्रों व भजनों को का वाचन करते हैं।

एकादशी के दिन जो भी साधक व्रत रखता है उसे आंवले के बने हुए खाद्य पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए। अगर आप उपवास नहीं भी रखते है तो भी एकादशी के दिन आपको अनाज या चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।

जैसा कि आपने जाना कि आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी भी कहते है। मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन भोलेनाथ माता पार्वती को काशी की पवित्र नगरी में लाएं थे। ऐसे में रंगभरी एकादशी के दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की भी आराधना करनी चाहिए। रंगभरी एकादशी काशी नगरी में विशेष हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दिन भोलेनाथ के भक्त शिव शंकर व माता पार्वती को रंग गुलाल लगाते हैं और विधिविधान से भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-पाठ करते हैं, उनकी आराधना करते हैं।

आमलकी एकादशी व्रत कथा | Amla Ekadashi Vrat Katha | Amalaki Ekadashi Vrat Katha

आमलकी एकादशी के संबंध में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार जब भगवान ब्रहमा की उत्पत्ति भगवान विष्णु की नाभि से हुई तो उन्होंने भगवान विष्णु से जानना चाहा कि उनकी उत्पत्ति क्यों हुई है। किस कार्य को करने के लिए उनका जन्म हुआ है। भगवान ब्रहमा ने इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए श्री हरि भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की। ब्रहमा जी की कठिन तपस्या से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने भगवान ब्रहमा को साक्षात दर्शन दिए। भगवान विष्णु को अपने सामने देखकर ब्रहमा जी बहुत भावुक हो गए। उनकी आंखों से आसू निकलने लगे। मान्यता है कि ब्रहमा जी के इन्हीं आंसुओं से आंवला के पेड़ का निर्माण हो गया। भगवान विष्णु ने जगत के सृजनकर्ता ब्रहमा जी से कहा कि आपके आंसुओं से इस पेड़ की उत्पत्ति हुई है क्योंकि आप सृष्टि के सृजनकर्ता हैं। इसलिए इस पेड़ में सभी देवी-देवता वास करेंगे। जिस दिन यह घटना घटित हुई उस दिन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी थी। भगवान विष्णु ने ब्रहमा जी को वचन दिया कि आज से जो भी जातक आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की विधिविधान से पूजा करेगा। उसे मोक्ष फल की प्राप्ति होगी। ऐसे में आमलकी एकादशी के व्रत रखने वाले जातक को जन्म-मरण के सारे बंधनों से मुक्ति मिलती है और जातक को मोक्ष फल की प्राप्ति होती है।

आमलकी एकादशी का महत्व | Amalaki Ekadashi Mahatva

जो भी श्रद्धालु सच्चे भाव से आमलकी एकादशी का व्रत, उपवास रखता है उसे अपने पूर्व और वर्तमान के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष फल की प्राप्ति होती है। ब्रहम पुराण में आमलकी एकादशी के व्रत की महिमा बताई गई है। इस व्रत की महिमा का वर्णन स्वयं बाल्मीकि जी ने भी विस्तारपूर्वक बताई है।

जो भी जातक आमलकी एकादशी के दिन श्रद्धापूर्वक भगवान श्री हरि की पूजा उपासना करता है और आंवले के पेड़ की पूजा करता है उस जातक के घर में धन और सम्पत्ति में कभी कमी नहीं होती है, उसमें लगातार बढ़ोत्तरी होती है।

शास्त्रों में आमलकी एकादशी के महत्व का वर्णन किया गया है-

वसत्यामलकीवृक्षे,लक्ष्म्या सह जगत्पतिः।

तत्र संपूज्य देवेशं शक्त्या कुर्यात् प्रदक्षिणां।

उपोष्य विधिवत् कल्पं, विष्णुलोके महीयते।।

इस श्लोक के अनुसार आंवले के पेड़ में भगवान श्री हरि और माता लक्ष्मी निवास करती हैं। आवले के पेड़ में देवताओं का निवास होता है। जो भी जातक आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष का पूजन करता है और श्रद्धापूर्वक उसकी परिक्रमा करता है। उस साधक की धन-सम्पत्ति में बढ़ोत्तरी होती है। सभी पापों से उसे मुक्ति मिलती है और भगवान श्री हरि विष्णु का आर्शीवाद प्राप्त होता है।

पुराणों में आवले के पेड़ को आदि पेड़ या देव वृक्ष भी कहा गया है। अगर आप आंवले के पेड़ की पूजा करते है तो आपको समस्त देवताओं का आर्शीवाद मिलता है।

आमलकी एकादशी का व्रत रखने वाले जातक को 1000 गायों के दान के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। आमलकी एकादशी के दिन आंवले का ही सेवन करना चाहिए। साथ ही आंवले का ही दान करना भी सर्वोत्तम होता है।

आमलकी एकादशी का व्रत करने वाले जातक को जीवन में कभी भी कठिन स्थितियों का सामना नहीं करना पड़ता। ईश्वर उसकी हर परिस्थिति में मदद करते हैं। उस जातक की धन-सम्पदा में वृद्धि होती है। जातक के घर-संसार में खुशहाली आती है।

आमलकी एकादशी या रंगभरी एकादशी के दिन काशी मे जमकर होली खेली जाती है। सभी लोग एक दूसरे को रंग लगाते है। अबीर-गुलाल उड़ाते है। इस दिन यहां के मंदिरों में भी विशेष पूजा पाठ की जाती है।

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आमलकी एकादशी उपाय | Amalaki Ekadashi Upay

आमलकी एकादशी के दिन कुछ ऐसे अचूक उपाय हैं जिन्हें करके आप अपने जीवन के कष्टों से मुक्ति पा सकते है।

  • अगर पति-पत्नी के मध्य मनमुटाव चल रहा हो, वैवाहिक जीवन की सुख-शांति चली गई हो तो आज के दिन आंवले के जल से ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए श्री हरि भगवान विष्णु का अभिषेक करें। साथ ही हाथ जोड़कर भगवान विष्णु से अपने वैवाहिक जीवन की सारी परेशानियों को दूर करने की प्रार्थना करें। इस उपाय से वैवाहिक रिश्तों में सुधार आयेगा और आपस का मनमुटाव दूर होगा।
  • दाम्पत्य जीवन से जुड़ा एक और उपाय है जिसे अगर आप कर लेते है तो आपके दाम्पत्य जीवन में खुशहाली आने से कोई नहीं रोक सकता है। आज के दिन आंवले के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करें। परिक्रमा के दौरान आंवले के पेड़ में 7 बार कलावा बांधे। इस उपाय को करने से दाम्पत्य जीवन में मधुरता आयेगी।
  • रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती को लाल रंग का गुलाल चढ़ाये। ऐसा करने से घर में खुशहाली आयेगी और घर में चल रही कलह क्लेश दूर होगा और सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा।
  • आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए रंगभरी एकादशी के दिन भोलेनाथ का सफेद चंदन और बेल पत्रों से श्रृंगार करें और शिवलिंग पर अबीर और गुलाल चढ़ाएं। शिव चालीसा का पाठ करें और भोलेनाथ की आरती करें। इस उपाय को करने से आपकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी और धन में बरकत बढ़ेगी।
  • कर्ज की समस्या से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु के समक्ष बैठकर विष्णु सहस्रत्रनाम का श्रद्धापूर्वक पाठ करें। पाठ करने के बाद उन्हें आंवला अर्पित करें। इस उपाय को करने से आपका कर्ज उतर जायेगा और जीवन में खुशहाली आयेगी।
  • नौकरी में बाधा आ रही हो। व्यापार में घाटा हो रहा हो तो आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को 21 पीले फूलों की माला बनाकर अर्पित करें। आंवले के पेड़ में जल चढ़ाएं और भगवान श्री हरि विष्णु भगवान से अपने कैरियर में आ रही बाधा को दूर करने की प्रार्थना करें। आप देखेंगे कि इस उपाय को करने से आपके करियर और व्यापार में चली आ रही बाधाएं दूर होगी और व्यापार में बढ़ोत्तरी होगी। भगवान विष्णु की कृपा आप पर बनी रहेगी। नौकरी में पदोन्नति के योग बनेंगे।
  • अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए एक पीले रंग का साफ रूमाल ले। इस रूमाल में गोटा लगा दे और एकादशी के दिन भगवान विष्णु को चढ़ाएं। इस उपाय से आपके मन की सभी इच्छाओं की पूर्ति होगी।

निष्कर्ष

जन्म मरण के सभी बंधनों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष फल की प्राप्ति कराने वाला व्रत आमलकी एकादशी का व्रत होता है। आमलकी एकादशी पर रात्रि जागरण करने से श्री हरि का विशेष आर्शीवाद मिलता है। जो भी जातक सच्चे मन से आमलकी एकादशी का व्रत करता है और व्रत के पश्चात ब्राहमणों को भोजन कराता है और यथाशक्ति दान देता है उस पर श्री हरि भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है। तो दोस्तों आज के लेख में हमने आपको आमलकी एकादशी के व्रत के बारे में पूरी जानकारी दी। हमें उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास भी है कि यह जानकारी आपको लाभप्रद लगी होगी। इस जानकारी को अपने परिजनों व मित्रों के साथ सोशल मीडिया पर साझा जरूर करें जिससे आमलकी एकादशी के व्रत के बारे में सभी को जानकारी मिले। ऐसे ही धार्मिक और आध्यात्मिक लेखों को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे। जयश्रीराम

FAQ – ज्यादातर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q.1. आमलकी एकादशी 2023 में कब है?

Ans. आमलकी एकादशी दिनांक 03 मार्च, 2023, दिन शुक्रवार को है।

Q.2. आमलकी एकादशी को और किस नाम से जाना जाता है?

Ans. आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन काशी नगरी में भोलेनाथ के भक्तगण भगवान शिव और माता पार्वती की अबीर-गुलाल से पूजा करते है। काशी में इस दिन विशेष आयोजन होता है।

Q.3 आमलकी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है

Ans. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है आमलकी अर्थात आंवला। इस दिन आंवले के वृक्ष की इसलिए पूजा की जाती है क्योंकि आंवले के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है।

Q.4. मलकी एकादशी का क्या महत्व है?

Ans. आमलकी एकादशी पर भगवान श्री हरि विष्णु और सभी देवताओं का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। इस दिन से ही हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहार होली का वातावरण भी बनने लगता है। आमलकी एकादशी को होली के प्रारंभ के रूप में भी जाना जाता है।

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