यशोदा जयंती कब मनाई जाती है | Yashoda Jayanti Vrat Katha

हिन्दू धर्म में फाल्गुन माह त्योहारों के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माह है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है। यह तो हम सभी जानते है कि भगवान श्रीकृष्ण ने माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था और माता यशोदा ने उनका लालन-पालन किया था। इन्हीं माता यशोदा के जन्मदिन को यशोदा जयंती के रूप में मनाया जाता है। यशोदा जयंती को भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के सभी मंदिरों में श्रीकृष्ण के साथ माता यशोदा की पूजा-उपासना की जाती है। इस पर्व को एक उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। वैसे तो यह पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों में यह खास तौर पर मनाया जाता है। आज के लेख में हम जानेंगे कि फाल्गुन माह में यशोदा जयंती कब है, कैसे इस दिन पूजा-पाठ करना चाहिए आदि के संबंध में विस्तार से चर्चा करेंगे। 

यशोदा जयंती कब है | Maiya Yashoda Jayanti Kab Hai | Yashoda Jayanti 2023

पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है। फाल्गुन कृष्ण षष्ठी तिथि दिनांक 11 फरवरी, दिन शनिवार  को सुबह 9ः05 मिनट से प्रारम्भ होकर 12 फरवरी, दिन रविवार को सुबह 9 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार के अनुसार यशोदा जयंती 12 फरवरी 2023 दिन रविवार को मनाना ही सर्वोत्तम होगा। यशोदा जयंती के दिन माता यशोदा और भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और उसके सफल जीवन के लिए पूजा-पाठ करती है और व्रत रखती हैं। 

यशोदा जयंती पर ऐसे करें पूजा-पाठ | Yashoda Jayanti Pooja Vidhi

यशोदा जयंती पाले दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होने के बाद किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। यदि ऐसा करना संभव न हो तो अपने घर के नहाने वाले पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर ले। स्नान के बाद साफ-धुले हुए वस्त्र पहन लें। अपने घर के मंदिर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करें। घर के मंदिर में एक लकड़ी की छोटी चैकी पर थोड़ा सा गंगाजल डालकर उसे शुद्ध कर लें। उसके बाद उस चैकी पर लाल कपड़ा बिछा दें। चैकी के ऊपर एक तांबे के कलश की स्थापना करें। भगवान श्रीकृष्ण की ऐसी प्रतिमा स्थापित करें जिसमें माता यशोदा उन्हें गोद में लिए हुए हो। माता यशोदा को लाल रंग की चुनरी अर्पित करें। तत्पश्चात माता यशोदा को रोली का तिलक लगाएं। अक्षत चढ़ाए। धूप-दीप जलाएं और माता यशोदा और भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा आराधना करें। तत्पश्चात यशोदा जयंती की कथा सुने व घर के सभी सदस्य एक साथ मिलकर माता यशोदा और भगवान कृष्ण की आरती करें। फल, फूल, पंजीरी आदि चीजों का भोग लगाए। श्रीकृष्ण जी को मक्खन अत्यन्त प्रिय है। ऐसे में इस दिन श्रीकृष्ण जी को माखन का भोग अवश्य लगाएं। पूजन समाप्त होने के बाद भगवान श्रीकृष्ण और माता यशोदा का ध्यान करकर अपनी मनोकामना को उनके सम्मुख रखें और उसकी पूर्ति की प्रार्थना करें। पूजन के दौरान अगर कोई गलती हो गई हो उसके लिए क्षमा मांगें। पूजा पूरी होने के बाद प्रसाद स्वयं ग्रहण करें और परिवार के अन्य लोगों को भी इस प्रसाद को वितरित करें। 

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यशोदा जयंती की कथा | Yashoda Jayanti Vrat Katha | Yashoda Jayanti Story in Hindi

यशोदा जयंती की कथा के अनुसार एक बार माता यशोदा ने जगत के पालन श्री हरि भगवान विष्णु की कई दिनों तक घोर तपस्या की। माता यशोदा की कठिन तपस्या से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने प्रकट होकर माता यशोदा से वरदान मांगने को कहा। माता यशोदा ने विष्णु भगवान से मांगा कि मैं चाहती हूं कि आप स्वयं मेरे घर में पुत्र के रूप में जन्म ले। भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि द्वापर युग में जब मेरा जन्म वासुदेव और देवकी के घर में होगा तब आपकी यह इच्छा पूर्ण होगी। मैं भले ही वासुदेव और देवकी के यहां पैदा हूं लेकिन मेरे पालन-पोषण की जिम्मेदारी आपको ही मिलेगी। भगवान विष्णु ने जैसा कहा था वैसा ही हुआ। श्री हरि भगवान विष्णु ने देवती और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया। कंस ने वासुदेव और देवकी की सातों संतानों की हत्या कर दी इसलिए अपनी संतान की रक्षा के लिए वह उसे नंद और यशोदा के यहां छोड़ आये जिसके बाद से श्रीकृष्ण का लालन-पालन माता यशोदा ने किया। माता यशोदा ने श्रीकृष्ण का पालन पोषण बहुत स्नेह के साथ किया था। वो उनको बहुत स्नेह करती थी। श्रीकृष्ण भी अपनी माता यशोदा से बहुत प्रेम करते थे। श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से समस्त ब्रजवासी मोहित थे। श्रीकृष्ण जी ने अपने बाल्यकाल में बहुत सारे चमत्कार किये थे। गोपियां उन्हें माखन चोर, यशोदा नंदन के नाम से पुकारती थी। एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने मिट्टी खा ली। इस बात से माता यशोदा ने जब उनसे पूछा तो उन्होंने मना कर दिया। माता यशोदा ने उन्हे डांटकर मुख खोलने को कहा। जब श्रीकृष्ण जी ने अपना मुख खोला तो उनके मुख में सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड के दर्शन हो गये। तब भगवान विष्णु ने माता यशोदा को अपने वचन को याद दिलाया। भगवान श्रीकृष्ण की महिमा बड़ी विशाल है। 

मान्यता है कि यशोदा जयंती के दिन माता यशोदा के साथ श्रीकृष्ण की पूजा करने वाले जातक के सभी दुख दूर हो जाते हैं। स्वयं माता यशोदा की महिमा के बारे में भगवद्गीता में लिखा है कि श्री हरि भगवान विष्णु की जो कृपा यशोदा जी को मिली। वैसी कृपा न ब्रह्माजी को, न शंकर जी और उनकी धर्मपत्नी लक्ष्मीजी को कभी प्राप्त हुई है। 

यशोदा जयंती की एक कथा और प्रचलित है। इस कथा के अनुसार जब राक्षसिनी पूतना भगवान श्रीकृष्ण को मारने के उद्देश्य से गोकुल आई थी तो कृष्ण जी ने दूध के साथ उसके प्राण भी ले लिए। जब पूतना पूतना कृष्ण को लेकर मथुरा की ओर दौड़ी तो उसी समय माता यशोदा के भी प्राण भगवान श्रीकृष्ण के साथ चले गए। उनका शरीर जीवित तब हुआ जब मथुरा की गोपियों ने श्रीकृष्ण जी को उनकी गोद में रखा। तब से ही यशोदा जयंती का पर्व मनाया जाने लगा। 

यशोदा जयंती का महत्व | Yashoda Jayanti Ka Mahatva

यशोदा जयंती संतान और उसके मातृत्व प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व माताओं के दृष्टिकोण से बहुत महत्व रखता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की सुख समृद्धि और लंम्बी आयु के लिए व्रत करती है। मान्यता अनुसार अगर निःसंतान महिला इस व्रत को करें तो माता यशोदा और भगवान कृष्ण के आर्शीवाद से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। 

यशोदा जयंती के दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप का पूजन होता है। इस दिन अगर किसी महिला को सपने में कृष्ण जी के बाल स्वरूप के दर्शन हो जाएं तो कृष्ण जी का आर्शीवाद मानना चाहिए। उनके आर्शीवाद से संतान दीर्घायु होती है। जो भी व्यक्ति आज के  दिन माँ यशोदा और श्रीकृष्ण की सच्चे मन से पूजा-आराधना करता है उसकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अगर कोई स्त्री सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ यशोदा जयंती के दिन भगवान श्री कृष्ण और यशोदा जी की करती है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

यशोदा जयंती पर माता यशोदा के साथ-साथ श्रीकृष्ण भगवान का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए आज के दिन श्रीकृष्ण चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। 

यशोदा जयंती के दिन गाय को भोजन अवश्य कराएं। पुराणों में वर्णित है कि श्रीकृष्ण जी को गाय बहुत प्रिय थी। ऐसे में अगर आप गाय को भोजन कराते है तो श्रीकृष्ण भगवान प्रसन्न होते है और आपके घर-परिवार में खुशहाली आती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। 

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यशोदा जयंती उपाय | Yashoda Jayanti Upay | संतान प्राप्ति के लिए यशोदा जयंती पर करें ये छोटा उपाय 

निःसंतान महिला अगर संतान सुख चाहती है तो यशोदा जयंती के दिन एक छोटा सा उपाय है। माता यशोदा और कृष्ण जी की प्रतिमा के समक्ष एक कद्दू चढ़ाए। इसके बाद इसकी पूजा करें। इस कद्दू को सात बार अपनी नाभि के ऊपर से फिराकर किसी चैराहे पर जाकर रख दें। ऐसा करने से श्रीकृष्ण के आर्शीवाद से जल्द घर में बच्चे की किलकारी गूंज उठेगी। कद्दू को चैराहे पर रखते समय यह अवश्य ध्यान रखे कि आपको ऐसा करते हुए कोई देख न पाए। 

अगर आर्थिक समस्या से जूझ रहे हो, तो यशोदा जयंती पाले दिन तांबे का कलश लें, उसमें गेहूं भर दे। इस कलश को श्रीकृष्ण जी के किसी मंदिर में जाकर चढ़ा दें। ऐसा करने से चली आ रही आर्थिक परेशानी दूर होगी और कमाई में बरकत होगी। 

अगर घर में हर समय कलह-क्लेश का वातावरण बना रहता हो, घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास हो गया है तो घर के वातावरण को ठीक करने व नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए आज के दिन माता यशोदा और कृष्ण जी पर चढ़े कलावे को घर के मुख्य दरवाजे पर बांध दें और मुख्य द्वार पर स्वास्तिक व ऊँ का चिन्ह बनाएं। आप देखेंगे कि कुछ दिनों के अंदर ही आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा चली जायेगी और घर में सुख शांति का वास हो जायेगा। 

किसी भी समस्या को दूर करने के लिए दान से बेहतर कोई उपाय नहीं होता। यशोदा जयंती के दिन अपनी साम्थ्र्यनुसार गरीबों और जरूरतमंदों कुछ भी दान करें और श्रीकृष्ण जी से अपनी भूल चूक के लिए क्षमा याचना करें। इससे परिवार में कोई भी संकट होगा तो श्रीकृष्ण जी की कृपा से दूर हो जायेगा। 

माता यशोदा श्रीकृष्ण की पालन-पोषण करने वाली माता है। उन्होंने बहुत स्नेह और प्रेम से श्रीकृष्ण का पालन पोषण किया है। माता यशोदा के वात्सल्य की तुलना संसार की किसी भी माता से नहीं की जा सकती। पुराणों में ऐसा लिखा है कि माता यशोदा के भाग्य में संतान का सुख नहीं था परन्तु भगवान विष्णु के आर्शीवाद से उन्हें माता कहलाने का सौभाग्य मिला। श्रीकृष्ण का बचपन माता यशोदा की गोद में बीता था। ब्रज में आज भी श्रीकृष्ण जी अपने बाल्य स्वरूप रुप में ही पूजे जाते हैं। तो दोस्तों आज के लेख में हमने यशोदा जयंती के बारे में सारी जानकारी विस्तार से आपके समक्ष प्रस्तुत की। उम्मीद करते हैं आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। इस लेख को अपने मित्रों, परिजनों के साथ सोशल मीड़िया पर साझा अवश्य करें। इसी तरह के आध्यात्मिक और धार्मिक लेखों को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे।

जयश्रीराम

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