माघ पूर्णिमा कब है, इन उपायों से बरसेगी माता लक्ष्मी की कृपा | Magh Purnima 2023

हिन्दू धर्म में हर महीना एक खास महत्व रहता है। इन्हीं महीनों में से एक माह है माघ मास। माघ माह में की गई पूजा-पाठ और दान-पुण्य कई गुना होकर वापस आता है। माघ महीने की हर तिथि अपने आप में महत्वपूर्ण होती है। इन्हीं तिथियों में से एक तिथि है माघी पूर्णिमा तिथि। माघी पूर्णिमा पर स्नान-दान का विशेष महत्व होता है। माघी पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा भी कहते है क्योंकि इस दिन किया गया दान बत्तीस गुना होकर वापस लौटता है। आज के लेख में हम माघी पूर्णिमा कब है, कैसे इस दिन पूजा करनी चाहिए, इसका महत्व क्या है आदि पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

माघी पूर्णिमा कब है | Magh Purnima Kab Hai

माघ पूर्णिमा 04 फरवरी 2023, दिन शनिवार को रात्रि 9ः29 मिनट से प्रारम्भ होकर 05 फरवरी 2023, दिन रविवार की रात्रि 11ः58 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि हिन्दू धर्म में हर पर्व को मनाने के लिए उदया तिथि का मान किया जाता है। ऐसे में माघी पूर्णिमा का पर्व 05 फरवरी, दिन रविवार को मनाना ही श्रेयस्कर होगा। माघी पूर्णिमा से संबंधित स्नान, व्रत-पूजा और दान का कार्य भी 05 फरवरी को ही किया जायेगा। माघी पूर्णिमा पर इस बार आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, रवि पुष्प योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे है। आयुष्मान योग 5 फरवरी को सुबह 6 बजकर 14 मिनट से दोपहर 02 बजकर 41 मिनट तक है जबकि सौभाग्य योग 05 फरवरी को दोपहर 02ः41 मिनट से 06 फरवरी को दोपहर 03 बजकर 25 मिनट तक है। रवि पुष्य योग 05 फरवरी को सुबह 07 बजकर 7 मिनट से प्रारम्भ होकर दोपहर 12 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगा। जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7 बजकर 7 मिनट से शुरू होगा और दोपहर बाद 12 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगा। इन शुभ योगों में पूजा-पाठ और मांगलिक कार्य करने से दोगुना फल मिलता है। सौभाग्य योग 06 फरवरी को भी है लेकिन अगर आप उदया तिथि का मान करते है तो आपको 05 फरवरी को ही पूर्णिमा करनी चाहिए।

माघी पूर्णिमा पर ऐसे करें पूजा | Maghi Purnima Puja Kaise Kare

माघी पूर्णिमा के दिन ब्रहम मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। पूर्णिमा के दिन किसी नदी में स्नान करना बहुत ही फलदायी होता है इसलिए आज के दिन किसी पवित्र नदी जैसे गंगा, यमुना, नर्मदा आदि में स्नान जरूर करें। अगर किन्ही कारणों से ऐसा करना संभव न हो तो अपने घर के स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान अवश्य करें। स्नान करते समय भगवान सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते रहे। स्नान करने के बाद साफ धूले हुए वस्त्र पहनकर पूर्णिमा की पूजा करें।

माघ माह में सूर्यदेव की उपासना विशेष फलदायी होती है। ऐसे में स्नान करने के बाद सूर्यदेव को अघ्र्य जरूर दे और उनके सम्मुख खड़े होकर उनके मंत्र ‘ऊँ आदित्य नम’ ‘ऊँ भास्कराय नमः’ आदि मंत्रों का 108 बार जप करें। माघी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के मधुसूदन रूप की आराधना की जाती है। माघी पूर्णिमा के दिन सबसे पहले अपने पूजा घर में आसन बिठाकर बैठ जाये। पूर्णिमा व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु को पुष्प, माला चढ़ाएं। जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु के समक्ष धूप, दीप जलाएं। इसके बाद माघी पूर्णिमा की कथा करें। कथा समाप्त होने के बाद श्री हरि की आरती करें और इस आरती को घर के सभी परिजन को दे। पंचामृत, फल, मिठाई, पंजीरी का भोग भगवान विष्णु को अर्पित करें। इस प्रसाद को घर के सभी लोगों में वितरित करें। रात्रि में चंद्रमा और माता लक्ष्मी के पूजन के पश्चात व्रत का पारण करें।

माघी पूर्णिमा की कथा | Magh Prunima Katha | Magh Purnima Story

प्राचीन समय में कांतिका नगर में धनेश्वर नाम का ब्राहमण अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह बहुत गरीब था और भिक्षा मांगकर अपना जीवन गुजारता था। उनको बस एक ही बात का दुख था कि उनके कोई संतान नहीं थी जिसके चलते वह दम्पत्ति दुखी रहते थे। एक बार की बात है उसकी पत्नी एक नगर में भिक्षाटन के लिए गई लेकिन नगर वासियों ने बांझ कहकर उसका अपमान किया और भिक्षा नहीं दी। भिक्षा ना मिलने के चलते वह बहुत दुखी हुई। उसकी इस दशा को देखकर उसी के पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति ने उसको 16 दिन तक मां काली की आराधना करने की सलाह दी। उस आदमी की सलाह को मानकर ब्राहमणी ने 16 दिन तक विधिवत माता काली की पूजा-आराधना की। उसकी भक्ति देखकर मां काली अत्यन्त प्रसन्न हो गई और माता काली ने प्रत्यक्ष उसके समक्ष प्रकट होकर उसे गर्भवती होने का वरदान दिया और उसे सलाह दी कि तुम हर पूर्णमासी के दिन 32 दीपक प्रज्वलित करो। कुछ दिन बाद पूर्णमासी पड़ी। ब्राहमण की पत्नी ने अपने पति से पेड़ से कच्चा फल लाने को कहा। ब्राहमण ने कच्चा फल उसे लाकर दिया। ब्राहमणी ने विधिपूर्वक मां काली पूजा की और माता के कहे अनुसार हर पूर्णिमा को 32 दीपक जलाने लगी। ब्राहमणी के ऐसा करने से मां काली बहुत प्रसन्न हुई और उनके आर्शीवाद से दम्पत्ती के घर पुत्र ने जन्म लिया। उस पुत्र का नाम उन्होंने देवदास रखा। बड़ा होने के बाद देवदास पढ़ने के लिए अपने मामा के घर काशी चला गया। काशी में देवदास के साथ एक दुर्घटना घट गई जिसके चलते देवदास का धोखे से विवाह हो गया। देवदास अल्पायु था उसने इस विवाह को रोकने की बहुत कोशिश की किन्तु होनी को कुछ और ही मंजूर था। कुछ समय बाद काल देवदास के प्राण हरने आ गया लेकिन चूंकि ब्राहमण दंपत्ति ने पूर्णिमा का व्रत पूजन किया हुआ था जिसके चलते काल देवदास के प्राण नहीं ले सका। उसी दिन के बाद से मान्यता है जो भी जातक माघी पूर्णिमा का व्रत रखता है उसके जीवन के सभी कष्ट दूर होते है और वह जातक अपने जीवन का सफलता पूर्वक निर्वहन करता है।

माघी पूर्णिमा का महत्व | Magh Prurnima Ka Mahatva

माघ का सम्पूर्ण महीना जप, तप व दान की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में माघी पूर्णिमा पर किया गया दान व तप विशेष महत्व रखता है। इस दिन गरीब व जरूरतमंदों को तिल, कंबल, फल, अनाज का दान अवश्य करना चाहिए। माघ पूर्णिमा पर किसी भी वस्तु दान करने से महायज्ञ करने से भी ज्यादा पुण्य फल की प्राप्ति होती है। माघी पूर्णिमा पर पितरो का श्राद्ध करने का भी विशेष महत्व होता है।

माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान बहुत महत्व रखता है। स्वयं भगवान विष्णु गंगा में निवास करते है। मान्यता है कि इस दिन गंगाजल छूने मात्र से व्यक्ति के जीवन के सारे पाप नष्ट हो जाते है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कई लोग एक महीने तक संगम के तट पर कल्पवास करते है वह लोग आज ही के दिन इस कल्पवास को खत्म करते हैं। पुराणों में ऐसी मान्यता है कि माघ माह में संगम स्नान करने पर दस हजार अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल मिलता है क्योंकि इस माह सभी देवतागण प्रयाग में निवास करते है।

मघा नक्षत्र के नाम से ही माघ पूर्णिमा का नाम पड़ा है। पुराणों में वर्णित है कि माघ माह में सभी देवतागण मनुष्य रूप धरकर पृथ्वी पर प्रकट होते है और पवित्र नदी गंगा में स्नान करते है इसलिए गंगा में स्नान करने से देवताओं का आर्शीवाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि अगर माघ पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ जाये तो इसका महत्व और बढ़ जाता है।

माघी पूर्णिमा के उपाय | Magh Prurnima Upay

माघी पूर्णिमा बहुत पवित्र तिथि होती है। इस दिन अगर आप माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए कुछ उपाय कर ले तो आपके जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाती है और आपको सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है। आईये उन उपायों के बारे में जानते हैं-

माघ पूर्णिमा के दिन घर के मुख्य द्वार पर अशोक या आम के पत्तों का तोरण लगाएं। घर की देहरी पर हल्दी लगाकर मुख्य द्वार के दोनों तरफ हल्दी से स्वास्तिक बनाकर उस स्वास्तिक पर रोली व अक्षत का छिड़काव करे। तत्पश्चात देहरी पर देशी घी का दीपक जलाये। घर में लगी तुलसी माता की पूजा करे। उनके समक्ष दीपक जलाएं व भोग लगाये। अगर आप इस उपाय को करते है तो माता लक्ष्मी की कृपा से आर्थिक समस्या दूर होगी और धन, यश, वैभव, ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी।

अगर आप अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करना चाहते है तो आज के दिन अपने घर में अखंड दीपक प्रज्जवलित करें। उस दीपक में लौंग डाल दे। अगर आप इस उपाय को करते है तो आपके घर में कभी भी धन की तंगी नहीं होगी और घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलेगी।

माघी पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से घर में समृद्धि आती है और घर में धन की वर्षा होती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

माघी पूर्णिमा पर विष्णु सहस्त्रनाम, गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करना बहुत सुखदायी होता है। इस दिन किसी भी समय भगवद्गीता का पाठ जरूर करना चाहिए। अगर आप इन पाठों को करते है तो आपको अपने जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे। साथ ही आपकी चली आ रही समस्या और परेशानियां दूर हो जायेगी। घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा और नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी।

माघ पूर्णिमा के दिन अगर आप माता लक्ष्मी से संबंधित एक उपाय कर लेते है तो आपको अपने जीवन में कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा। आज के दिन आप माता लक्ष्मी को कोई भी सफेद चीज जैसे मिठाई या खीर का भोग लगाएं। ऐसा करने से आपके जीवन में माता लक्ष्मी की कृपा होगी और आप जीवन पर्यन्त धनवान बने रहेंगे।

माघ पूर्णिमा के दिन 11 कौड़िया ले। इन कौड़ियों को हल्दी से रंगकर उनको माता लक्ष्मी को अर्पित करें। तत्पश्चात इन कौड़ियों की पूजा करें। पूजा के बाद इन कौड़ियों को एक लाल रंग के कपड़े में बांधकर अपने घर की तिजोरी में रख दे। ऐसा करने से माता लक्ष्मी के आर्शीवाद से कभी भी आपको आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

माघ माह में तिल का दान विशेष महत्व रहता है। अगर आप माघ माह में तिल या तिल से बनी किसी वस्तु का दान करते हैं तो आपके सभी कार्य बनने लगेंगे और चली आ रही समस्या का निदान होगा।

माघी पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा अवश्य करनी चाहिए क्योंकि पीपल के पेड़ में भगवान का वास होता है। मान्यता है कि अगर आप विधिपूर्वक पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं तो आपके घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। अगर आप इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे देशी घी का दीपक जलाते है तो माता लक्ष्मी के आर्शीवाद से आपकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है। पुराणों में मान्यता है कि आज के दिन मां लक्ष्मी को समर्पित श्रीसूक्त का पाठ अवश्य करना चाहिए।

माघी पूर्णिमा के दिन भगवान हनुमान की पूजा करने से जिन लोगों की कुंडली में मंगल की दशा अशुभ हो तो वह दूर होती है और हनुमान जी के आर्शीवाद से लाभफल की प्राप्ति होती है।

निष्कर्ष

दान-पुण्य और जप-तप के लिहाज से माघी पूर्णिमा विशेष महत्व रखती है। इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान सत्यनारायण, माता लक्ष्मी और चन्द्रमा की पूजा की जाती है। आज के दिन अगर आप कुछ विशेष उपाय करते हैं तो आप पर माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है। इन उपायों को हमने आज के लेख में बताया है। उम्मीद करते है इन उपायों को माघी पूर्णिमा के दिन करकर आप अपनी धन की समस्या को दूर कर सकेंगे। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तो, परिजनों के साथ शेयर जरूर करें। इसी तरह के आध्यात्मिक और शिक्षाप्रद लेखों को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे। जयश्रीराम

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