गणपति जयंती का महत्व | Ganesh Jayanti Ka Mahatva

आज है गणेश जयंती का पर्व, इस तरह करें प्रथम पूज्य गणेश भगवान की आराधना

हिन्दू धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य भगवान माना जाता है यानि किसी भी पूजा की शुरूआत गणेश जी की आराधना के साथ की जाती है। बुधवार और गणेश चतुर्थी का दिन भगवान गणेश जी की पूजा के लिए सर्वोत्तम दिन होता है। हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जयंती का पर्व मनाया जाता है। इसे माघ विनायक चतुर्थी और वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता अनुसार इस दिन शिव और पार्वती के पुत्र भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए आज के दिन भगवान गणेश की विधिविधान से पूजा करने से भगवान गणेश का आर्शीवाद प्राप्त होता है और सारे दुख, संकट दूर हो जाते है। आज के लेख में हम गणेश जयंती कब है, कैसे इस दिन पूजा करें, इसका महत्व है आदि पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

गणेश जयंती कब है | Ganesh Jayanti Kab Hai

माघ मास के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी 24 जनवरी 2023, दिन मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 22 मिनट से प्रारम्भ होकर 25 जनवरी 2023, दिन बुधवार को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 25 जनवरी को ही गणेश जयंती का पर्व मनाया जायेगा। गणपति आराधना का शुभ मुहूर्त 25 जनवरी को सुबह 11ः34 मिनट से प्रारम्भ होकर दोपहर 12ः34 मिनट तक रहेगा।

साल का पहला पंचक भी गणेश जयंती पर पड़ रहा है। अगर आप नहीं जानते कि पंचक क्या होता है तो हम आपको बता दे चंद्रमा के विभिन्न नक्षत्रों के भ्रमण काल को पंचक कहा जाता है। जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण और उत्तराभाद्रपद, पूर्वाभाद्रपद, रेवती व शतभिषा नक्षत्र इन चारों चरणों में घूमता है तो पंचक काल कहलाता है। पंचक काल 23 जनवरी से प्रारम्भ होकर 27 जनवरी तक रहेगा। पंचक में किसी भी कार्य को करना अशुभ माना जाता है लेकिन ये पंचक राज पंचक है जिसमें की गई पूजा हर दृष्टिकोण से उचित फल देने वाली होती है। राज पंचक में किये गये कार्य राज्य सुख प्रदान करते हैं। इस बार गणेश जयंती पर भद्रा का साया भी रहेगा। भद्रा 25 जनवरी को सुबह 01ः53 मिनट से दोपहर 12ः34 मिनट तक रहेगी। भद्रा में किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य नही किया जाता है लेकिन पंचक और भद्रा एक साथ होने से पूजा-पाठ की जा सकती है।

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गणेश जयंती पर इस तरह करें पूजा | Ganesh Jayanti Ki Puja Kaise Kare

गणेश जयंती वाले दिन सबसे पहले स्नान करके साफ धुले हुए वस्त्र पहने। अपने घर के पूजाघर की साफ-सफाई करे। पूजा घर में एक आसन बिछाकर आदि देव गणेश जी की प्रतिमा के समक्ष दोनों हाथ जोड़कर गणेश जी के व्रत का संकल्प। एक चैकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर गणेश जी की प्रतिमा रखें। सिंदूर से गणेश जी को तिलक करे और इस तिलक को अपने माथे पर आर्शीवाद स्वरूप लगाये। गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें यह ध्यान रहे कि हमेशा साफ-सुथरी दुर्वा ही गणेश जी को अर्पित करें। दुर्वा 21 या 51 के क्रम में ही चढ़ाये। गणपति बप्पा को पुष्प, जनेऊ अर्पित करें। गणेश जी को मोदक अत्यन्त प्रिय है। ऐसे में उन्हें मोदक का भोग अवश्य लगाएं। पूजा समाप्त होने के बाद सपरिवार गणपति भगवान की आरती करें तथा उन्हें भोग लगाये। इस भोग को अपने परिजनों व आस-पड़ोस में वितरित करें।

गणेश जी के इन मंत्रों का करें जाप | Ganesh Ji Mantra

गणेश जयंती वाले दिन गणेश जी के मंत्र “ऊँ गणपते नमः” का अधिक से अधिक बार जाप करना चाहिए। इस मंत्र को जपने से गणपति प्रसन्न होते है और साधक के सारे कार्य निवृघ्न पूर्ण हो जाते है।

धन संपदा की प्राप्ति के लिए और माता लक्ष्मी की कृपा दृष्टि प्राप्त करने के लिए आज के दिन कुबेर जी के मंत्र ‘ऊँ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट स्वाहा’ का अपने पूजा घर में बैठकर 108 बार जाप करें। ऐसा करने वाले साधक को कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता।

सारे संकटों को नाश करने के लिए ‘ऊँ नमो हेरम्ब मद मोहित मम संकटान निवारय-निवारय स्वाहा’ इस मंत्र को यथाशक्ति जाप करें। इसके जाप से सारे संकट दूर होते है।

गणेश जयंती पर माता लक्ष्मी का आर्शीवाद जरूर लें। शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी ने गणेश जी को वरदान दिया था जिस घर में गणेश जी की पूजा होगी उस घर में माता लक्ष्मी का वास जरूर होगा। इसलिए गणेश जयंती पर माता लक्ष्मी की पूजा अवश्य करें।

गणेश चतुर्थी पर क्यों नहीं देखते चांद |

कृष्ण पक्ष में जब गणेश चतुर्थी पड़ती है तो उसका चांद नहीं देखा जाता जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का चांद देखने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। कृष्ण पक्ष की गणेश चैथ का चांद देखने से कलंक लगता है। इसके पीछे एक कथा भी प्रचलित है गणेश जी ने इंद्रदेव का मजाक उड़ाया था। क्रोध में आकर इंद्रदेव ने उन्हें श्राप दे दिया था। तभी से गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करने से कलंक लगता है।

गणपति जयंती का महत्व | Ganesh Jayanti Ka Mahatva

बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। गणपति जयंती बुधवार को पड़ रही है। ऐसे में गणेश जयंती का महत्व और भी बढ़ जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहते है। इस दिन अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से प्रथम पूज्य भगवान गणेश की आराधना करता हैं तो उसके सारे कष्ट विघ्नहर्ता गणेश जी हर लेते है। इस दिन प्रेमपूर्वक गणेश जी की आराधना करने वाले जातक के सभी कष्ट दूर हो जाते है।

अगर कोई निःसंतान दम्पत्ति विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की विधिवत पूजा-अर्चना करता है व गणेश जी का व्रत करता है तो गणेश जी के आर्शीवाद से संतान फल की प्राप्ति होती है। इसलिए इस चतुर्थी को वंश वृद्धि चतुर्थी भी कहा जाता है।

गणेश जयंती के उपाय | Ganesh Jayanti Upay

यदि आप अपने घर की कलह-क्लेश से परेशान है। नौकरी में बाधा आ रही है, स्वास्थ्य समस्या से परेशान है तो गणेश चतुर्थी के दिन किसी मंदिर में जाकर सफेद तिल का दान करें। ऐसा करने से चली आ रही परेशानी दूर होगी और गणपति बप्पा के आर्शीवाद से निरोगी काया बनेगी।

गणेश चतुर्थी के दिन बाजार से गणेश जी की एक मूर्ति खरीद लाये। इस मूर्ति की अपने घर में प्राण प्रतिष्ठा करें। नियमित रूप से इसकी पूजा करें। इस उपाय को करने से अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति कमजोर हो तो वह मजबूत होता है। बुध दोष की शांति होती है।

गणेश चतुर्थी के दिन किसी मंदिर में जाकर हरी वस्तुओं का दान अवश्य करना चाहिए। गरीब और जरूरतमंद लोगों को हरे रंग के वस्त्र या अन्य वस्तुओं का दान करना चाहिए। इस उपाय को करने से आपका अगर कोई काम अटका हुआ है तो वह पूरा होता है।

गणेश चतुर्थी वाले दिन हरी मूंग की दाल को चावल के साथ मिलाकर दान करने से कारोबार में बढ़ोत्तरी होती है। इस दिन पक्षियों को हरी मूंग की दाल अवश्य खिलाये।

इस दिन गणेश जी को तिल से स्नान कराएं और उनको तिल के लड्डू का भोग लगाये। इसके बाद अपनी मनोकामना को गणपति बप्पा के सम्मुख रखें। एक पान का पत्ता ले और उस पर इन लड्डुओं को रखकर गणेश जी को भोग लगाये। ऐसा करने से आपकी मनोवांछित मनोकामना पूर्ण होती हे। चतुर्थी के व्रत का पूरा फल मिलता है।

गणेश चतुर्थी के दिन गणपति भगवान के मंदिर में जाकर दुर्वा घास की 11, 21 या 51 गांठे अर्पित करें। ऐसा करने से आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि आयेगी।

गणेश चतुर्थी पर भोग से संबंधित भी कुछ उपाय है जिनको करने से गणेश जी की कृपा दृष्टि प्राप्त होती हे। गणेश जी को सफेद चीज जैसे तिल, खीर का भोग जरूर लगाना चाहिए। सफेद चीज में चंद्रमा का तत्व होता है। ऐसे में इसका भोग लगाना से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है।

अगर आप चाहते है कि गणेश जी आपके धन केे भंडार भरे रहे तो आज के दिन गणेश जी को केसर युक्त श्रीखंड का भोग लगाये। ऐसा करने से आपकी आर्थिक समस्या दूर होगी और धन की बरकत बढ़ेगी।

निष्कर्ष

गणेश जयंती का पर्व हिन्दू धर्म में बहुत महत्व रखता है। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने अपने उबटन से गणेश जी का जन्म किया था। बुधवार का दिन होने के चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है। आज के लेख में हमने गणेश जयंती के विषय में सारी जानकारी आपको प्रदान की। उम्मीद करते है कि गणेश जयंती के विषय में जानकर आप भी विघ्नहर्ता गणेश जी की भक्तिपूर्ण ढंग से आराधना करेंगे। अगर यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों, परिजनों के साथ साझा अवश्य करें जिससे हिन्दू धर्म के व्रत, त्योहारों का व्यापक प्रचार-प्रसार हो। ऐसे ही धार्मिक और आध्यात्मिक लेखों को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे।

जयश्रीराम

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