पितृ शांति के लिए खास है पौष अमावस्या का दिन, इन उपायों को करने से मिलेगा पितरों का आर्शीवाद
हिन्दू धर्म में हर दिन कोई न कोई तिथि होती है। इन तिथियों का अलग-अलग महत्व होता है। इन्हीं तिथियों में से एक है अमावस्या तिथि। अमावस्या का दिन वह दिन होता है जब आकाश में घना अंधेरा होता है जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से दिखाई नहीं देता है। अमावस्या की रात काली रात होती है। हर 30 दिन बाद अमावस्या आती है। पंचांग के अनुसार हर माह में दो पक्ष होते हैं, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। अमावस्या तिथि कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन पड़ती है। पौष मास (Paush Month) में पड़ने वाली अमावस्या को पौष अमावस्या कहा जाता है। ये साल 2022 की अंतिम अमावस्या भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष अमावस्या का बहुत महत्व है। अमावस्या पर पितृ शांति और काल सृप दोष निवारण के लिए पूजा-पाठ की जाती है। आज के लेख में पौष अमावस्या पर किस तरह पूजा-पाठ करें, पौष अमावस्या का महत्व और उसके उपायों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
पौष अमावस्या कब है | पौष अमावस्या 2022 | Paush Amavasya 2022 Date and Time
पौष अमावस्या 23 दिसंबर, 2022, दिन शुक्रवार को मनाई जायेगी। पौष अमावस्या 22 दिसंबर, 2022 को शाम 07 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 23 दिसंबर 2022 को दोपहर 03 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। ऐसे में इस शुभ मुहूर्त अमावस्या में पूजा करना श्रेष्ठ होता है। पौष अमावस्या के दिन वृद्धि योग भी पड़ रहा है। शास्त्रों में वर्णित है कि वृद्धि योग में किसी भी कार्य को करने से उस कार्य में वृद्धि होती है और उस कार्य में बढ़ोत्तरी होती है। वृद्धि योग 23 दिसंबर को दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से 24 दिसंबर सुबह 09 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
अमावस्या तिथि को दान, पुण्य करना तथा पितरो के निर्मित तर्पण करना शुभ माना जाना है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अमावस्या तिथि का धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व है क्योंकि अमावस्या तिथि के दिन स्नान-दान व कई अन्य धार्मिक कार्यों को किया जाता है। साथ ही इस दिन पितृ तर्पण भी किया जाता है।
पौष अमावस्या पूजन विधि | Paush Amavasya Pooja Vidhi
पौष अमावस्या के दिन प्रातःकाल उठकर किसी पचित्र नदी, जलाशय में जाकर स्नान करना चाहिए। अगर किसी नदी में जाकर स्नान न कर सके तो घर में नहाने वाले पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद तांबे के बर्तन में शुद्ध जल लेकर उसमें लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर सूर्य देव को अघ्र्य देना चाहिए क्योंकि पौष माह (Paush Mahina) में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व होता है। सूर्यदेव को अघ्र्य देने के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए। अगर आप चाहे तो पितरों के निर्मित इस दिन उपवास भी रख सकते हैं। पुराणों में वर्णित है कि अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। .पौष अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा और तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए। पीपल के पेड़ में देवताओं का निवास होता है। ऐसे में अमावस के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना सर्व हितकारी होता है।
पौष अमावस्या का महत्त्व | Paush Amavasya Ka Mehtva
पौष अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध, तर्पण करने का बड़ा महत्व है, इसलिए इसे छोटी श्राद्ध भी कहते है। इस दिन ब्राहमणों को भोजन कराने से पितरों का आर्शीवाद प्राप्त होता है और कुंडली में अगर पितृ दोष हो तो वह समाप्त हो जाता है। पौष अमावस्या के दिन नदी स्नान के बाद तिल तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
पौष अमावस्या के दिन गरीबों और जरूरतमंद को अपनी साम्थ्र्य के अनुसार दान-पुण्य करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
अगर आपकी कुंडली में कालसर्प दोष हो तो इस दोष से मुक्ति के लिए पौष अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी के जल से स्नान कर शिव जी के मंदिर में जाकर घी का दीपक जलाएं और शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करें। ऐसा करने से कालसृप दोष समाप्त होता है और पितरों के आर्शीवाद से जीवन में समृद्धि व खुशहाली आती है।
पौष अमावस्या पर पूजा-पाठ करने से गंभीर से गंभीर रोग भी दूर हो जाता है। इतना ही नहीं पौष अमावस्या पर विशेष अनुष्ठान व पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। इस दिन व्रत रखने से घर में समृद्धि आती है और परिवार में सकारात्मक वातावरण का संचार होता है। पूर्वजों के साथ-साथ देवताओं का भी आर्शीवाद प्राप्त होता है।
पौष अमावस्या के उपाय |
पौष अमावस्या शुक्रवार के दिन पड़ रही है। शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। ऐसे में मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पीपल के पेड़ पर तिल, गुड़ चढ़ाएं। उसके बाद पीपल के पेड़ के समक्ष हाथ जोड़कर उसका पत्ता तोड़ ले। उस पत्ते को घर ले आएं और उस पत्ते पर केसर से ‘श्रीं‘ लिखे और माता लक्ष्मी के चरणों में चढ़ा दें। अमावस्या के अगले दिन इस पत्ते को अपने पर्स में रख लें। इस अचूक उपाय को करने से माता लक्ष्मी का आर्शीवाद प्राप्त होता है और कभी धन की कमी नहीं होती। माता लक्ष्मी से जुटा एक और उपाय है जिसे करने से माता लक्ष्मी आपके घर में धन के भंडार भरती है। अमावस्या वाले दिन रात्रि में स्नान करने के बाद घर के ईशान कोण में अष्ट लक्ष्मी के समक्ष घी का दीपक लगाएं और 108 बार इस मंत्र का जाप करे।
‘ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा।
अमावस्या वाले दिन इस महाउपाय को करने से धन-दौलत में कमी नहीं होती और बरकत बढ़ती है।
हिन्दू धर्म में गाय को माता समान माना गया है। गाय में ईश्वर का वास होता है। ऐसे में पौष अमावस्या के दिन अगर आप गाय को रोटी या हरा चारा खिलाते है तो पूर्वजों का आर्शीवाद मिलता है और घर की आर्थिक परेशानी दूर होती है।
पौष अमावस्या पर सफेद चीज जैसे-दूध, दही आदि का दान अवश्य करना चाहिए। सफेद चीज का दान करने से चंद्रमा मजबूत होता है।
पौष अमावस्या पर कई धार्मिक अनुष्ठान किये जाते है। इन अनुष्ठानों को मंदिरों के पुजारियों द्वारा कराया जाना चाहिए जिससे वह सही तरीके से संपादित हो सके। पितृ तर्पण का कार्य मंत्रोच्चार द्वारा करने से पितरों का विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है। पौष अमावस्था पर तिल दान, वस्त्र दान, अन्न दान, या किसी भी अन्य प्रकार के दान का बड़ा महत्व होता है। ध्यान रहे यह दान किसी नदी के किनारे या तीर्थ स्थल पर जाकर ही करना चाहिए।
अगर आपका कोई काम बनते-बनते बिगड़ जा रहा है। घर में तनाव का वातावरण बना रहता है तो अवश्य ही आपकी कुंडली में पितृ दोष व्याप्त है। ऐसे में पितृ दोष से मुक्ति के लिए पौष अमावस्या के दिन दूध, चावल की खीर बना लें। गोबर के उपले जलाकर उन उपलों पर पितरों का ध्यान कर खीर निकाल दे। उसके बाद दाये हाथ में थोड़ा-सा पानी लेकर बाई तरफ छोड़ दें।
यह जरूरी नहीं है कि आप दूध की खीर से ही यह उपाय करें। पौष अमावस्या के दिन घर में जो भी शुद्ध ताजा खाना बना हो उसको ही पितरों को भोग लगा दें।
पितरों का तर्पण कैसे करें
एक लोटे में जल भरकर, उसमें गंगाजल, कच्चा दूध, चावल के दाने और तिल डालकर दक्षिण दिशा में मुंह करके पितरों को याद करके उनका तर्पण किया जाता है।
पौष अमावस्या पर भूलकर न करें ये काम
- पौष अमावस्या को आकाश में अंधकार होता है। चंद्रमा पूर्ण रूप से दिखाई नहीं है। ऐसे में रात में अंधेरा छाया रहता है। मान्यता के अनुसार इसलिए इस दिन रात में अकेले घर से नहीं निकलना चाहिए। इतना ही नहीं शमशान के पास से भी नहीं गुजरना चाहिए।
- पौष अमावस्या के दिन सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए। ऐसा माना गया है कि जो जातक अमावस्या के दिन देर तक सोता है। ब्रहम मुहूर्त में नहीं उठता है उसे पितरों का आर्शीवाद नहीं मिलता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पूजा-पाठ कर लेना चाहिए।
- पौष अमावस्या के दिन तामसिक भोजन अर्थात प्यास, लहसुन, मास-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। ना ही शराब पीना चाहिए।
- पौष अमावस्या के दिन पति-पत्नी को ब्रहमचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन अपने तन-मन को शुद्ध करकर पूर्वजों के निर्मित तर्पण करना चाहिए।
- अमावस्या के दिन अपने बड़ों का आदर करना चाहिए। किसी को भी बुरा-भला नहीं कहना चाहिए। आपस में लड़ाई झगड़ा भी नहीं करना चाहिए। जिस घर में लड़ाई-झगड़ा होता है वहां पितरों की कृपा नहीं बरसती है।
- पौष अमावस्या के दिन किसी निर्धन की यथासंभव मदद करनी चाहिए। कभी भूलकर भी उसका अपमान नहीं करना चाहिए।
- आईये अब जानते है नये साल 2023 में किस-दिन अमावस्या पड़ रही है। नया साल आने में कुछ ही शेष है। ऐसे में सभी लोगों के अंदर यह जानने के उत्सुकता है कि नये साल 2023 में अमावस्या किस-किस दिन पड़ेगी तो आईये देखते है साल
2023 की अमावस्या की पूरी लिस्ट | Amavasya List 2023 in Hindi
अमावस्या | अमावस्या तिथि शुरू | अमावस्या तिथि समापन: | दिन | |
1 | माघ अमावस्या- | 21 जनवरी 2023, सायं 06ः17 | 22 जनवरी 2023, रात्रि 02ः 23 | शनिवार (शनि अमावस्या) |
2 | फाल्गुन माह – | 19 फरवरी 2023, सायं 04ः18 | 20 फरवरी 2023, दोपहर 12ः35 | रविवार |
3 | चैत्र अमावस्या – | 21 मार्च 2023, रात्रि 01ः48 | 1 मार्च 2023, सायं 10ः 52 | मंगलवार |
4 | वैशाख अमावस्या – | 19 अप्रैल 2023, प्रातः 11ः23 | 20 अप्रैल 2023, प्रातः 09ः41 | बुधवार |
5 | ज्येष्ठ अमावस्या – | 18 मई 2023, सायं 09ः42 | 19 मई 2023, सायं 09ः22 | शुक्रवार |
6 | आषाढ़ अमावस्या – | 17 जून 2023, प्रातः 09ः11 | 18 जून 2023, प्रातः 10ः06 | शनिवार (शनि अमावस्या) |
7 | सावन अमावस्या – | 16 जुलाई 2023, सायं 10ः09 | 18 जुलाई 2023, रात्रि 12ः01 | सोमवार |
8 | अधिक दर्श अमावस्या – | 15 अगस्त 2023, दोपहर 12ः44 | 16 अगस्त 2023, दोपहर 03ः07 | मंगलवार |
9 | भाद्रपद अमावस्या – | 14 सितंबर 2023, प्रातः 04ः48 | 15 सितंबर 2023, प्रातः 07ः09 | गुरूवार |
10 | अश्विन अमावस्या – | 13 अक्टूबर 2023, रात्रि 09ः50 | 14 अक्टूबर 2023, रात्रि 11ः24 | शनिवार |
11 | कार्तिक अमावस्या – | 12 नवंबर 2023, दोपहर 02ः44 | 13 नवंबर 2023, दोपहर 02ः56 | सोमवार (सोमवती अमावस्या) |
12 | मार्गशीर्ष अमावस्या – | 12 दिसंबर 2023, प्रातः 06ः24 | 13 दिसंबर 2023, प्रातः 05ः01 | मंगलवार |
पौष अमावस्या पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा और सूर्य उपासना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पूर्वजों के निर्मित दान-पुण्य करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है और उसका भाग्योदय होता है। आज के लेख में हमने पौष अमावस्या संबंधित सारी जानकारी आपके सम्मुख रखी। आशा करते है यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा तो इस लेख को लाइक, शेयर जरूर करें जिससे पौष अमावस्या संबंधित सारी जानकारी अन्य लोगों तक भी पहुंचे। इसी प्रकार के अन्य धार्मिक लेखों को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे। जय श्री राम
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