वेद, प्राचीन भारत के पवित्र साहित्य हैं और हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं । वेद मुख्यतः शब्दमय हैं और छंदोमय वाणी में हैं। वेद‘ शब्द संस्कृत भाषा के वेद् ज्ञान धातु से बना है। वेद का शाब्दिक अर्थ ‘ज्ञान‘ है। इसी धातु से ‘विदित‘ (जाना हुआ), ‘विद्या‘ (ज्ञान), ‘विद्वान‘ (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं। वेद की मूल अवधारणा में आज तक कोई परिवर्तन नहीं हुआ। इसका कारण है उसके छंदबद्ध होने की अद्भुत शैली और वेदपाठ करने की खास विधि। वेद का दूसरा नाम है “श्रुति“। श्रुति जिसका अर्थ होता है सुनना। वेद सृष्टि के सृजनहार ब्रह्म जी के द्वारा ऋषि, मुनियों को सुनाए गए ज्ञान पर आधारित है. यही कारण है कि इसे श्रुति अर्थात सुनना भी कहता है। आज के लेख में हम वेद के इतिहास, वेद के प्रकार और वेदों के महत्व और वेदों से जुड़ी हर बात के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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वेदों का इतिहास | वेद कितने वर्ष पुराना है | History of Vedas in Hindu Mythology | Vedas History in Hindi
दुनिया के प्रथम ग्रंथ वेद का संकलन महर्षि कृष्ण व्यास द्वैपाजन जी ने किया था। वेद मानव सभ्यता का सबसे पुराना लिखित दस्तावेज है। लिखित रूप से वेदों का इतिहास 6508 वर्ष से भी पुराना है. वेदव्यास जी (Ved Vyas) ने वेदों को लिपिबद्ध किया था। अर्थात् वेद तो अनादि है वो वेदव्यास जी (Vedvyas) के अवतार लेने के पहले भी थे। वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं।
वेदों की 28 हजार पांडुलिपियाँ भारत में हैं। इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिन्हें यूनेस्को ने विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। यूनेस्को की 158 सूची में भारत की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की सूची 38 है।
एक ग्रंथ के अनुसार ब्रह्माजी के चारों मुख से वेदों की उत्पत्ति हुई। वेदों में आर्यों के आने व रहने का वर्णन मिलता है। वेद कितने वृहद स्तर पर हमारे जीवन में विद्यमान है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वेदों में ब्रह्म (ईश्वर), देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास, रीति-रिवाज आदि से संबंधित सभी विषयों पर ज्ञान मिलता है।
वेदों के रचयिता | वेदों की भाषा क्या है | Vedon Ki Bhasha Kya Hai
वेदों की रचना मनुष्यों ने नहीं की है। वे ब्रह्म के द्वारा बनाए गए हैं। इसलिए वेदों की उत्पत्ति का पता नहीं लगाया जा सकता है। पिछले 10,000 वर्षों में, उन्हें मनुष्यो द्वारा सरल भाषा का उपयोग करके लिखा गया है। वेदों को परमात्मा ने सूक्ष्म तरंगों के रूप में ऋषियों (द्रष्टाओं) को तब प्रकट किया, जब वे ज्ञान की खोज में गहन तपस्या में थे। इसलिए वेदों को ऋषियों ने सुना और इसलिए उन्हें ‘श्रुति’ कहा जाता है। वेदों में प्रयुक्त भाषा को वैदिक संस्कृत कहा जाता है, जो कि लौकिक संस्कृत से कुछ अलग होती है।
द्रष्टा इतने दयालु थे, कि वे मानव जाति के लाभ के लिए इस ज्ञान को साझा करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपने शिष्यों को वेदों को वाक्यों (ध्वनि) के रूप में पढ़ाना शुरू किया। शिष्यों ने अपने शिष्यों को पढ़ाना शुरू कर दिया। इस प्रकार वेदों ने ध्वनि का रूप धारण कर लिया था और प्रयुक्त भाषा ‘गीरवाण’ थी जो की अब विद्यमान संस्कृत भाषा का प्राचीन रूप है। गीरवाण को ‘देवताओं की भाषा’ कहा जाता है। वेदों के भाषा रूप को ‘स्मृति’ (याद किया हुआ) कहा जाता है।
वेदों को किसने लिखा | Ved Kisne Likha | Ved Kisne Likhe The
वेद अनंत हैं। वेद समय≤ पर मानव जाति के मार्ग को रोशन करने वाली मशाल की तरह है। वेदों के संपूर्ण ज्ञान को संहिताबद्ध किया गया और ऋषि वेद व्यास द्वारा 4 प्रकारों में विभाजित किया गया था। जिन्हें ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद कहा जाता है। कुछ अज्ञानी विदेशियों के साथ-साथ कुछ भारतीय प्रचार करते हैं, कि वेद आर्यों द्वारा लिखे गए थे, एक अलग जाति के लोग जो उत्तर भारत में कहीं से उतरे और उस ज्ञान को भारत के शेष हिस्सों में फैलाया।
यह विचार पूरी तरह से निराधार था और इसका उद्देश्य यह फैलाना था, कि वेद भारतीयों की संपत्ति नहीं हैं। सच्चाई यह है, कि आर्य मूल रूप से भारतीय (हिंदू) थे, और वे सरस्वती नदी के तट पर मानव सभ्यता को स्थापित करने वाली पहली जाति थे, जो रामायण काल के दौरान मौजूद थी।
वेदों में सरस्वती नदी का 50 से अधिक बार उल्लेख किया गया है, जबकि गंगा नदी का केवल एक बार उल्लेख किया गया है। आर्यों (हिंदुओं) ने विज्ञान, इंजीनियरिंग, धातु विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान, कृषि, वास्तुकला, चिकित्सा, राजनीति आदि के विकास का बीड़ा उठाया और उन्होंने अपने वैदिक ज्ञान से एक उत्कृष्ट सभ्यता का निर्माण किया। इसे बाद में ‘हिंदू (सिंधु) घाटी सभ्यता’ कहा गया।
वेदों के प्रकार | Ved Kitne Hain | Types of Ved | 4 Ved in Hindi | वेद कितने हैं
वेदों के सम्पूर्ण ज्ञान को ऋषि वेदव्यास द्वारा चार भागों में विभाजित किया गया है। ऋगवेद, सामवेद, अर्थववेद और यजुर्वेद। ऋग्वेद में सनातन धर्म का मूल ज्ञान, यजुर्वेद में यज्ञ परंपरा, सामवेद में संगीत का आधार और अथर्ववेद में जीवन से जुड़ी ज्ञान प्रणाली मिलती है। आईये इन वेदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
ऋगवेद | Rig Veda in Hindi | Sabse Prachin Ved Kaun Sa Hai
ऋक अर्थात् स्थिति और ज्ञान। ऋग्वेद सबसे पहला वेद है जो पद्यात्मक है। ऋगवेद के 10 मंडल (अध्याय) में 1028 सूक्त है जिसमें 11 हजार मंत्र हैं। ऋगवेद की 5 शाखाएं हैं – शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, मंडूकायन । इसमें भौगोलिक स्थिति और देवताओं के आवाहन के मंत्रों के साथ बहुत कुछ बताया गया है। ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियां और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है। इसमें जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन द्वारा चिकित्सा आदि की भी जानकारी मिलती है। ऋग्वेद के दसवें मंडल में औषधि सूक्त यानी दवाओं का जिक्र मिलता है। इसमें औषधियों की संख्या 125 के लगभग बताई गई है, जो कि 107 स्थानों पर पाई जाती है। औषधि में सोम का विशेष वर्णन है। ऋग्वेद में च्यवनऋषि को पुनः युवा करने की कथा भी मिलती है।
यजुर्वेद | Yajur Veda in Hindi
यजुर्वेद अर्थात यत् और जु = यजु। यत् का अर्थ होता है गतिशील तथा जु का अर्थ होता है आकाश। यजर्वेद हिन्दुओं का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ और चार वेदों में से एक है। इसमें ऋग्वेद के ६६३ मंत्र पाए जाते हैं। फिर भी इसे ऋग्वेद से अलग माना जाता है क्योंकि यजुर्वेद मुख्य रूप से एक गद्यात्मक ग्रन्थ है। यजुर्वेद में श्रेष्ठतम कर्म की प्रेरणा का वर्णन किया गया है। यजुर्वेद में अग्नि के माध्यम से देवताओं को दिए जाने वाले इन आहुति के बारे में बताया गया है। यजुर्वेद में यज्ञ की विधियां और यज्ञों में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र भी बताए गए हैं। यज्ञ के अलावा तत्वज्ञान का वर्णन है। तत्व ज्ञान अर्थात रहस्यमयी ज्ञान। ब्रह्माण, आत्मा, ईश्वर और पदार्थ का ज्ञान। यह वेद गद्य मय है। यजुर्वेद में यज्ञ के अलावा तत्वज्ञान का भी वर्णन किया गया है। तत्व ज्ञान अर्थात रहस्यमयी ज्ञान। ब्रह्माण, आत्मा, ईश्वर और पदार्थ का ज्ञान। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिए गद्य मंत्र हैं। इस वेद की दो शाखाएं हैं शुक्ल और कृष्ण।
कृष्ण पक्ष – वैशम्पायन ऋषि का सम्बन्ध कृष्ण से है। कृष्ण की चार शाखाएं हैं।
शुक्ल पक्ष – याज्ञवल्क्य ऋषि का सम्बन्ध शुक्ल से है। शुक्ल की दो शाखाएं हैं। इसमें 40 अध्याय हैं। यजुर्वेद के एक मंत्र में ब्रीहिधान्यों का वर्णन प्राप्त होता है। इसके अलावा, दिव्य वैद्य और कृषि विज्ञान का भी विषय इसमें मौजूद है।
सामवेद | Sam Ved in Hindi
साम का अर्थ रूपांतरण और संगीत । सामवेद में ऋग्वेद की ऋचाओं का संगीतमय रूप प्रेषित किया गया है । सामवेद को संगीत शास्त्र का मूल माना जाता है। सामवेद गीतात्मक यानी गीत के रूप में उपस्थित है। 1824 मंत्रों के इस वेद में 75 मंत्रों को छोड़कर शेष सब मंत्र ऋग्वेद से ही लिए गए हैं। इसमें सविता, अग्नि और इंद्र देवताओं के बारे में जिक्र मिलता है। इसकी मुख्य रूप से 3 शाखाएं हैं, 75 ऋचाएं हैं। सामवेद के श्लोकों को गाया जाना चाहिए, न कि जपना चाहिए। इन श्लोकों के गायन को ‘सामगान; कहते हैं।
अथर्ववेद | Atharva Veda in Hindi
धर्व का अर्थ है कंपन और अथर्व का अर्थ अकंपन। ज्ञान से श्रेष्ठ कर्म करते हुए जो परमात्मा की उपासना में लीन रहता है वही अकंप बुद्धि को प्राप्त होकर मोक्ष धारण करता है। इस वेद में रहस्यमयी विद्याओं, जड़ी बूटियों, चमत्कार और आयुर्वेद आदि का जिक्र है। इसके 20 अध्यायों में 5687 मंत्र है। इस वेद के आठ खण्ड हैं। अथर्ववेद में लगभग 6000 श्लोक हैं, जो कि 731 भजन बनाते हैं।
वेदांग क्या है | Vedang in Hindi | वेदांग का अर्थ
वेदों का अर्थ बताने व सही उच्चारण के लिए वेदांग की रचना की गई। वेदांगों की संख्या 6 है। ये निम्न है :
- शिक्षा: वैदिक वाक्यों के सही उच्चारण के लिए इसका निर्माण हुआ था।
- कल्प: इसकी रचना वैदिक कर्मकांड को सही तरीके से करने के लिए विधि व नियमो का वर्णन किया गया है।
- व्याकरण: इसमें नाम व धातुओं की रचना, उपसर्ग, प्रत्यय के प्रयोग हेतु नियमों का वर्णन है।
- निरुक्त: निरूक्त मे शब्दों की उत्पत्ति हुई के नियम है। यह भाषा दृ शास्त्र का प्रथम ग्रंथ माना जाता है।
- छंद: इसमें वैदिक साहित्य के गायत्री, त्रिष्टुप, जगती, वृहती का प्रयोग किया जाता है।
- ज्योतिष: इसमें ज्योतिष शास्त्र के विकास को दिखाया गया है। इसके प्राचीनतम आचार्य लगथ मुनि थे।
वेदों के उपवेद | Upveda of Vedas
वेदों के उपवेद भी बताए गए है। ऋग्वेद का आयुर्वेद, यजुर्वेद का धनुर्वेद, सामवेद का गंधर्ववेद और अथर्ववेद का स्थापत्यवेद ये क्रमशः चारों वेदों के उपवेद बतलाए गए हैं।
वेद कैसे पढ़े 2023 | Ved Kaise Padhe
वेदों को जानने के लिए वेदों को पढ़ना बहुत जरूरी है लेकिन वेदों को पढ़ना इतना आसान भी नहीं है क्योंकि वेद संस्कृत भाषा में लिखित है। आम जनमानस में अपनी असली भाषा को लेकर गलफहमियां विद्यमान है। अगर हम इतिहास देखे तो आप यह जानकर हैरत में पड़ जायेंगे कि आपकी असल भाषा हिन्दी नहीं है। कलियुग में हम लोग जिस भाषा में आपस में बात करते है यह भाषा आपकी नहीं है। इतिहास के अनुसार हिंदुओं की एकमात्र भाषा संस्कृत भाषा है। संस्कृत भाषा ही हिंदू सनातन धर्म के मूल भाषा है और यह जानकारी आपको कहीं नहीं मिलेंगे। जो भी उपनिषद में उल्लेख किया गया है सभी संस्कृत भाषा में है। वर्तमान समय में संस्कृत भाषा लुप्त होती जा रहा है। युग परिवर्तन होने के चलते लोगों के भीतर भाषा भी परिवर्तन हो गया है। अगर हमारे धर्मग्रंथ संस्कृत में लिखे गये तो हमारी भाषा हिन्दी कैसे हो सकती है।
यदि आप वेद पढ़ना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले संस्कृत भाषा सीखना जरूरी है यदि आप संस्कृत भाषा में वेद पड़ सकते हैं तो आपको सब कुछ ज्ञान ऑटोमेटिक मिलेंगे क्योंकि संस्कृत भाषा में जिस प्रकार वर्णन किया गया है उसका अगर आप अनुवाद करके पड़ेंगे तो उतना आप जानकारी नहीं प्राप्त कर सकते हैं । इसलिए संस्कृत भाषा सीखना आपके लिए बहुत ही आवश्यक है।
वेदों को समझना इतना आसान नहीं है, इसीलिए वेदों को विभागों में बाटकर समझाने का प्रयास किया गया है और बाद में इसे समाज के कल्याण के लिए लिखित किया गया। आज हमने वेदों से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी को आपको बताने की कोशिश की। उम्मीद करते है यह जानकारी आपको प्रसंद आई होगी। इस जानकारी को अपने मित्रों, परिजनों के साथ शेयर अवश्य करें जिससे हिन्दू धर्म के वेदों की जानकारी सभी को प्राप्त हो सके।
आजकल बहुत सारे लोगों ने वेदों की जानकारी ऑनलाइन भी कर दी है. हमें एक वेबसाइट मिली है जहाँ आप वेदों को पढ़ सकते हैं. ऑनलाइन वेद पढने के लिए यहाँ क्लिक करें.
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